शिमला: हिमाचल में जहां भी अभी तक रेलवे नेटवर्क का जाल बिछा है वह सारा ब्रिटिशकालीन समय का है. इसके बाद से अभी तक प्रदेश में रेलवे के विस्तार को लेकर प्रकिया कछुआ चाल ही रही है. हिमाचल में रेल लाइन कहीं सर्वे तो कहीं फाइलों में ही दफन रही, लेकिन अब जब केंद्र सरकार अपना बजट पेश करने जा रही है तो प्रदेश के लोगों को यह आशा है कि इस बार बजट में हिमाचल में रेलवे विस्तार के लिए कुछ खास प्रावधान होगा जिससे कि रेल पहाड़ पर चढ़ पाए.
लोगों को उम्मीद है कि इस बार बजट में हिमाचल में लंबित पड़ी रेल परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार बजट में प्रवधान करेगी. लोगों का कहना है कि हिमाचल में रेलवे का विस्तार यहां के बागवानों और किसानों की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी बन सकती है. रेल मार्ग के माध्यम से बल्क में बागवान अपने सेब बाहर भेज सकते हैं जिसे सड़क मार्ग से पहुंचाने में उन्हें अभी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
लोगों को का कहना है कि रेलवे का विस्तार अगर शिमला से आगे होता है और ऊपरी शिमला तक रेल को पहुंचाया जाता है तो इससे हिमाचल का बागवान कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के साथ ही किसान भी अपनी आमदनी को चार गुना कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि बजट में केंद्र हिमाचल में रेलवे के विस्तार को लेकर कोई अहम योजना ले कर आए. वहीं, हिमाचल जैसे पहाड़ी क्षेत्र में रेलवे का विस्तार यहां पर्यटन की आपार संभावनाओं को बढ़ाने में मददगार होगा.
प्रदेश में अभी तक भानुपल्ली- बिलासपुर- बैरी रेललाइन का सर्वे पूरा किया जा रहा है. रेलवे विस्तार को लेकर जहां चंडीगढ़ से बद्दी तक लाइन बिछाने को लेकर सर्वे चल रहा है. वहीं, बिलासपुर तक रेल लाइन बिछाने की स्वीकृति मिल चुकी है और इसका काम भी शुरू हो चुका है.
बिलासपुर से लेह तक ब्रॉडगेज ही लाइन बिछेगी ओर बिलासपुर में तो इसका काम शुरू हो चुका है. यह देश की सबसे महत्वपूर्ण रेललाइन है. इसके अलावा बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ को रेल लाइन से जोड़ने के लिए भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है. वहीं, नंगल-तलवाड़ा लाइन और जगाधरी-पावंटा साहिब लाइन, ऊना से हमीरपुर और ऊना से होशियारपुर रेल लाइन का प्रस्ताव अभी भी ठंडे बस्ते में ही पड़े है. ऐसे में अब बजट से प्रदेश के लोगों को उम्मीद है कि इस बार इन लंबित प्रस्तावों पर सरकार विचार करेगी.
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