शिमला: आजादी के बाद तीस छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ था. तब 15 अप्रैल 1948 का समय था. एक सुखद सफर की शुरुआत 15 अप्रैल 1948 को हुई. फिर 25 जनवरी 1971 को ये सफर एक नए मुकाम पर पहुंचा. इस दिन हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. जिस समय हिमाचल का गठन हुआ था. यहां नाममात्र स्कूल और स्वास्थ्य संस्थान थे. जब हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला तो यहां की प्रति व्यक्ति आय महज 651 रुपए थी. पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद हिमाचल ने विकास के मामले में रफ्तार पकड़ी. अब यहां की प्रति व्यक्ति आय सवा दो लाख रुपए सालाना पहुंचने वाली है. गर्व की बात है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल एक दशक से देश के आंकड़े से बेहतर ही रहा है. इस सफर के कुछ रोचक पहलू देखते हैं.
एक दशक के अंतराल में भारत और हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय का तुलनात्मक अध्ययन करना दिलचस्प रहेगा. एक दशक के आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय हर साल देश की प्रति व्यक्ति आय से अधिक रही है. हिमाचल इस मामले में देश के टॉप फाइव स्टेट में भी शामिल है. वित्तीय वर्ष 2011-12 में भारत यानी देश की प्रति व्यक्ति आय सालाना 63,462 रुपए थी. इसी वर्ष हिमाचल का आंकड़ा 87,721 रुपए था. अब 2022-23 में देश की प्रति व्यक्ति आय 17,0620 अनुमानित है तो हिमाचल की आय 2,22,227 रुपए होगी.
राज्य सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार प्रदीप चौहान का कहना है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल ने निरंतर बढ़त बनाई है. हालांकि प्रति व्यक्ति आय का आकलन कुल जनसंख्या व जीडीपी से जुड़ा है, लेकिन इससे राज्य की आर्थिक स्थिति के कई पहलुओं को समझने में लाभ मिलता है. हिमाचल में एक दशक में प्रति व्यक्ति आय 153 फीसदी बढ़ी है.
हिमाचल के विकास में कृषि-बागवानी व पर्यटन का योगदान: हिमाचल प्रदेश की नब्बे फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. यहां खेती-बागवानी आजीविका का बड़ा साधन है. इसके अलावा पशुपालन व दूध उत्पादन में भी ग्रामीण सक्रिय हैं. हिमाचल में पर्यटन सेक्टर की जीडीपी में सात फीसदी के करीब योगदान है. कृषि व उससे जुड़े सेक्टर का जीडीपी में 13.7 फीसदी योगदान है.
बेशक दो दशक से हिमाचल सरकार कर्ज के मामले में संकट पूर्ण स्थिति का सामना कर रही है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में राज्य की स्थिति निरंतर बेहतर हो रही है. हिमाचल के इतिहास व अन्य पहलुओं पर पुस्तकों के चर्चित लेखक तथा राज्य सरकार के पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का कहना है कि राज्य को कृषि-बागवानी व पर्यटन सेक्टर पर और जोर देना चाहिए.
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