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OPS IN HIMACHAL: एक अप्रैल से बंद होगा NPS कंट्रीब्यूशन, कैबिनेट ने लगाई मुहर - OPS restored in Himachal

हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में OPS को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. OPS को लागू करने के लिए सरकार नियमों में आवश्यक संशोधन करेगी और उसके बाद NPS में सरकार और कर्मचारियों द्वारा जारी अंशदान 1 अप्रैल, 2023 से बंद हो जाएगा. कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि अगर यदि कर्मचारी NPS में रहना चाहता है तो उसे अपनी सहमति देनी होगी.

Himachal cabinet meeting decision
Himachal cabinet meeting decision
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Published : Mar 3, 2023, 6:47 PM IST

Updated : Mar 3, 2023, 10:32 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आखिरकार ओपीएस लागू करने की दिशा में निर्णायक कदम उठा लिया है. शुक्रवार को शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में पहली अप्रैल से एनपीएस कंट्रीब्यूशन बंद करने का फैसला लिया गया. हालांकि, ओपीएस लागू करने से जुड़े सभी प्रावधान 17 मार्च को मुख्यमंत्री के बजट भाषण में सामने आएंगे. लेकिन, कैबिनेट बैठक में यह तय हो गया है कि अप्रैल 2023 से हिमाचल में ओपीएस लागू हो जाएगी.

बता दें कि ठीक एक साल पहले हिमाचल में जयराम सरकार सत्ता में थी और कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग को लेकर शिमला में विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे थे. उस समय कर्मचारियों का शिमला में स्वागत पानी की बौछारों से हुआ था. विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में प्रदेश भर के कर्मचारी एनपीएस संघ के बैनर तले शिमला में विधानसभा के बाहर पहुंचे थे. एक साल में ही तस्वीर कुछ इस तरह बदली कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने हिमाचल में ओपीएस लागू कर दी. तीन मार्च शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में ओपीएस के सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई और पहली अप्रैल 2023 से हिमाचल में बीस साल बाद ओपीएस फिर से लागू हो गई.

शुक्रवार को हुई बैठक में कांग्रेस सरकार ने फैसला लिया है कि जिन एनपीएस कर्मचारियों की रिटायरमेंट 15 मई 2003 के बाद हुई है, उनको भावी तिथि यानी प्रोस्पेक्टिव डेट से ओपीएस का लाभ दिया जाएगा. कैबिनेट ने ओपीएस के हिमाचल मॉडल से संबंधित सभी पहलुओं पर चर्चा के बाद फैसला लिया है कि भविष्य में जो भी कर्मचारी सरकारी सेवा में आएंगे, यानी जिनकी सरकारी नौकरी लगेगी, वे सभी ओपीएस की व्यवस्था में शामिल होंगे. अब मुख्यमंत्री के बजट भाषण के बाद ओपीएस की एसओपी और अधिसूचना का इंतजार है.

उम्मीद की जा रही है कि बजट सत्र के दौरान अथवा बजट सत्र की समाप्ति के तुरंत बाद अधिसूचना जारी हो जाएगी. शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में सबसे बड़ा एजेंडा ओपीएस ही था. वित्त विभाग ने इस बारे में संबंधित विभागों के साथ मिलकर सारी तैयारी की थी. इससे पहले मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने भी कई राउंड मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री के समक्ष ओपीएस लागू करने के तरीकों की जानकारी दी. कैबिनेट में एक-एक बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट के सभी मंत्री निरंतर बोल रहे थे कि जल्द ही ओपीएस पर फैसला होगा. हिमाचल में ओपीएस का लाभ 1.36 लाख कर्मचारियों को मिलना है. एक अप्रैल को ओपीएस में आने वाले कर्मचारियों का जीपीएफ एकाउंट भी खुलेगा. कैबिनेट मीटिंग के बाद ओपीएस से जुड़े फैसले की जानकारी कैबिनेट मंत्रियों जगत सिंह नेगी और रोहित ठाकुर ने दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने वादे को पूरा किया है.

एनपीएस में रहने का विकल्प खुला: कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यदि कोई कर्मचारी अभी भी एनपीएस के तहत ही रहना चाहता है तो उसे इस बारे में राज्य सरकार को सूचित करना होगा और अपनी सहमति सरकार को बतानी होगी. ओपीएस लागू करने पर राज्य सरकार वर्ष 2023-24 में 1000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी. कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पास किया है, जिसके तहत केंद्र सरकार एनपीएस कर्मचारियों की कंट्रीब्यूशन के 8000 करोड़ रुपये लौटाने का आग्रह किया गया है. हालांकि केंद्र सरकार यह पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि एनपीएस कंट्रीब्यूशन का पैसा केवल संबंधित कर्मचारी को रिटायरमेंट पर ही मिलेगा.

इस बारे में एनपीएस लागू करते समय जो समझौता हुआ था, उसमें यही शर्त थी. राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव कैबिनेट के जरिए पास करके केंद्र सरकार को भेजना है ताकि ऑन रिकॉर्ड यह दर्ज हो सके कि हिमाचल ने ओपीएस लागू करनी है और यह प्रस्ताव एक तरह से राज्य सरकार के फैसले की पुष्टि के लिए भी होगा.

ये भी पढ़ें: 'कैबिनेट में जनता को परेशान करने वाले निर्णय ले रही सरकार, जनहित के कार्यों पर केंद्रित करे ध्यान'

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आखिरकार ओपीएस लागू करने की दिशा में निर्णायक कदम उठा लिया है. शुक्रवार को शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में पहली अप्रैल से एनपीएस कंट्रीब्यूशन बंद करने का फैसला लिया गया. हालांकि, ओपीएस लागू करने से जुड़े सभी प्रावधान 17 मार्च को मुख्यमंत्री के बजट भाषण में सामने आएंगे. लेकिन, कैबिनेट बैठक में यह तय हो गया है कि अप्रैल 2023 से हिमाचल में ओपीएस लागू हो जाएगी.

बता दें कि ठीक एक साल पहले हिमाचल में जयराम सरकार सत्ता में थी और कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग को लेकर शिमला में विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे थे. उस समय कर्मचारियों का शिमला में स्वागत पानी की बौछारों से हुआ था. विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में प्रदेश भर के कर्मचारी एनपीएस संघ के बैनर तले शिमला में विधानसभा के बाहर पहुंचे थे. एक साल में ही तस्वीर कुछ इस तरह बदली कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने हिमाचल में ओपीएस लागू कर दी. तीन मार्च शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में ओपीएस के सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई और पहली अप्रैल 2023 से हिमाचल में बीस साल बाद ओपीएस फिर से लागू हो गई.

शुक्रवार को हुई बैठक में कांग्रेस सरकार ने फैसला लिया है कि जिन एनपीएस कर्मचारियों की रिटायरमेंट 15 मई 2003 के बाद हुई है, उनको भावी तिथि यानी प्रोस्पेक्टिव डेट से ओपीएस का लाभ दिया जाएगा. कैबिनेट ने ओपीएस के हिमाचल मॉडल से संबंधित सभी पहलुओं पर चर्चा के बाद फैसला लिया है कि भविष्य में जो भी कर्मचारी सरकारी सेवा में आएंगे, यानी जिनकी सरकारी नौकरी लगेगी, वे सभी ओपीएस की व्यवस्था में शामिल होंगे. अब मुख्यमंत्री के बजट भाषण के बाद ओपीएस की एसओपी और अधिसूचना का इंतजार है.

उम्मीद की जा रही है कि बजट सत्र के दौरान अथवा बजट सत्र की समाप्ति के तुरंत बाद अधिसूचना जारी हो जाएगी. शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में सबसे बड़ा एजेंडा ओपीएस ही था. वित्त विभाग ने इस बारे में संबंधित विभागों के साथ मिलकर सारी तैयारी की थी. इससे पहले मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने भी कई राउंड मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री के समक्ष ओपीएस लागू करने के तरीकों की जानकारी दी. कैबिनेट में एक-एक बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट के सभी मंत्री निरंतर बोल रहे थे कि जल्द ही ओपीएस पर फैसला होगा. हिमाचल में ओपीएस का लाभ 1.36 लाख कर्मचारियों को मिलना है. एक अप्रैल को ओपीएस में आने वाले कर्मचारियों का जीपीएफ एकाउंट भी खुलेगा. कैबिनेट मीटिंग के बाद ओपीएस से जुड़े फैसले की जानकारी कैबिनेट मंत्रियों जगत सिंह नेगी और रोहित ठाकुर ने दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने वादे को पूरा किया है.

एनपीएस में रहने का विकल्प खुला: कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यदि कोई कर्मचारी अभी भी एनपीएस के तहत ही रहना चाहता है तो उसे इस बारे में राज्य सरकार को सूचित करना होगा और अपनी सहमति सरकार को बतानी होगी. ओपीएस लागू करने पर राज्य सरकार वर्ष 2023-24 में 1000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी. कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पास किया है, जिसके तहत केंद्र सरकार एनपीएस कर्मचारियों की कंट्रीब्यूशन के 8000 करोड़ रुपये लौटाने का आग्रह किया गया है. हालांकि केंद्र सरकार यह पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि एनपीएस कंट्रीब्यूशन का पैसा केवल संबंधित कर्मचारी को रिटायरमेंट पर ही मिलेगा.

इस बारे में एनपीएस लागू करते समय जो समझौता हुआ था, उसमें यही शर्त थी. राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव कैबिनेट के जरिए पास करके केंद्र सरकार को भेजना है ताकि ऑन रिकॉर्ड यह दर्ज हो सके कि हिमाचल ने ओपीएस लागू करनी है और यह प्रस्ताव एक तरह से राज्य सरकार के फैसले की पुष्टि के लिए भी होगा.

ये भी पढ़ें: 'कैबिनेट में जनता को परेशान करने वाले निर्णय ले रही सरकार, जनहित के कार्यों पर केंद्रित करे ध्यान'

Last Updated : Mar 3, 2023, 10:32 PM IST
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