शिमला: पहाड़ों की रानी शिमला में लोहड़ी पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. देश-विदेश से शिमला आए पर्यटको ने भी शाम को बाजार में आग जलाकर लोहड़ी मनाई. इस दौरान राजधानी सहित उनपगरों में लोगों ने घरों और दुकानदारों ने दुकानों के आगे आग जलाकर इस रसम की अदायगी की. बर्फबारी और बारिश के दौरान भी लोगों ने लोहड़ी पर्व को बडे़ धूमधाम के साथ मनाया.
इस दौरान लोग सुंदर मुंदरिए हो... तेरा कौन विचार हो... दुल्हा भटी वाला हो... दुल्हे की धी वियाही हो... शेरे शकर पाई हो... कुडी दा शालु पाटा हो.... कुडी दा जीवन चाचा हो... लंबडदारे लुटी हो... गिन गिन पाले लगे हो... एक पोला घट... होगे पुरे सठ... सठां पिती लस्सी.. होगे पूरे असी लोहड़ी गाकर खूब मंनोरंजन किया.
इस दौरान लोगों ने आग जलाकर उसमें तिल, रेवड़ी और मूंगफली की आहुति डाली और अग्रि देव का पूजन किया. वहीं घरों और आस पड़ोस में गुड़, गच्चक, मूंगफली बांटने और खाने का दौर चलता रहा. वहीं, बच्चे भी इस पर्व को लेकर काफी उत्साहित दिखे. सुबह से ही बच्चों की टोलियां घर-घर जाकर सुंदरिये-मुंदरिये लोहड़ी गीत गाकर लोहड़ी मांगते नजर आए. इस दौरान लोगों ने उन्हें लोहड़ी के रूप में पैसे, मूंगफली और गच्चक दी.
लोहड़ी जलाने की परंपरा को पूरा करने के लिए शिमला में जगह-जगह आग अंगीठे जलाकर लोहड़ी का पूजन किया गया. लोहड़ी जलाने के बाद लोगों ने प्रसाद के रूप में गुड़, तिल के लड्डू, मूंगफली और रेवड़ी एक-दूसरे में बांटी. लोहड़ी पूजन के साथ-साथ ढोल-नगाढ़ों और संगीत की धुनों पर शिमला वासियों ने जमकर डांस किया. वहीं, शिमला वासियों ने पर्यटकों को अपनी संस्कृति से रूबरू करवाया.
स्थानीय लोगों को लोहड़ी पर्व मनाता देख पर्यटक भी इसमें शामिल हो गए. लोहड़ी पर्व को लेकर राजधानी शिमला के बाजारों में खूब रौनक रही. दुकानदारों ने अपनी दुकान के बाहर मूंगफली, गच्चक और रेवड़ी के स्टॉल लगा रखे थे. लोगो ने भी जमकर खरीदारी की.
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