शिमला: हिमाचल में काफी समय से ड्राई स्पेल चल रहा (Dry spell in Himachal) है. इसका असर सेब के बगीचों पर पड़ गया है. सेब के बगीचों में से नमी गायब हो गई है, जिससे यह सूखे की चपेट में आ गए हैं. सरकार ने इसके लिए बागवानी विभाग (Himachal Horticulture Department) को एक करोड़ रुपए की राशि जारी की है. जिसका इस्तेमाल सूखे से निपटने के लिए किया जाएगा.
बागवानी विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए बागवानी विभाग द्वारा जिला कार्यालयों को एक करोड़ रुपये की धनराशि एवं आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. सूखे से हुए नुकसान का आकलन करने के पश्चात इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक सामग्री जैसे पौध सामग्री, पानी के टैंक, पाइप्स, दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए इस धनराशि का उपयोग किया जाएगा.
बगीचों में करें प्लास्टिक मल्च का इस्तेमाल: बागवानी विभाग के प्रवक्ता ने बागवानों को सलाह देते हुए बताया कि प्रदेश में इस स्थिति में नुकसान को कम करने के लिए वह नमी का संरक्षण करें. इसके लिए खेतों मे प्लास्टिक मल्च का प्रयोग करें. पेड़ के तौलिये में जैविक पदार्थ जैसे की सूखी घास एवं धान की तूडी इत्यादि का उपयोग नमी को संरक्षित करने के लिए भी किया जा सकता है. सूखे के दौरान पौधों में बोरोन और कैल्शियम की कमी हो जाती है. इस कमी को दूर करने के लिए 0.1 प्रतिशत बोरिक एसिड एवं 0.5 प्रतिशत कैल्शियम क्लोराइड का प्रयोग करें.
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बागवानों को सलाह दी गई है कि वे फलों के पेड़ों की कटाई एवं छंटाई (Growers should not do pruning till it rains) के कार्य तब पूरी तरह से बंद कर दें, जब तक कि बारिश न हो. ताकि इससे बगीचों को नुकसान न हो. शीतोष्ण फल पौधों को लगाने का आजकल उपयुक्त समय है. यह फल पौधे मार्च के महीने तक रोपित किये जा सकते हैं. लेकिन इस माह में इन फल पौधों का रोपण उपयुक्त रहेगा. टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी और अधिक ढलान वाले क्षेत्रों में साधारणतया फल पौधों को कंटूर विधि द्वारा लगाया जाना चाहिए. छोटे खेतों में बागवान खेतों के मध्य में उचित दूरी पर फलदार पौधों का रोपण करें.
खेतों की ढलान अंदर की ओर रखें, जिससे वर्षा के पानी का सही उपयोग हो सके और भूमि कटाव भी कम हो. प्रवक्ता ने बताया कि फल पौधे लगाते समय जड़ों को उनकी सही दिशा में फैला देना चाहिए. पौधों को पौधशाला की भांति ही स्वाभाविक गहराई तक दबा कर रोपित करें. मौसम की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए फल पौधों को लगाने के पश्चात इनकी सिंचाई अवश्य करें और इसमें मल्च का उपयोग करें. जिससे कि नमी को ज्यादा समय तक संजोकर रखा जा सके.
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