शिमला: हिमाचल प्रदेश में आई आपदा से लोगों को गहरे जख्म मिले हैं. आपदा के बाद प्रभावितों की जीवन को पटरी पर लाना और बेघरों को बसाना सबसे बड़ी चुनौती है. इसके लिए सरकार, शासन और प्रशासन दिन रात में राहत और पुनर्वास कार्यों में जुटे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद आपदा की स्थिति में कई लोग अवसर तलाश रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला शिमला के नारकंडा से सामने आया है. जहां प्रभावित को सरकार की ओर से मिलने वाली राहत राशि देने के लिए पटवारी ने 20 हजार की रिश्वत मांगी, जिसे विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथों पकड़ लिया.
शिमला में हुई भारी बारिश में कई घर क्षतिग्रस्त और जमींदोज हो गए. जिसकी वजह से कई परिवार बेघर हो गए. आपदा की इस घड़ी में पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार, प्रशासन और सामाजिक संगठन तत्पर हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आपदा में अवसर तलाश रहे हैं. यह मामला शिमला जिला के नारकंडा का है. जहां रामलाल का घर इस आपदा में टूट गया. रामलाल का परिवार घर खाली कर बाहर रहने को मजबूर हैं. इसके बावजूद आरोप है कि पटवारी राकेश कुमार ने आपदा प्रभावित रामलाल को रिलीफ फंड से आए 1,20,000 रुपए देने के एवज में 20 हजार की रिश्वत की मांग की.
सरकार की ओर से रामलाल को 1,20,000 की राहत राशि दी गई थी, लेकिन इसे जारी करने के बदले में आरोपी पटवारी मुकेश कुमार ने 20,000 रुपए मांग लिए. शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस इंस्पेक्टर छतर सिंह की अध्यक्षता में एक टीम ट्रैप के लिए बनाई गई. इस टीम ने पटवारी को घूस लेते रंगे हाथ पकड़ लिया. विजिलेंस ब्यूरों ने कहा मामले में आगे की जांच जारी है. वहीं, घूसखोर पटवारी के इस कारनामे को जिसने भी सुना वह निंदा कर रहा है. लोगों का कहना है कि हिमाचल के लोग प्राकृतिक आपदा में फंसे हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ लालची अधिकारी अपना इमान बेच, राहत राशि देने के लिए घुस मांग रहे हैं.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून ने जमकर कहर बरपाया. इस साल आई त्रासदी पिछले कई दशकों में देखने को नहीं मिली. इस आपदा में 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. 12 हजार से ज्यादा आशियानें क्षतिग्रस्त हो गए. वहीं, प्रदेश की लाइफलाइन कही जाने वाली सैंकड़ों सड़कें आपदा की भेंट चढ़ गई. सरकार और प्रशासन के सामने अब इस त्रासदी से निपटने की सबसे बड़ी चुनौती है.