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एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान से कोरोना जंग का हीरो बना हिमाचल, PM ने भी की तारीफ - कोरोना जंग का हीरो बना हिमाचल

करीब सत्तर लाख की आबादी वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ने कोरोना से लड़ाई में देश के सामने मिसाल कायम की है हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न उपायों के जरिए कोरोना के प्रसार को थामने में सफलता हासिल की है.लॉकडाउन का सख्ती से पालन और फिर घर-घर जाकर स्क्रीनिंग ने इस पहाड़ी राज्य को कोरोना से निपटने में सफलता दिलाई है.

AFC CAMPAIGN IN HIMACHAL
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Published : Apr 28, 2020, 1:49 PM IST

Updated : Apr 29, 2020, 8:55 AM IST

शिमला: करीब सत्तर लाख की आबादी वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ने कोरोना से लड़ाई में देश के सामने मिसाल कायम की है हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न उपायों के जरिए कोरोना के प्रसार को थामने में सफलता हासिल की है. लॉकडाउन का सख्ती से पालन और फिर घर-घर जाकर स्क्रीनिंग ने इस पहाड़ी राज्य को कोरोना से निपटने में सफलता दिलाई है.

हिमाचल सरकार ने एक्टिव केस फाइंडिंग की जिस प्रक्रिया को अपनाया, उसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है. यही नहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के अन्य राज्यों को भी एक्टिव केस फाइंडिंग प्रक्रिया को अपनाने की सलाह दी है. विभिन्न स्तरों पर किए गए उपायों का ही परिणाम है कि हिमाचल प्रदेश में विगत पांच दिन से कोरोना का कोई केस नहीं पाया गया है.हिमाचल में इस समय कोरोना के केवल 10 मरीज अस्पताल में उपचार करवा रहे हैं.

प्रदेश में कुल 40 मामले सामने आए और 25 मरीज इलाज के बाद स्वस्थ होकर घर चले गए. हिमाचल में जांच का अनुपात भी देश में सबसे अधिक है. यहां कोरोना के लिए जांच का अनुपात प्रति मिलियन 700 व्यक्ति है. आइए, यहां जानते हैं कि आखिर क्या है एक्टिव केस फाइंडिंग प्रक्रिया और कैसे हिमाचल ने इसे लागू किया?

वीडियो

एक्टिव केस फाइंडिंग प्रक्रिया का ब्यौरा देने से पहले हिमाचल में कोरोना संक्रमण की पृष्ठभूमि पर नजर डालना जरूरी है. हिमाचल प्रदेश में कोरोना का पहला मामला 19 मार्च को आया था. कांगड़ा जिला में ये मामला आने के बाद ही डीसी कांगड़ा ने सरकार की अनुमति से त्वरित फैसला लेते हुए जिला में कर्फ्यू लगा दिया.

धार्मिक संस्थान बंद किए गए. फिर स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 24 मार्च को संपूर्ण प्रदेश में कफ्रयू लगाया गया. प्रदेश के बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए. शिमला, टांडा, कसौली में सैंपल टैस्टिंग शुरू की गई.हिमाचल से लगती अन्य राज्यों की सीमाएं सील की गईं .

इसी दौरान हिमाचल सरकार ने प्रदेश के हर घर के बारे में जानकारी जुटाने का फैसला लिया कि कहीं कोई कोई जुकाम-बुखार से पीडि़त तो नहीं अथवा कोरोना काल में कहीं किसी की ट्रैवल हिस्ट्री तो नहीं है. इसके लिए सरकार ने पहली अप्रैल से अभियान शुरू किया.

प्रदेश के हर जिला में स्वास्थ्य कर्मचारी, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित जरूरत के अनुसार पुलिस कर्मचारियों को भी इस अभियान से जोड़ा गया. प्रदेश में कुल 16 हजार वर्कर्स की टीम ने इस अभियान को पूरा किया और सत्तर लाख लोगों का डाटा जुटाया.

इसके लिए 7800 आशा वर्कर्स को प्रशिक्षण दिया गया. अभियान के दौरान जिस भी घर में एनफ्लूएंजा से पीडि़त कोई व्यक्ति मिला, उसे पहले नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में चैकअप करवा कर संदिग्ध होने की आशंका पर कोरोना जांच भी की गई. इसी का परिणाम है कि दो ऐसे व्यक्ति भी कोरोना के संदिग्ध पाए गए, जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. इसका दूसरा लाभ ये हुआ कि पूरे प्रदेश का डाटा सामने आ गया.

प्रदेश की जनता ने इस मुहिम में भरपूर सहयोग किया आशा वर्करों को इस काम के लिए प्रतिदिन सौ मानदेय भी दिया गया. ग्रामीण इलाकों में रोजाना एक गांव को कवर किया गया. एक टीम ने कम से कम 30 घरों की स्क्रीनिंग की. परिवार के हर सदस्य का विवरण लिखा गया. मोबाइन नंबर भी नोट किया गया लोगों को सोशल डिस्टैंसिंग समझाई गई और मास्क लगाने का तरीका बताया गया.बचाव के अन्य उपायों के बारे में भी बताया गया.

ये सारी जानकारी गूगल फार्म पर दर्ज की गई. अभियान की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिरमौर जिला में दो दिन के भीतर ही टीम ने 35, 616 लोगों की न केवल स्क्रीनिंग की, बल्कि उन्हें जागरूक भी किया. सोलन जिला के नालागढ़ में टीम ने एक ही दिन में 41000 लोगों की स्क्रीनिंग कर रिपोर्ट डीसी सोलन को दी.

इस तरह प्रदेश में सभी 12 जिलों में स्क्रीनिंग की गई और सत्तर लाख लोगों की रिपोर्ट तैयार हुई. यहां उल्लेखनीय है कि हिमाचल में इससे पहले टीबी की जांच के लिए भी घर-घर स्क्रीनिंग का अभियान सफलता से चलाया जा चुका है.

हिमाचल सरकार ने सतर्कता बरतते हुए 14 मार्च को ऐलान किया कि शिक्षण संस्थान व सिनेमाघर 31 मार्च तक बंद रहेंगे. उस समय तक प्रदेश में कोरोना से प्रभावित दुनिया के अन्य देशों से 593 लोग आए थे. उनमें से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं था. तब सात लोगों को खांसी जुखाम की शिकायत पर शिमला व टांडा अस्पताल में भर्ती किया गया था. इन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी.

मार्च के दूसरे पखवाड़े में राज्य सरकार ने आईजीएमसी अस्पताल शिमला व डॉ आरपीएमसी अस्पताल टांडा में आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिए थे. शिमला, मंडी व धर्मशाला में प्रति संस्थान पचास बेड क्वारंटाइन की सुविधा उपलब्ध करवा दी थी.

मार्च की 19 तारीख को राज्य सरकार ने देशी और विदेशी सैलानियों को लेकर हिमाचल में आने वाली बसों पर प्रतिबंध लगा दिया. बीस मार्च को सरकार ने आदेश जारी किया कि 21 मार्च मध्य रात्रि से एचआरटीसी व निजी बसों के संचालन में 50 फीसदी की कमी कर दी. 21 मार्च को सभी राजनीतिक दलों के साथ सरकार ने बैठक की और सभी ने कोरोना से निपटने में सहयोग की हामी भरी बाद में 22 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता कफ्र्यू का आह्वान किया.

इसी दिन राज्य सरकार ने प्रदेश की सीमाओं को सील कर दिया 23 मार्च सोमवार को विधानसभा का बजट सत्र भी स्थगित हुआ.कांगड़ा में पहले ही लॉकडाउन था और 23 मार्च को इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया.साथ ही सरकार ने जरूरतमंदों के लिए जरूरी सामान उपलब्ध करवाने के लिए 500 करोड़ रुपए का ऐलान किया. सरकारी कार्यालय 26 मार्च तक बंद कर दिए गए .

इसी बीच 23 मार्च को तिब्बती मूल के बुजुर्ग की टांडा अस्पताल में मौत हुई.वो अमेरिका से आया था. उसकी ट्रेवल हिस्ट्री निकाल कर उससे जुड़े सभी लोगों को क्वारंटाइन किया गया 24 मार्च को सरकार ने पूरे प्रदेश में कफ्र्यू लागू कर दिया.सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि मंजूर की.

29 मार्च को लिए गए सभी 17 सैंपल निगेटिव आए थे रोज सैंपलिंग हो रही थी इस अवधि में 2673 लोगों को निगरानी में रखा गया. 196 का मेडिकल चैकअप हुआ. 811 लोगों ने 14 दिन का निगरानी पीरियड पूरा कर लिया था. 31 मार्च को घोषणा की गई कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान 14 मार्च तक बंद रहेंगे 2 अप्रैल को ऊना जिले के एक इलाके में मस्जिद में छिपे तीन लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए.

ये तबलीगी जमात से जुड़े थे. यहां से खतरा शुरू हो गया था.तीन अप्रैल तक हिमाचल में 296 लोगों की जांच हुई थी और तीन मामले पॉजिटिव थे. दो लोग टांडा अस्पताल में भर्ती थे और ये बाद में ठीक होकर घर पहुंच गए. इसके बाद जमातियों का संकट खड़ा हुआ. इससे पहले इंडस्ट्रियल एरिया बीबीएन (बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़) की एक महिला उद्योगपति की पीजीआई में मौत हुई.

उनके करीबी चार लोग पॉजिटिव पाए गए और वे इस समय मेदांता अस्पताल गुड़गांव में इलाज करवा रहे हैं. शुरूआती दौर को देखें तो आईजीएमसी अस्पताल में पहला संदिग्ध हांकगांग से आया था 12 मार्च को उसकी आईजीएमसी में जांच हुई तो वो कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया. 18 मार्च को सोलन से आए संदिग्ध केस में जांच निगेटिव आई.

मार्च की 20 तारीख से लगातार आईजीएमसी अस्पताल में सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी. चार अप्रैल को जमात से जुड़े तीन लोग पॉजिटिव आए पांच अप्रैल को उन्हें इलाज के लिए शिमला लाया गया. बाकी चार लोग महिला उद्योगपति के रिश्तेदार थे, जो इलाज के लिए बाहर चले गए थे. अब प्रदेश के अस्पतालों में कुल 10 मरीजों का इलाज चल रहा है.

बिलासपुर जिला में 4 लाख, 11 हजार 736 लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इसी तरह चंबा में 3.50 लाख की स्क्रीनिंग हुई. हमीरपुर में करीब चार लाख लोग स्क्रीन किए गए. इसी तरह अन्य जिलों में भी तय समय में स्क्रीनिंग की गई.

एएफसी अभियान के तहत हिमाचल में करीब 70 लाख लोगों की स्वास्थ्य विभाग ने जांच की, जिसमें 9924 लोगों में फ्लू के लक्षण पाए गए थे. उन्हें स्वास्थ्य विभाग की फ्लू ओपीडी के माध्यम से उपचार दिया गया, जो ठीक नहीं हुए थे, उनकी सैंपलिंग की गई. इसी सैंपलिंग के दौरान हमीरपुर से दो कोरोना पॉजिटिव केस मिले थे.

शिमला: करीब सत्तर लाख की आबादी वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ने कोरोना से लड़ाई में देश के सामने मिसाल कायम की है हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न उपायों के जरिए कोरोना के प्रसार को थामने में सफलता हासिल की है. लॉकडाउन का सख्ती से पालन और फिर घर-घर जाकर स्क्रीनिंग ने इस पहाड़ी राज्य को कोरोना से निपटने में सफलता दिलाई है.

हिमाचल सरकार ने एक्टिव केस फाइंडिंग की जिस प्रक्रिया को अपनाया, उसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है. यही नहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के अन्य राज्यों को भी एक्टिव केस फाइंडिंग प्रक्रिया को अपनाने की सलाह दी है. विभिन्न स्तरों पर किए गए उपायों का ही परिणाम है कि हिमाचल प्रदेश में विगत पांच दिन से कोरोना का कोई केस नहीं पाया गया है.हिमाचल में इस समय कोरोना के केवल 10 मरीज अस्पताल में उपचार करवा रहे हैं.

प्रदेश में कुल 40 मामले सामने आए और 25 मरीज इलाज के बाद स्वस्थ होकर घर चले गए. हिमाचल में जांच का अनुपात भी देश में सबसे अधिक है. यहां कोरोना के लिए जांच का अनुपात प्रति मिलियन 700 व्यक्ति है. आइए, यहां जानते हैं कि आखिर क्या है एक्टिव केस फाइंडिंग प्रक्रिया और कैसे हिमाचल ने इसे लागू किया?

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एक्टिव केस फाइंडिंग प्रक्रिया का ब्यौरा देने से पहले हिमाचल में कोरोना संक्रमण की पृष्ठभूमि पर नजर डालना जरूरी है. हिमाचल प्रदेश में कोरोना का पहला मामला 19 मार्च को आया था. कांगड़ा जिला में ये मामला आने के बाद ही डीसी कांगड़ा ने सरकार की अनुमति से त्वरित फैसला लेते हुए जिला में कर्फ्यू लगा दिया.

धार्मिक संस्थान बंद किए गए. फिर स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 24 मार्च को संपूर्ण प्रदेश में कफ्रयू लगाया गया. प्रदेश के बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए. शिमला, टांडा, कसौली में सैंपल टैस्टिंग शुरू की गई.हिमाचल से लगती अन्य राज्यों की सीमाएं सील की गईं .

इसी दौरान हिमाचल सरकार ने प्रदेश के हर घर के बारे में जानकारी जुटाने का फैसला लिया कि कहीं कोई कोई जुकाम-बुखार से पीडि़त तो नहीं अथवा कोरोना काल में कहीं किसी की ट्रैवल हिस्ट्री तो नहीं है. इसके लिए सरकार ने पहली अप्रैल से अभियान शुरू किया.

प्रदेश के हर जिला में स्वास्थ्य कर्मचारी, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित जरूरत के अनुसार पुलिस कर्मचारियों को भी इस अभियान से जोड़ा गया. प्रदेश में कुल 16 हजार वर्कर्स की टीम ने इस अभियान को पूरा किया और सत्तर लाख लोगों का डाटा जुटाया.

इसके लिए 7800 आशा वर्कर्स को प्रशिक्षण दिया गया. अभियान के दौरान जिस भी घर में एनफ्लूएंजा से पीडि़त कोई व्यक्ति मिला, उसे पहले नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में चैकअप करवा कर संदिग्ध होने की आशंका पर कोरोना जांच भी की गई. इसी का परिणाम है कि दो ऐसे व्यक्ति भी कोरोना के संदिग्ध पाए गए, जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. इसका दूसरा लाभ ये हुआ कि पूरे प्रदेश का डाटा सामने आ गया.

प्रदेश की जनता ने इस मुहिम में भरपूर सहयोग किया आशा वर्करों को इस काम के लिए प्रतिदिन सौ मानदेय भी दिया गया. ग्रामीण इलाकों में रोजाना एक गांव को कवर किया गया. एक टीम ने कम से कम 30 घरों की स्क्रीनिंग की. परिवार के हर सदस्य का विवरण लिखा गया. मोबाइन नंबर भी नोट किया गया लोगों को सोशल डिस्टैंसिंग समझाई गई और मास्क लगाने का तरीका बताया गया.बचाव के अन्य उपायों के बारे में भी बताया गया.

ये सारी जानकारी गूगल फार्म पर दर्ज की गई. अभियान की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिरमौर जिला में दो दिन के भीतर ही टीम ने 35, 616 लोगों की न केवल स्क्रीनिंग की, बल्कि उन्हें जागरूक भी किया. सोलन जिला के नालागढ़ में टीम ने एक ही दिन में 41000 लोगों की स्क्रीनिंग कर रिपोर्ट डीसी सोलन को दी.

इस तरह प्रदेश में सभी 12 जिलों में स्क्रीनिंग की गई और सत्तर लाख लोगों की रिपोर्ट तैयार हुई. यहां उल्लेखनीय है कि हिमाचल में इससे पहले टीबी की जांच के लिए भी घर-घर स्क्रीनिंग का अभियान सफलता से चलाया जा चुका है.

हिमाचल सरकार ने सतर्कता बरतते हुए 14 मार्च को ऐलान किया कि शिक्षण संस्थान व सिनेमाघर 31 मार्च तक बंद रहेंगे. उस समय तक प्रदेश में कोरोना से प्रभावित दुनिया के अन्य देशों से 593 लोग आए थे. उनमें से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं था. तब सात लोगों को खांसी जुखाम की शिकायत पर शिमला व टांडा अस्पताल में भर्ती किया गया था. इन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी.

मार्च के दूसरे पखवाड़े में राज्य सरकार ने आईजीएमसी अस्पताल शिमला व डॉ आरपीएमसी अस्पताल टांडा में आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिए थे. शिमला, मंडी व धर्मशाला में प्रति संस्थान पचास बेड क्वारंटाइन की सुविधा उपलब्ध करवा दी थी.

मार्च की 19 तारीख को राज्य सरकार ने देशी और विदेशी सैलानियों को लेकर हिमाचल में आने वाली बसों पर प्रतिबंध लगा दिया. बीस मार्च को सरकार ने आदेश जारी किया कि 21 मार्च मध्य रात्रि से एचआरटीसी व निजी बसों के संचालन में 50 फीसदी की कमी कर दी. 21 मार्च को सभी राजनीतिक दलों के साथ सरकार ने बैठक की और सभी ने कोरोना से निपटने में सहयोग की हामी भरी बाद में 22 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता कफ्र्यू का आह्वान किया.

इसी दिन राज्य सरकार ने प्रदेश की सीमाओं को सील कर दिया 23 मार्च सोमवार को विधानसभा का बजट सत्र भी स्थगित हुआ.कांगड़ा में पहले ही लॉकडाउन था और 23 मार्च को इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया.साथ ही सरकार ने जरूरतमंदों के लिए जरूरी सामान उपलब्ध करवाने के लिए 500 करोड़ रुपए का ऐलान किया. सरकारी कार्यालय 26 मार्च तक बंद कर दिए गए .

इसी बीच 23 मार्च को तिब्बती मूल के बुजुर्ग की टांडा अस्पताल में मौत हुई.वो अमेरिका से आया था. उसकी ट्रेवल हिस्ट्री निकाल कर उससे जुड़े सभी लोगों को क्वारंटाइन किया गया 24 मार्च को सरकार ने पूरे प्रदेश में कफ्र्यू लागू कर दिया.सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि मंजूर की.

29 मार्च को लिए गए सभी 17 सैंपल निगेटिव आए थे रोज सैंपलिंग हो रही थी इस अवधि में 2673 लोगों को निगरानी में रखा गया. 196 का मेडिकल चैकअप हुआ. 811 लोगों ने 14 दिन का निगरानी पीरियड पूरा कर लिया था. 31 मार्च को घोषणा की गई कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान 14 मार्च तक बंद रहेंगे 2 अप्रैल को ऊना जिले के एक इलाके में मस्जिद में छिपे तीन लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए.

ये तबलीगी जमात से जुड़े थे. यहां से खतरा शुरू हो गया था.तीन अप्रैल तक हिमाचल में 296 लोगों की जांच हुई थी और तीन मामले पॉजिटिव थे. दो लोग टांडा अस्पताल में भर्ती थे और ये बाद में ठीक होकर घर पहुंच गए. इसके बाद जमातियों का संकट खड़ा हुआ. इससे पहले इंडस्ट्रियल एरिया बीबीएन (बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़) की एक महिला उद्योगपति की पीजीआई में मौत हुई.

उनके करीबी चार लोग पॉजिटिव पाए गए और वे इस समय मेदांता अस्पताल गुड़गांव में इलाज करवा रहे हैं. शुरूआती दौर को देखें तो आईजीएमसी अस्पताल में पहला संदिग्ध हांकगांग से आया था 12 मार्च को उसकी आईजीएमसी में जांच हुई तो वो कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया. 18 मार्च को सोलन से आए संदिग्ध केस में जांच निगेटिव आई.

मार्च की 20 तारीख से लगातार आईजीएमसी अस्पताल में सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी. चार अप्रैल को जमात से जुड़े तीन लोग पॉजिटिव आए पांच अप्रैल को उन्हें इलाज के लिए शिमला लाया गया. बाकी चार लोग महिला उद्योगपति के रिश्तेदार थे, जो इलाज के लिए बाहर चले गए थे. अब प्रदेश के अस्पतालों में कुल 10 मरीजों का इलाज चल रहा है.

बिलासपुर जिला में 4 लाख, 11 हजार 736 लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इसी तरह चंबा में 3.50 लाख की स्क्रीनिंग हुई. हमीरपुर में करीब चार लाख लोग स्क्रीन किए गए. इसी तरह अन्य जिलों में भी तय समय में स्क्रीनिंग की गई.

एएफसी अभियान के तहत हिमाचल में करीब 70 लाख लोगों की स्वास्थ्य विभाग ने जांच की, जिसमें 9924 लोगों में फ्लू के लक्षण पाए गए थे. उन्हें स्वास्थ्य विभाग की फ्लू ओपीडी के माध्यम से उपचार दिया गया, जो ठीक नहीं हुए थे, उनकी सैंपलिंग की गई. इसी सैंपलिंग के दौरान हमीरपुर से दो कोरोना पॉजिटिव केस मिले थे.

Last Updated : Apr 29, 2020, 8:55 AM IST
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