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OPS के लिए नए साल तक इंतजार: 10 दिन में पूरा नहीं होगा वादा, इन फार्मूलों पर काम कर रही सुक्खू सरकार

हिमाचल में सरकार बनाने से पहले कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान 10 दिन में ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल करने का वादा किया था. लेकिन फिलहाल ये मुमकिन नहीं लग रहा है. इसकी कई वजहें हैं, जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर

ओपीएस पर 10 दिन में नहीं होगा फैसला
ओपीएस पर 10 दिन में नहीं होगा फैसला
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Published : Dec 19, 2022, 6:54 PM IST

शिमला : कांग्रेस ने हिमाचल में ओपीएस वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद 10 दिन के भीतर ओपीएस बहाल कर दी जाएगी. कांग्रेस ने हिमाचल की सत्ता संभाल ली है, लेकिन दस दिन के भीतर OPS बहाली का वादा पूरा नहीं होगा. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कई बार दोहराया था कि दस दिन के भीतर ओपीएस की घोषणा होगी. डिप्टी सीएम ने मीडिया से भी कहा था कि कैबिनेट की जरूरत नहीं है, सीएम और डिप्टी सीएम मिलकर 10 दिन में वादा पूरा करेंगे. गौरतलब है कि हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग को लेकर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था, जिसे देखते हुए कांग्रेस ने नई सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में ओपीएस और एक लाख नौकरियां देने का वादा किया था. 8 दिसंबर को चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और 11 दिसंबर को सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. लेकिन 10 दिन वाला वाद पूरा होता नहीं दिख रहा है. (OPS in Himachal) (Himachal Govt on OPS)

मंत्रिमंडल गठन के बाद राय ली जाएगी- वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का मानना है कि पहले प्रॉपर तरीके से कैबिनेट का गठन हो जाए, फिर इस पर सभी मंत्रियों की राय लेकर घोषणा की जाए. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. ऐसे में 22 दिसंबर से तय विधानसभा सत्र भी अब टल गया है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ओपीएस बहाली सहित पहली कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरियों का वादा तय समय में पूरा नहीं होगा. (Sukhu Govt on OPS)

हिमाचल में कर्मचारियों ने ओपीएस की मांग को लेकर किया था प्रदेशभर में प्रदर्शन
हिमाचल में कर्मचारियों ने ओपीएस की मांग को लेकर किया था प्रदेशभर में प्रदर्शन

OPS पर सरकार की तैयारी- वहीं, सीएम के निर्देश पर वित्त विभाग के अफसर ओपीएस की बहाली को लेकर रोडमैप तैयार करने में जुटे हैं. हिमाचल में 1.12 लाख कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के तहत सेवारत हैं. वित्त विभाग ने सभी विभागों से कर्मचारियों का डाटा मंगवाया है. सभी विभागों में सभी वर्गों के कर्मचारियों की नियुक्ति तिथि से लेकर सर्विस रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कर्मचारियों को अपने वादे के अनुसार ओपीएस का लाभ देने के लिए गंभीर है. मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से कहा है कि सभी पहलुओं पर विस्तृत प्रेजेंटेशन तैयार की जाए. सरकार चाहती है कि ओपीएस बहाली से पहले सारे पहलुओं का अध्ययन अच्छे से कर लिया जाए, ताकि इसे लागू करने में कोई अड़चन ना आए. (Old Pension Scheme in Himachal)

अभी सुखविंदर सिंह सरकार का फोकस एक कॉर्पस फंड बनाने पर है. राज्य सरकार को भली-भांति अहसास है कि एनपीएस कॉन्ट्रीब्यूशन का पैसा जो पीएफआरडीए यानी पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी के पास जमा है, उसके मिलने में कई तकनीकी अड़चनें हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने वित्त विभाग को कहा है कि अपने स्तर पर कोई कार्पस फंड की व्यवस्था की संभावनाओं को तलाशा जाए. अभी राज्य सरकार अपने कार्यकाल यानी 2023 से 2027 तक के समय में रिटायर होने वाले कर्मचारियों को ओपीएस में शामिल करने की संभावना पर काम कर रही है.

कर्मचारियों की मांग को देखते हुए कांग्रेस ने किया था ओपीएस का वादा
कर्मचारियों की मांग को देखते हुए कांग्रेस ने किया था ओपीएस का वादा

पंजाब सरकार की नोटिफिकेशन का इंतजार- हिमाचल सरकार पड़ोसी राज्य पंजाब की तरफ से आगामी फैसले का भी इंतजार कर रही है. पंजाब ने घोषणा तो कर दी है, लेकिन नोटिफिकेशन अभी जारी नहीं हुई है. सीएम सुखविंदर सिंह ने अफसरों को कहा है कि पंजाब के पैटर्न का भी अध्ययन किया जाए. साथ ही अपने यहां की वित्तीय स्थिति और ओपीएस से पडऩे वाले बोझ का आकलन भी किया जाए. जहां तक पंजाब सरकार की बात है तो उनके कर्मचारियों का 16,746 करोड़ रुपए के करीब फंड एनपीएस कंट्रीब्यूशन के तौर पर केंद्र सरकार के पास जमा है. ये पैसा नियम के अनुसार राज्य सरकार को नहीं मिल सकता. वहीं, हिमाचल के कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन 6,500 करोड़ रुपए के करीब है, जो केंद्र के पास जमा है. पंजाब के पौने दो लाख कर्मचारी एनपीएस के तहत हैं, उन्हें ओपीएस में लाने का वादा किया गया था. हिमाचल के करीब 1.12 लाख कर्मचारी एनपीएस में हैं.

हालांकि केंद्र सरकार ने ये स्पष्ट किया है कि एनपीएस कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन राज्य सरकारों को वापिस नहीं किया जा सकता. लेकिन सुखविंदर सिंह सरकार ने कहा है कि वो हर हाल में अपने स्तर पर आवश्यक फंड का इंतजाम करेगी. फिलहाल, वादा तो दस दिन का था, लेकिन अब इसके लिए कर्मचारियों का सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग का इंतजार करना होगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना पॉजिटिव हैं और दिल्ली में ही क्वारंटाइन हैं. हिमाचल आने पर विधानसभा सत्र में शामिल होंगे और इस तरह ओपीएस पर घोषणा के लिए अब नए साल का इंतजार करना होगा.

ये भी पढ़ें: CM के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद हिमाचल विधानसभा का सत्र टला, जल्द होगा नई तारीखों का ऐलान

शिमला : कांग्रेस ने हिमाचल में ओपीएस वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद 10 दिन के भीतर ओपीएस बहाल कर दी जाएगी. कांग्रेस ने हिमाचल की सत्ता संभाल ली है, लेकिन दस दिन के भीतर OPS बहाली का वादा पूरा नहीं होगा. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कई बार दोहराया था कि दस दिन के भीतर ओपीएस की घोषणा होगी. डिप्टी सीएम ने मीडिया से भी कहा था कि कैबिनेट की जरूरत नहीं है, सीएम और डिप्टी सीएम मिलकर 10 दिन में वादा पूरा करेंगे. गौरतलब है कि हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग को लेकर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था, जिसे देखते हुए कांग्रेस ने नई सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में ओपीएस और एक लाख नौकरियां देने का वादा किया था. 8 दिसंबर को चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और 11 दिसंबर को सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. लेकिन 10 दिन वाला वाद पूरा होता नहीं दिख रहा है. (OPS in Himachal) (Himachal Govt on OPS)

मंत्रिमंडल गठन के बाद राय ली जाएगी- वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का मानना है कि पहले प्रॉपर तरीके से कैबिनेट का गठन हो जाए, फिर इस पर सभी मंत्रियों की राय लेकर घोषणा की जाए. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. ऐसे में 22 दिसंबर से तय विधानसभा सत्र भी अब टल गया है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ओपीएस बहाली सहित पहली कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरियों का वादा तय समय में पूरा नहीं होगा. (Sukhu Govt on OPS)

हिमाचल में कर्मचारियों ने ओपीएस की मांग को लेकर किया था प्रदेशभर में प्रदर्शन
हिमाचल में कर्मचारियों ने ओपीएस की मांग को लेकर किया था प्रदेशभर में प्रदर्शन

OPS पर सरकार की तैयारी- वहीं, सीएम के निर्देश पर वित्त विभाग के अफसर ओपीएस की बहाली को लेकर रोडमैप तैयार करने में जुटे हैं. हिमाचल में 1.12 लाख कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के तहत सेवारत हैं. वित्त विभाग ने सभी विभागों से कर्मचारियों का डाटा मंगवाया है. सभी विभागों में सभी वर्गों के कर्मचारियों की नियुक्ति तिथि से लेकर सर्विस रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कर्मचारियों को अपने वादे के अनुसार ओपीएस का लाभ देने के लिए गंभीर है. मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से कहा है कि सभी पहलुओं पर विस्तृत प्रेजेंटेशन तैयार की जाए. सरकार चाहती है कि ओपीएस बहाली से पहले सारे पहलुओं का अध्ययन अच्छे से कर लिया जाए, ताकि इसे लागू करने में कोई अड़चन ना आए. (Old Pension Scheme in Himachal)

अभी सुखविंदर सिंह सरकार का फोकस एक कॉर्पस फंड बनाने पर है. राज्य सरकार को भली-भांति अहसास है कि एनपीएस कॉन्ट्रीब्यूशन का पैसा जो पीएफआरडीए यानी पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी के पास जमा है, उसके मिलने में कई तकनीकी अड़चनें हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने वित्त विभाग को कहा है कि अपने स्तर पर कोई कार्पस फंड की व्यवस्था की संभावनाओं को तलाशा जाए. अभी राज्य सरकार अपने कार्यकाल यानी 2023 से 2027 तक के समय में रिटायर होने वाले कर्मचारियों को ओपीएस में शामिल करने की संभावना पर काम कर रही है.

कर्मचारियों की मांग को देखते हुए कांग्रेस ने किया था ओपीएस का वादा
कर्मचारियों की मांग को देखते हुए कांग्रेस ने किया था ओपीएस का वादा

पंजाब सरकार की नोटिफिकेशन का इंतजार- हिमाचल सरकार पड़ोसी राज्य पंजाब की तरफ से आगामी फैसले का भी इंतजार कर रही है. पंजाब ने घोषणा तो कर दी है, लेकिन नोटिफिकेशन अभी जारी नहीं हुई है. सीएम सुखविंदर सिंह ने अफसरों को कहा है कि पंजाब के पैटर्न का भी अध्ययन किया जाए. साथ ही अपने यहां की वित्तीय स्थिति और ओपीएस से पडऩे वाले बोझ का आकलन भी किया जाए. जहां तक पंजाब सरकार की बात है तो उनके कर्मचारियों का 16,746 करोड़ रुपए के करीब फंड एनपीएस कंट्रीब्यूशन के तौर पर केंद्र सरकार के पास जमा है. ये पैसा नियम के अनुसार राज्य सरकार को नहीं मिल सकता. वहीं, हिमाचल के कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन 6,500 करोड़ रुपए के करीब है, जो केंद्र के पास जमा है. पंजाब के पौने दो लाख कर्मचारी एनपीएस के तहत हैं, उन्हें ओपीएस में लाने का वादा किया गया था. हिमाचल के करीब 1.12 लाख कर्मचारी एनपीएस में हैं.

हालांकि केंद्र सरकार ने ये स्पष्ट किया है कि एनपीएस कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन राज्य सरकारों को वापिस नहीं किया जा सकता. लेकिन सुखविंदर सिंह सरकार ने कहा है कि वो हर हाल में अपने स्तर पर आवश्यक फंड का इंतजाम करेगी. फिलहाल, वादा तो दस दिन का था, लेकिन अब इसके लिए कर्मचारियों का सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग का इंतजार करना होगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना पॉजिटिव हैं और दिल्ली में ही क्वारंटाइन हैं. हिमाचल आने पर विधानसभा सत्र में शामिल होंगे और इस तरह ओपीएस पर घोषणा के लिए अब नए साल का इंतजार करना होगा.

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