शिमला: कोरोना के चलते लगाए गए कर्फ्यू के बाद कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. वहीं, शिमला की लाइफ लाइन कहे जाने वाले कश्मीरी खान भी काम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में उनका यहां गुजारा करना मुश्किल हो गया था. कर्फ्यू के बाद से ही यह लोग सरकार से घर जाने की गुहार लगा रहे थे, लेकिन अनुमति नहीं दी जा रही थी.
वहीं, शुक्रवार को जिला प्रशासन ने कश्मीरी मजदूरों को जाने की अनुमति दी और इसके बाद दो दिन में 249 मजदूर कश्मीर के लिए रवाना हुए. शुक्रवार को देर रात 6 बसों में 168 मजदूर घर के लिए रवाना हुए थे. वहीं, शनिवार को 81 लोग 2 बसों और एक ट्रेवलर में जम्मू के लखनपुर बॉर्डर के लिए रवाना हुए. एक बस में 25 लोग सवार थे. लखनपुर बॉर्डर से इनके जाने की व्यवस्था जम्मू प्रशासन करेगा.
कश्मीरी मजदूरों का कहना है कि कोरोना को लेकर कर्फ्यू लगाया गया है, जिसके चलते वह काम नहीं कर पा रहे थे. यहां कई लोग एक साथ मस्जिद में रहते थे, जहां वह सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल भी नहीं रख पाए रहे थे. उन्होंने हिमाचल सरकार से घर जाने के लिए कर्फ्यू पास देने का आग्रह किया, जिसके बाद उन्हें शनिवार को अनुमति दी गई और अब वह घर जा रहे हैं. उनका कहना है कि यहां काम न कर पाने से खाने की समस्या भी आ रही थी. अब घर में अब खेतीबाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण करेंगे. उन्होंने हिमाचल सरकार का भी आभार व्यक्त किया है.
वहीं, कश्मीरी मजदूरों के प्रधान फयाज अहमद का कहना है कि यहां लोग दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, लेकिन कोरोना के चलते कर्फ्यू में वह काम नहीं कर पा रहे थे और घर जाना चाहते थे. जिला प्रशासन की अनुमति के बाद आज 81 लोग घर के लिए रवाना हुए हैं और शुक्रवार को 168 लोग घर गए थे.
200 मजदूर अभी भी शिमला में मौजूद
अभी भी दो सौ कश्मीरी खान जिला शिमला में ही हैं. इनमे से 150 कश्मीरी शिमला शहर में रह रहे हैं. कुछ लोग दूध और गैस की सप्लाई करने का काम कर रहे हैं. इसके अलावा बिजली के खंभों का काम करने वाले मजदूर भी यहीं रह रहे हैं, जबकि ऊपरी शिमला में भी 50 के करीब कश्मीरी खान दो तीन दिन में घर के लिए रवाना होंगे