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नया वेतन आयोग: क्लर्क, पटवारी और वन रक्षकों ने बताया अपना दर्द 

हिमाचल में इन दिनों नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर हलचल (new pay commission in himachal)है. कर्मचारियों का प्रतिनिधि संगठन बेशक अधिकांश मांगों को पूरा करवाने का दावा कर रहा है, लेकिन कुछ वर्गों के कर्मचारी अभी भी संतुष्ट नहीं (Employees not satisfied with new pay commission)है. इसी कड़ी में 2010-11 में अनुबंध आधार पर भर्ती हुए कर्मचारियों ने सरकार से उन्हें हो रहे वित्तीय नुकसान से बचाने की मांग की है.

opinion of employees on new pay commission in himachal
नया वेतन आयोग
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Published : Feb 18, 2022, 7:20 PM IST

शिमला: हिमाचल में इन दिनों नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर हलचल (new pay commission in himachal)है. कर्मचारियों का प्रतिनिधि संगठन बेशक अधिकांश मांगों को पूरा करवाने का दावा कर रहा है, लेकिन कुछ वर्गों के कर्मचारी अभी भी संतुष्ट नहीं (Employees not satisfied with new pay commission)है. इसी कड़ी में 2010-11 में अनुबंध आधार पर भर्ती हुए कर्मचारियों ने सरकार से उन्हें हो रहे वित्तीय नुकसान से बचाने की मांग की है. 2010-11 में अनुबंध पर लिपिक/पटवारी//फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर भर्ती हुए और 2016 में नियमित हुए कर्मचारियों का कहना है कि इनको 2018 में हमें हायर पे स्केल मिला है. इन्होंने लगभग 6 साल का कॉन्ट्रेक्ट किया .2 साल का राइडर काट कर 10300-34800+3200 तक पहुंचे हैं.

उन्होंने कहा कि पंजाब ने 2.59 की जगह सिर्फ 2.25 का झुनझुना थमा दिया. यह सोच कर सब्र कर लिया कि चलो 35500 नहीं तो 30500 ही सही,लेकिन जब सरकार ने 30500 भी नियमितीकरण से देकर 2 साल बाद से दिया तथा 2 वर्ष का वेतन किसी भी स्केल में फिक्स नहीं किया और 2 साल के वेतन को 2006 के स्केल में ही रखा तो तो इससे बड़ा नुकसान हुआ है. इन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने किसी वर्ग को 2.59 किसी को 2.64 किसी को 2.67 किसी को 2.72 दिया, लेकिन लिपिक/पटवारी तथा फारेस्ट गार्ड को सिर्फ 2.25 देकर टाल दिया गया और इतना कम गुणांक देने के बाद यह गुणांक भी नियमितीकरण से न देकर 2 वर्ष बाद से दिया गया है। जो कि किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं है.

उन्होंने कहा कि वेतनमान की बड़ी विसंगति का सबसे बड़ा उदाहरण यह भी है कि लिपिक/पटवारी तथा फॉरेस्ट गार्ड को 2006 के वेतनमान में 5910+1900=7810 का वेतनमान दिया गया था, जबकि JBT को 8910 का वेतनमान दिया गया था. जिसका बेसिक पे में अन्तर 8910-7810=1100 रुपये था. अब 2016 के जो वेतमान जारी हुए, इनमें लिपिक/पटवारी/फॉरेस्ट गार्ड को मात्र 20200 का वेतनमान दिया गया ,जबकि JBT को 29700 का वेतनमान दिया गया है. इस तरह 2006 में बेसिक पे में जो 1100 रुपये का अंतर था आज वो 9500 रुपये का अंतर हो चुका है. इस तरह इन वर्गों के साथ बहुत नाइंसाफी हुई है.

कर्मचारियों के इस वर्ग की मांग है कि लिपिक/पटवारी/ फॉरेस्ट गार्ड को 2.59 की जगह 2.25 देकर पहले ही लगभग 10 हजार प्रतिमाह से अधिक का नुकसान हो चुका है. इसलिए इन वर्गों को और अधिक नुकसान न करते हुए उन्हें 30500 वेतनमान 2 वर्ष बाद कि बजाय नियमितीकरण की तिथि से ही दिया जाए. यदि सरकार 2 वर्ष बाद से ही वेतनमान देना चाहती है तो फिर इन वर्गों को 35500 पूरा वेतन दिया जाए न कि 30500 .हमारी मांग जायज और हमारी इस जायज मांग को हिमाचल सरकार जल्द पूरा करे. उल्लेखनीय है कि वीरवार को भी बड़ी संख्या में विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों ने अराजपत्रित कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर से मुलाकात कर अपनी मांगों के बारे में अवगत करवाया था. उस समय भी कर्मचारियों ने 2 साल के राइडर को हटाने की मांग जोरों से रखी थी. इसपर अश्वनी ठाकुर ने कहा था कि वह लगातार सरकार से राइडर को खत्म करने का मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : बड़ी खबर: इलाज के लिए दिल्ली एम्स में एडमिट हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

शिमला: हिमाचल में इन दिनों नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर हलचल (new pay commission in himachal)है. कर्मचारियों का प्रतिनिधि संगठन बेशक अधिकांश मांगों को पूरा करवाने का दावा कर रहा है, लेकिन कुछ वर्गों के कर्मचारी अभी भी संतुष्ट नहीं (Employees not satisfied with new pay commission)है. इसी कड़ी में 2010-11 में अनुबंध आधार पर भर्ती हुए कर्मचारियों ने सरकार से उन्हें हो रहे वित्तीय नुकसान से बचाने की मांग की है. 2010-11 में अनुबंध पर लिपिक/पटवारी//फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर भर्ती हुए और 2016 में नियमित हुए कर्मचारियों का कहना है कि इनको 2018 में हमें हायर पे स्केल मिला है. इन्होंने लगभग 6 साल का कॉन्ट्रेक्ट किया .2 साल का राइडर काट कर 10300-34800+3200 तक पहुंचे हैं.

उन्होंने कहा कि पंजाब ने 2.59 की जगह सिर्फ 2.25 का झुनझुना थमा दिया. यह सोच कर सब्र कर लिया कि चलो 35500 नहीं तो 30500 ही सही,लेकिन जब सरकार ने 30500 भी नियमितीकरण से देकर 2 साल बाद से दिया तथा 2 वर्ष का वेतन किसी भी स्केल में फिक्स नहीं किया और 2 साल के वेतन को 2006 के स्केल में ही रखा तो तो इससे बड़ा नुकसान हुआ है. इन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने किसी वर्ग को 2.59 किसी को 2.64 किसी को 2.67 किसी को 2.72 दिया, लेकिन लिपिक/पटवारी तथा फारेस्ट गार्ड को सिर्फ 2.25 देकर टाल दिया गया और इतना कम गुणांक देने के बाद यह गुणांक भी नियमितीकरण से न देकर 2 वर्ष बाद से दिया गया है। जो कि किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं है.

उन्होंने कहा कि वेतनमान की बड़ी विसंगति का सबसे बड़ा उदाहरण यह भी है कि लिपिक/पटवारी तथा फॉरेस्ट गार्ड को 2006 के वेतनमान में 5910+1900=7810 का वेतनमान दिया गया था, जबकि JBT को 8910 का वेतनमान दिया गया था. जिसका बेसिक पे में अन्तर 8910-7810=1100 रुपये था. अब 2016 के जो वेतमान जारी हुए, इनमें लिपिक/पटवारी/फॉरेस्ट गार्ड को मात्र 20200 का वेतनमान दिया गया ,जबकि JBT को 29700 का वेतनमान दिया गया है. इस तरह 2006 में बेसिक पे में जो 1100 रुपये का अंतर था आज वो 9500 रुपये का अंतर हो चुका है. इस तरह इन वर्गों के साथ बहुत नाइंसाफी हुई है.

कर्मचारियों के इस वर्ग की मांग है कि लिपिक/पटवारी/ फॉरेस्ट गार्ड को 2.59 की जगह 2.25 देकर पहले ही लगभग 10 हजार प्रतिमाह से अधिक का नुकसान हो चुका है. इसलिए इन वर्गों को और अधिक नुकसान न करते हुए उन्हें 30500 वेतनमान 2 वर्ष बाद कि बजाय नियमितीकरण की तिथि से ही दिया जाए. यदि सरकार 2 वर्ष बाद से ही वेतनमान देना चाहती है तो फिर इन वर्गों को 35500 पूरा वेतन दिया जाए न कि 30500 .हमारी मांग जायज और हमारी इस जायज मांग को हिमाचल सरकार जल्द पूरा करे. उल्लेखनीय है कि वीरवार को भी बड़ी संख्या में विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों ने अराजपत्रित कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर से मुलाकात कर अपनी मांगों के बारे में अवगत करवाया था. उस समय भी कर्मचारियों ने 2 साल के राइडर को हटाने की मांग जोरों से रखी थी. इसपर अश्वनी ठाकुर ने कहा था कि वह लगातार सरकार से राइडर को खत्म करने का मांग कर रहे हैं.

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