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USA से डिपोर्ट होकर आए हिमाचल के रोहित से सुनिए उसका दर्द, कैसे-कैसे एंजेंट ने डंकी रूट से पहुंचाया अमेरिका - ROHIT DEPORT FROM USA

हिमाचल का युवक सोमवार को अमेरिका से डिपोर्ट होकर घर पहुंचा. एजेंट ने धोखा देकर उसे डंकी रूट से अमेरिका भेजा था.

अमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटा रोहित मां के साथ
अमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटा रोहित मां के साथ (WTV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 18, 2025, 2:09 PM IST

Updated : Feb 18, 2025, 3:17 PM IST

धर्मशाला: बेहतर भविष्य और परिवार को गरीबी से छुटकारा दिलवाने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया. इसके लिए एजेंट का मुंह और झोली पैसों से भर दिए, लेकिन एजेंट ने कबूतरबाजी के जाल में ऐसा फंसाया कि न सपने पूरे हुए न जेब में पैसा बचा. ये कहानी है अमेरिका से डिपोर्ट होकर पहुंचे इंदौरा के रोहित की है.

हिमाचल के जिला कांगड़ा के इंदौरा उपमंडल में मिलवां गांव का रोहित बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका गया था, लेकिन अब न अब भविष्य बचा और न सपने. अब बस आंखों में आंसू और बेबसी है. रोहित रविवार देर रात को अन्य भारतीय के साथ डिपोर्ट होकर अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचा था. सोमवार को अमृतसर एयरपोर्ट से नायब तहसीलदार ठाकुरद्वारा और पुलिस चौकी ठाकुरद्वारा के प्रभारी ने एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से जरूरी दस्तावेजी कार्रवाई को पूरा किया और सोमवार को रोहित को घर लेकर आए. घर पहुंचने के बाद रोहित ने किसी से कोई बात नहीं की और कमरे में चुपचाप बैठा रहा, क्योंकि रोहित जहां एक साल पहले खड़ा था अब वो उससे भी नीचे जा चुका है. सिर पर बैंकों का लाखों रुपये कर्ज हो चुका है.

एजेंट ने धोखे से डॉंकी रूट से पहुंचाया अमेरिका (ETV BHARAT)

अब बैंक के कर्ज की चिंता

रोहित की बहन ने बताया कि, 'अमेरिका जाने के लिए एक साल पहले अमृतसर के एक एजेंट से संपर्क किया था. कागजात तैयार करने के बाद एजेंट ने उसे अमृतसर एयरपोर्ट पर एक सप्ताह तक रखा और फिर वहां से दुबई भेज दिया. आठ महीनों तक एजेंट ने उसे दुबई में ही रखा. आठ महीने के बाद तीन-चार देशों से होते हुए रोहित को मैक्सिको बॉर्डर पर पहुंचा दिया. इसके बाद एजेंट ने फोन कर चार लाख रुपये और मांगे. इसके बाद दोबारा एजेंट ने पैसों की मांग की थी, जबकि उसने 34 लाख रुपये पहले ही अपने खाते में डलवा लिए थे. मैक्सिको पहुंचने के बाद फिर एजेंट ने फोन किया और उसके लिए अच्छा वकील करने के लिए फिर पैसे मांगे. कुछ दिन बाद एजेंट ने फोन करके बोला कि मेरे को अब फोन मत करना और उस समय से आज तक एजेंट ने फोन नहीं उठाया. घर पर मां और बहन का रो-रोकर बुरा हाल है. मां का कहना है कि अब वो बैंको का कर्ज कैसे उतारेंगे.'

रोहित की मां और बहन
रोहित की मां और बहन (ETV BHARAT)

मिड-डे मील वर्कर हैं मां

रोहित का घर ईंटों से बना है. दीवारों पर पर्दे लटके हैं. दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं है इन दीवारों को मजबूती देने के लिए ही रोहित अमेरिका गया था. अमेरिका जाने के लिए रोहित के परिजनों ने करीब 45 लाख रुपये खर्च किए थे. रोहित इतने गहरे सदमे में है कि अपनी आपबीती भी नहीं सुना पाया, रोहित के पिता का कैंसर से देहांत हो चुका है और माता आशा रानी सरकारी स्कूल में मिड-डे मील हेल्पर हैं, रोहित का भाई नरेश भी विदेश में है, जबकि एक बहन जिसकी शादी हो चुकी है.

रोहित का घर
रोहित का घर (ETV BHARAT)

हाथों में हथकड़ियां पांवों में बेड़ियां

रोहित ने बताया कि, 'पहले हमें मुंबई, मलेशिया, एम्स्टरडैम, पनामा पहुंचे, फिर डेढ़ महीने में डंकी रूट के जरिए मैक्सिको पहुंचे. इसके बाद टैक्सी में तीन चार दिन सफर करने के बाद अमेरिकन बॉर्डर क्रॉस करवा दिया, जैसे ही हमने बॉर्डर क्रॉस किया पुलिस ने हमे पकड़ लिया. पकड़ कर हमें पुलिस स्टेशन ले गए. इसके बाद में कैंप में फेंक दिया गया. हमें 18 दिन कैंप में रखा गया. न कोई कार्रवाई की गई न ही कोई ब्यान दर्ज किए गए और न ही किसी बात करने दी गई. हमारे हाथ और पांव में हथकड़ियां थी. हमें दूसरे कैंप में शिफ्ट करने के नाम पर प्लेन में बिठाया. प्लेन में बिठाने के बाद बताया गया कि उन्हें डिपोर्ट किया गया है.'

ये भी पढ़ें: डंकी रूट से अमेरिका पहुंचा था हिमाचल का युवक, एजेंट ने विदेश में नौकरी के नाम पर ठगे ₹45 लाख, USA ने भेजा वापस

धर्मशाला: बेहतर भविष्य और परिवार को गरीबी से छुटकारा दिलवाने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया. इसके लिए एजेंट का मुंह और झोली पैसों से भर दिए, लेकिन एजेंट ने कबूतरबाजी के जाल में ऐसा फंसाया कि न सपने पूरे हुए न जेब में पैसा बचा. ये कहानी है अमेरिका से डिपोर्ट होकर पहुंचे इंदौरा के रोहित की है.

हिमाचल के जिला कांगड़ा के इंदौरा उपमंडल में मिलवां गांव का रोहित बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका गया था, लेकिन अब न अब भविष्य बचा और न सपने. अब बस आंखों में आंसू और बेबसी है. रोहित रविवार देर रात को अन्य भारतीय के साथ डिपोर्ट होकर अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचा था. सोमवार को अमृतसर एयरपोर्ट से नायब तहसीलदार ठाकुरद्वारा और पुलिस चौकी ठाकुरद्वारा के प्रभारी ने एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से जरूरी दस्तावेजी कार्रवाई को पूरा किया और सोमवार को रोहित को घर लेकर आए. घर पहुंचने के बाद रोहित ने किसी से कोई बात नहीं की और कमरे में चुपचाप बैठा रहा, क्योंकि रोहित जहां एक साल पहले खड़ा था अब वो उससे भी नीचे जा चुका है. सिर पर बैंकों का लाखों रुपये कर्ज हो चुका है.

एजेंट ने धोखे से डॉंकी रूट से पहुंचाया अमेरिका (ETV BHARAT)

अब बैंक के कर्ज की चिंता

रोहित की बहन ने बताया कि, 'अमेरिका जाने के लिए एक साल पहले अमृतसर के एक एजेंट से संपर्क किया था. कागजात तैयार करने के बाद एजेंट ने उसे अमृतसर एयरपोर्ट पर एक सप्ताह तक रखा और फिर वहां से दुबई भेज दिया. आठ महीनों तक एजेंट ने उसे दुबई में ही रखा. आठ महीने के बाद तीन-चार देशों से होते हुए रोहित को मैक्सिको बॉर्डर पर पहुंचा दिया. इसके बाद एजेंट ने फोन कर चार लाख रुपये और मांगे. इसके बाद दोबारा एजेंट ने पैसों की मांग की थी, जबकि उसने 34 लाख रुपये पहले ही अपने खाते में डलवा लिए थे. मैक्सिको पहुंचने के बाद फिर एजेंट ने फोन किया और उसके लिए अच्छा वकील करने के लिए फिर पैसे मांगे. कुछ दिन बाद एजेंट ने फोन करके बोला कि मेरे को अब फोन मत करना और उस समय से आज तक एजेंट ने फोन नहीं उठाया. घर पर मां और बहन का रो-रोकर बुरा हाल है. मां का कहना है कि अब वो बैंको का कर्ज कैसे उतारेंगे.'

रोहित की मां और बहन
रोहित की मां और बहन (ETV BHARAT)

मिड-डे मील वर्कर हैं मां

रोहित का घर ईंटों से बना है. दीवारों पर पर्दे लटके हैं. दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं है इन दीवारों को मजबूती देने के लिए ही रोहित अमेरिका गया था. अमेरिका जाने के लिए रोहित के परिजनों ने करीब 45 लाख रुपये खर्च किए थे. रोहित इतने गहरे सदमे में है कि अपनी आपबीती भी नहीं सुना पाया, रोहित के पिता का कैंसर से देहांत हो चुका है और माता आशा रानी सरकारी स्कूल में मिड-डे मील हेल्पर हैं, रोहित का भाई नरेश भी विदेश में है, जबकि एक बहन जिसकी शादी हो चुकी है.

रोहित का घर
रोहित का घर (ETV BHARAT)

हाथों में हथकड़ियां पांवों में बेड़ियां

रोहित ने बताया कि, 'पहले हमें मुंबई, मलेशिया, एम्स्टरडैम, पनामा पहुंचे, फिर डेढ़ महीने में डंकी रूट के जरिए मैक्सिको पहुंचे. इसके बाद टैक्सी में तीन चार दिन सफर करने के बाद अमेरिकन बॉर्डर क्रॉस करवा दिया, जैसे ही हमने बॉर्डर क्रॉस किया पुलिस ने हमे पकड़ लिया. पकड़ कर हमें पुलिस स्टेशन ले गए. इसके बाद में कैंप में फेंक दिया गया. हमें 18 दिन कैंप में रखा गया. न कोई कार्रवाई की गई न ही कोई ब्यान दर्ज किए गए और न ही किसी बात करने दी गई. हमारे हाथ और पांव में हथकड़ियां थी. हमें दूसरे कैंप में शिफ्ट करने के नाम पर प्लेन में बिठाया. प्लेन में बिठाने के बाद बताया गया कि उन्हें डिपोर्ट किया गया है.'

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Last Updated : Feb 18, 2025, 3:17 PM IST
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