शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार की पहली परीक्षा आज से शुरू होगी. हालांकि ये तीन दिन का शॉर्ट टर्म एग्जाम है, लेकिन इसी छोटी अवधि की परीक्षा से सरकार के पांच साल की झलक मिलेगी और साथ ही विपक्ष के तेवर भी दिखेंगे. धर्मशाला के तपोवन में विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter session of Himachal Assembly) के दौरान विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस सरकार द्वारा डी-नोटिफाई (Denotification of Institutions in Himachal) किए गए संस्थानों को लेकर हमला करेगा.
सत्ताधारी दल कांग्रेस भी पलटवार करते हुए कर्मचारी चयन आयोग में पेपर लीक जैसे मसले पर पूर्व सरकार को घेरेगा. साथ ही सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस बिना बजट के संस्थान खोलने के मामले को उठाकर भाजपा के वार का जवाब देगी. सेशन में हालांकि चर्चा के लिए बहुत कम समय है, लेकिन राज्यपाल के संक्षिप्त अभिभाषण के बाद सदन की कार्यवाही में तपिश जरूर होगी. धर्मशाला में चार से छह जनवरी के दरम्यान विधानसभा का शीतकालीन सत्र (CM Sukhvinder Singh Sukhu) शुरू हो रहा है.
सदन की कार्यवाही के पहले दिन प्रोटेम स्पीकर चंद्र कुमार नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे. उसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाएगी. अगले दिन विधिवत रूप से स्पीकर का चयन होगा. फिर राज्यपाल का अभिभाषण होगा. तीसरे व अंतिम दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा होगी. इसी दिन सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार बहसबाजी होगी. वहीं, शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर कांग्रेस और भाजपा विधायक दल की मीटिंग में देर रात तक दोनों दलों ने अपनी-अपनी रणनीति पर चर्चा की.
कांग्रेस विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में हुई तो भाजपा विधायक दल की मीटिंग में पूर्व सीएम तथा विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने अपने साथियों को सदन के भीतर की लड़ाई के लिए सूत्र दिए. वहीं, नई सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह व उनकी टीम का कांगड़ा जिला का पहला दौरा मंगलवार को हुआ. धर्मशाला में आभार रैली हुई. इस दौरान कांग्रेस के विधायक और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी मौजूद थीं.
मंच से सीएम सुखविंदर सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री (Deputy CM Mukesh Agnihotri) सहित धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने नई सरकार के कामकाज को लेकर अपना पक्ष रखा. सीएम सुखविंदर सिंह ने पहली ही कैबिनेट मीटिंग में ओपीएस बहाली के वादे को पूरा करने का संकल्प दोहराया. साथ ही महिलाओं को पंद्रह सौ रुपए प्रति माह की गारंटी वाले वादे पर भी सरकार का पक्ष रखा और कहा कि इसे पूरा करने के लिए पांच साल का समय है.
ओपीएस की बहाली कांग्रेस का वो मास्टर स्ट्रोक रहा है, जिसने चुनाव में भाजपा को चारों खाने चित्त किया था. अब सदन में इस वादे को लेकर कांग्रेस विपक्षी दल भाजपा के समक्ष नैतिक रूप से खुद को प्रबल दिखाएगी. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहले कभी न तो मंत्री पद संभाला था और न ही सरकार में किसी रूप में काम किया था. वे संगठन में ही सक्रिय रहे और सदन में विधायक के तौर पर उपस्थिति दर्ज करवाते रहे हैं, लेकिन अब वे सदन के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.
जाहिर है, सरकार के विधानसभा सेशन की पारी की शुरुआत में उन्हें फर्स्ट इंप्रेशन दर्ज करना होगा. फर्स्ट इंप्रेशन इज दि लास्ट इंप्रेशन की कहावत को सीएम सुखविंदर सिंह को याद रखना होगा. विपक्ष के हमलों को वे कैसे झेलेंगे, उसी से सीएम की आगामी संसदीय पारी की नींव रखी जाएगी. वैसे तो सत्ताधारी दल में भी कई प्रखर वक्ता हैं. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री पूर्व में मंत्री भी रह चुके हैं और संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर भी काम कर चुके हैं. इसके अलावा कांग्रेस में हर्षवर्धन चौहान, जगत सिंह नेगी आदि तेजतर्रार नेता हैं. वहीं, विपक्ष के पास हमलावर नेताओं की कमी नहीं हैं.
नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर, सतपाल सिंह सत्ती, बिक्रम सिंह ठाकुर, राकेश जम्वाल, विनोद कुमार आदि सत्ता पक्ष को जमकर घेरेंगे. ऐसे में सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष विपक्ष के हमलों की धार को भोथरा करने की चुनौती है. इसमें उन्हें डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का भरपूर साथ मिलेगा। उसके बाद सीएम सुखविंदर सिंह के सामने अपनी टीम के गठन यानी कैबिनेट विस्तार और फिर मार्च महीने में बजट सत्र में अपनी सरकार की दिशा तय करने की चुनौती है। फिलहाल, इस समय सभी की नजरें कल से शुरू होने वाले सेशन और फिर कैबिनेट विस्तार पर लगी हैं.
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