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हिमाचल सरकार के पूर्व CS पी मित्रा सहित 2 को अग्रिम जमानत, धारा-118 से जुड़ा है मामला - पी मित्रा धारा 118 भ्रष्टाचार मामला

धारा-118 से जुड़े हिमाचल सरकार के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा भ्रष्टाचार मामले में न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा-8 के तहत अपराध दंडनीय है और इसके लिए अधिकतम सजा सात साल है. एफआईआर वर्ष 2011 से संबंधित है और दस साल बीत चुके हैं. याचिकाकर्ताओं को इस न्यायालय ने अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है.

himachal high court
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Published : Mar 30, 2021, 9:24 PM IST

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा सहित दो अन्य आरोपी विनोद मित्तल और विवेक डोगरा को कथित भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में अग्रिम जमानत दे दी. न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा-8 के तहत अपराध दंडनीय है और इसके लिए अधिकतम सजा सात साल है. एफआईआर वर्ष 2011 से संबंधित है और दस साल बीत चुके हैं.

याचिकाकर्ताओं को इस न्यायालय ने अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. याचिकाकर्ता जांच में शामिल हो गए हैं और कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने जांच कार्य मे कोई सहयोग नहीं दिया. हिरासत में पूछताछ का कोई औचित्य नहीं हैं और जमानत से इन्कार नहीं किया जा सकता.

क्या है धारा-118

गौरतलब है कि हिमाचल में गैर हिमाचलियों को भू-राजस्व अधिनियम की धारा-118 के तहत जमीन खरीदने की अनुमति लेना जरूरी है. अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 मार्च 2011 को आरोपी विनोद मित्तल ने राजस्व के आला अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए पांच लाख रुपये लेकर शिमला आया, लेकिन उसे पुराने बस अड्डा शिमला में विजिलेंस ने पकड़ लिया गया था. उस समय पी मित्रा राजस्व विभाग के प्रधान सचिव के पद पर तैनात थे.

आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट

जांच के दौरान विजिलेंस ने आरोपियों की आपसी बातचीत के बारे में पुख्ता सबूत इकट्ठे किये और उन्हें साबित करने के लिए आरोपी विनोद मित्तल के वॉइस सेंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट की इज्जाजत के लिए निचली अदालत में आवेदन किया था. जिसे निचली अदालत ने स्वीकारते हुए विजिलेंस को विनोद मित्तल वॉइस का वॉइस सेम्पल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने की अनुमति दे दी थी.

पढ़ें: चश्मे का शौकीन बंदर पहुंचा पिंजरे के अंदर!

पढ़ें: पार्टी से निकाले जाने पर पूर्व बीजेपी कार्यकर्ता का पोस्टर बना चर्चा का विषय, पूछा मेरा क्या कसूर

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा सहित दो अन्य आरोपी विनोद मित्तल और विवेक डोगरा को कथित भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में अग्रिम जमानत दे दी. न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा-8 के तहत अपराध दंडनीय है और इसके लिए अधिकतम सजा सात साल है. एफआईआर वर्ष 2011 से संबंधित है और दस साल बीत चुके हैं.

याचिकाकर्ताओं को इस न्यायालय ने अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. याचिकाकर्ता जांच में शामिल हो गए हैं और कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने जांच कार्य मे कोई सहयोग नहीं दिया. हिरासत में पूछताछ का कोई औचित्य नहीं हैं और जमानत से इन्कार नहीं किया जा सकता.

क्या है धारा-118

गौरतलब है कि हिमाचल में गैर हिमाचलियों को भू-राजस्व अधिनियम की धारा-118 के तहत जमीन खरीदने की अनुमति लेना जरूरी है. अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 मार्च 2011 को आरोपी विनोद मित्तल ने राजस्व के आला अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए पांच लाख रुपये लेकर शिमला आया, लेकिन उसे पुराने बस अड्डा शिमला में विजिलेंस ने पकड़ लिया गया था. उस समय पी मित्रा राजस्व विभाग के प्रधान सचिव के पद पर तैनात थे.

आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट

जांच के दौरान विजिलेंस ने आरोपियों की आपसी बातचीत के बारे में पुख्ता सबूत इकट्ठे किये और उन्हें साबित करने के लिए आरोपी विनोद मित्तल के वॉइस सेंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट की इज्जाजत के लिए निचली अदालत में आवेदन किया था. जिसे निचली अदालत ने स्वीकारते हुए विजिलेंस को विनोद मित्तल वॉइस का वॉइस सेम्पल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने की अनुमति दे दी थी.

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