शिमला: आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले रामस्वरूप शर्मा चुनावी राजनीति में सक्रिय होने से पहले संगठन का काम देखते थे. उन्होंने संगठन में कई पदों पर अहम भूमिका निभाई. बाद में 2014 में वे पहली बार सांसद बने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रामस्वरूप शर्मा से काफी लगाव रखते थे.
पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को पराजित करने के बाद दूसरी दफा उन्होंने पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा को हराया तो पीएम नरेंद्र मोदी उनसे बहुत खुश थे. जब सांसद दिल्ली में शपथ लेने के लिए गए थे तो उससे पहले नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई तो पीएम ने कहा था-अरे रामस्वरूप जी फिर से जीत गए. बहुत अच्छा है, अब डटकर जनसेवा करो. पीएम मोदी और रामस्वरूप शर्मा के बीच दोस्ती काफी पुरानी थी. दोनों उस समय से एक दूसरे को जानते हैं जब पीएम हिमाचल प्रदेश में पार्टी के प्रभारी थे.
खुद को पीएम का सुदामा बताते थे रामस्वरूप
खुद रामस्वरूप शर्मा अपने आप को पीएम नरेंद्र मोदी का सुदामा बताते थे. उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र के मसलों को लोकसभा में खूब उठाया. वे 2014 में विदेशी मामलों पर स्थाई समिति के सदस्य रहे. इसके अलावा वे पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय की परामर्श समिति में भी शामिल रहे.
संगठन में निभाई कई जिम्मेदारियां
रामस्वरूप शर्मा का जन्म 10 जून 1958 को हुआ था. वे आरएसएस से जुड़े और संगठन में कई काम किए. बाद में वे भारतीय जनता पार्टी के मंडी जिला आयोजन सचिव रहे और बाद में प्रदेश सचिव भी रहे. वे संगठन महामंत्री के अहम पद पर भी रहे. उन्होंने एनएचपीसी में भी काम किया था. बाद में वे चुनावी राजनीति में आए और सांसद बने.
आश्रय शर्मा को रिकॉर्ड मतों से दी थी पटखनी
पिछले चुनाव में उन्होंने मंडी से आश्रय शर्मा को रिकार्ड मतों से हराया था. उनकी धर्मपत्नी का नाम चंपा शर्मा है. सांसद के तीन बेटे हैं. उनके बड़े बेटे दिल्ली रवाना हो गए हैं. राम स्वरूप शर्मा के पैतृक घर जोगिंद्रनगर में बड़ी संख्या में उनके चाहने वाले शोक प्रकट करने के लिए पहुंच रहे हैं.