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हिमाचल के इस हॉस्पिटल में एक साल से बंद पड़ा है ऑक्सीजन प्लांट, हर महीने खरीदने पड़ रहे 750 सिलेंडर - HP HOSPITAL OXYGEN PLANT CLOSED

जोनल अस्पताल मंडी में एक साल से ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह से बंद है. इसकी एक साल से सर्विस नहीं हुई है.

ZONAL HOSPITAL OXYGEN PLANT CLOSED
जोनल अस्पताल मंडी का पीएसए प्लांट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 18, 2025, 2:30 PM IST

Updated : Feb 19, 2025, 10:46 AM IST

मंडी: कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर के तहत जोनल अस्पताल मंडी को पीएसए यानी ऑक्सीजन प्लांट की सौगात दी गई थी, लेकिन बीते करीब एक साल से यह प्लांट पूरी तरह से बंद पड़ा है. जिसका कारण इसकी सही समय पर सर्विस का न हो पाना है. ऐसे में यहां पर आने वाले मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

जोनल अस्पताल में 1 साल से ऑक्सीजन प्लांट बंद (ETV Bharat)

बजट मिलने के बाद भी क्यों नहीं हुई सर्विस?

जोनल अस्पताल मंडी के एमएस डॉ. डीएस वर्मा ने बताया कि पीएसए प्लांट की सर्विस करवाने का मुद्दा उच्चाधिकारियों के सामने उठाया गया था. जहां से इसकी सर्विस के लिए 3 लाख 52 हजार का बजट भी मिल चुका है. करीब 5 महीने पहले यह धनराशि पीडब्ल्यूडी के इलेक्ट्रिकल विंग को ट्रांसफर कर दी गई है और वहां से इसका टेंडर भी हो चुका है. मगर जिस ठेकेदार को टेंडर मिला है, वो इस काम को नहीं कर रहा है. जिसके चलते ये प्लांट अभी तक सुचारू नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि इस बारे में पीडब्ल्यूडी के इलेक्ट्रिकल विंग के अधिकारियों से संपर्क किया गया है और उन्होंने जल्द ही इस कार्य को करवाने की हामी भी भरी है.

ZONAL HOSPITAL OXYGEN PLANT CLOSED
ऑक्सीजन प्लांट (ETV Bharat)

मरीज को बिस्तर पर ही दी जाती है ऑक्सीजन की सुविधा

बता दें कि पीएम केयर के तहत लगे इस पीएसए प्लांट की क्षमता एक हजार लीटर प्रति मिनट की है. यह उच्च क्षमता वाला पीएसए प्लांट है. जिससे पूरे अस्पताल को पाइप लाइन के जरिए मरीज के बिस्तर पर ही ऑक्सीजन की सुविधा प्रदान की जाती है. इसमें दो कंप्रेसर लगे हुए हैं, जो रोटेशन में काम करते हैं. इन दोनों की सर्विस होनी है, जोकि बीते एक साल से नहीं हो पाई है. जिस कारण यह प्लांट पूरी तरह से बंद पड़ा है और मात्र सफेद हाथी बनकर रह गया है.

जोनल अस्पताल मंडी के एमएस डॉ. डीएस वर्मा ने बताया, "पीएसए प्लांट बंद होने के कारण हर महीने बाजार से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदकर लाने पड़ रहे हैं. जहां हर महीने मात्र 40 से 50 सिलेंडर खरीदने पड़ते थे, वहीं अब 750 सिलेंडर खरीदने पड़ रहे हैं. इससे अस्पताल प्रबंधन को मासिक 2 लाख का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है. पीएसए प्लांट शुरू हो जाने से इस राशि की बचत होगी."

ये भी पढ़ें: हिमाचल में लाखों सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स मनरेगा से बाहर, नहीं मिल रहा योजना का लाभ, मचा हड़कंप

मंडी: कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर के तहत जोनल अस्पताल मंडी को पीएसए यानी ऑक्सीजन प्लांट की सौगात दी गई थी, लेकिन बीते करीब एक साल से यह प्लांट पूरी तरह से बंद पड़ा है. जिसका कारण इसकी सही समय पर सर्विस का न हो पाना है. ऐसे में यहां पर आने वाले मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

जोनल अस्पताल में 1 साल से ऑक्सीजन प्लांट बंद (ETV Bharat)

बजट मिलने के बाद भी क्यों नहीं हुई सर्विस?

जोनल अस्पताल मंडी के एमएस डॉ. डीएस वर्मा ने बताया कि पीएसए प्लांट की सर्विस करवाने का मुद्दा उच्चाधिकारियों के सामने उठाया गया था. जहां से इसकी सर्विस के लिए 3 लाख 52 हजार का बजट भी मिल चुका है. करीब 5 महीने पहले यह धनराशि पीडब्ल्यूडी के इलेक्ट्रिकल विंग को ट्रांसफर कर दी गई है और वहां से इसका टेंडर भी हो चुका है. मगर जिस ठेकेदार को टेंडर मिला है, वो इस काम को नहीं कर रहा है. जिसके चलते ये प्लांट अभी तक सुचारू नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि इस बारे में पीडब्ल्यूडी के इलेक्ट्रिकल विंग के अधिकारियों से संपर्क किया गया है और उन्होंने जल्द ही इस कार्य को करवाने की हामी भी भरी है.

ZONAL HOSPITAL OXYGEN PLANT CLOSED
ऑक्सीजन प्लांट (ETV Bharat)

मरीज को बिस्तर पर ही दी जाती है ऑक्सीजन की सुविधा

बता दें कि पीएम केयर के तहत लगे इस पीएसए प्लांट की क्षमता एक हजार लीटर प्रति मिनट की है. यह उच्च क्षमता वाला पीएसए प्लांट है. जिससे पूरे अस्पताल को पाइप लाइन के जरिए मरीज के बिस्तर पर ही ऑक्सीजन की सुविधा प्रदान की जाती है. इसमें दो कंप्रेसर लगे हुए हैं, जो रोटेशन में काम करते हैं. इन दोनों की सर्विस होनी है, जोकि बीते एक साल से नहीं हो पाई है. जिस कारण यह प्लांट पूरी तरह से बंद पड़ा है और मात्र सफेद हाथी बनकर रह गया है.

जोनल अस्पताल मंडी के एमएस डॉ. डीएस वर्मा ने बताया, "पीएसए प्लांट बंद होने के कारण हर महीने बाजार से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदकर लाने पड़ रहे हैं. जहां हर महीने मात्र 40 से 50 सिलेंडर खरीदने पड़ते थे, वहीं अब 750 सिलेंडर खरीदने पड़ रहे हैं. इससे अस्पताल प्रबंधन को मासिक 2 लाख का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है. पीएसए प्लांट शुरू हो जाने से इस राशि की बचत होगी."

ये भी पढ़ें: हिमाचल में लाखों सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स मनरेगा से बाहर, नहीं मिल रहा योजना का लाभ, मचा हड़कंप
Last Updated : Feb 19, 2025, 10:46 AM IST
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