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कालका-शिमला ट्रैक पर सजी कविताओं और गजलों की महफिल, बाबा भलखू को किया गया याद

विश्व धरोहर कालका-शिमला पर हिमालय मंच की ओर से बाबा भलखू की स्मृति में साहित्यकार यात्रा का आयोजन किया गया है. जिसमें वरिष्ठ कलाकारों के साथ-साथ युवा कलाकार भी भाग ले रहे है.

कालका-शिमला ट्रैक
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Published : Aug 11, 2019, 2:22 PM IST

शिमला: विश्व धरोहर कालका-शिमला पर साहित्यकार यात्रा का आयोजन किया गया है. जिसमें वरिष्ठ और युवा कलाकार साहित्यिक यात्रा पर निकले हैं. शिमला रेलवे स्टेशन से शुरू हुई यह साहित्यिक यात्रा बड़ोग स्टेशन तक जाएगी.


इस यात्रा की खास बात यह है कि इसमें वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ-साथ युवा कवियों ने भी यात्रा में शामिल होकर अपनी रूचि दिखाई है. यह दूसरी साहित्यिक यात्रा है जिसका आयोजन इस हैरिटेज कालका-शिमला ट्रैक पर हिमालय मंच की ओर से किया गया है.

वीडियो

मंच के अध्यक्ष और लेखक एसआर हरनोट ने बताया कि साहित्यिक यात्रा शिमला रेलवे स्टेशन से शुरू होकर बड़ोग स्टेशन तक चलेगी. जिसमें यात्रा के दौरान जो भी स्टेशन इस दौरान पड़ेंगे उसी के हिसाब से कविता, गजल, कहानी और संस्मरण के सत्र आयोजित होंगे.

उन्होंने बताया कि इस यात्रा को बाबा भलखू की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है. आपको बता दें कि बाबा भलखू का कालका-शिमला ट्रैक को बनाने में एक अतुलनीय योगदान रहा है. जब अंग्रेजी इंजीनियर भी कालका-शिमला रेलवे लाइन का निर्माण करने में विफल हो गए थे, तब बाबा भलखू ने अपनी छड़ी का ऐसा जादू दिखाया था कि इस ट्रैक की नपाई अपनी छड़ी से पूरी कर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में अंग्रेजों की मदद की थी.

शिमला: विश्व धरोहर कालका-शिमला पर साहित्यकार यात्रा का आयोजन किया गया है. जिसमें वरिष्ठ और युवा कलाकार साहित्यिक यात्रा पर निकले हैं. शिमला रेलवे स्टेशन से शुरू हुई यह साहित्यिक यात्रा बड़ोग स्टेशन तक जाएगी.


इस यात्रा की खास बात यह है कि इसमें वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ-साथ युवा कवियों ने भी यात्रा में शामिल होकर अपनी रूचि दिखाई है. यह दूसरी साहित्यिक यात्रा है जिसका आयोजन इस हैरिटेज कालका-शिमला ट्रैक पर हिमालय मंच की ओर से किया गया है.

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मंच के अध्यक्ष और लेखक एसआर हरनोट ने बताया कि साहित्यिक यात्रा शिमला रेलवे स्टेशन से शुरू होकर बड़ोग स्टेशन तक चलेगी. जिसमें यात्रा के दौरान जो भी स्टेशन इस दौरान पड़ेंगे उसी के हिसाब से कविता, गजल, कहानी और संस्मरण के सत्र आयोजित होंगे.

उन्होंने बताया कि इस यात्रा को बाबा भलखू की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है. आपको बता दें कि बाबा भलखू का कालका-शिमला ट्रैक को बनाने में एक अतुलनीय योगदान रहा है. जब अंग्रेजी इंजीनियर भी कालका-शिमला रेलवे लाइन का निर्माण करने में विफल हो गए थे, तब बाबा भलखू ने अपनी छड़ी का ऐसा जादू दिखाया था कि इस ट्रैक की नपाई अपनी छड़ी से पूरी कर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में अंग्रेजों की मदद की थी.

Intro:विश्व धरोहर कालका-शिमला पर एक बार फिर से 33 वरिष्ठ ओर युवा कलाकार साहित्यिक यात्रा पर निकले हैं। शिमला रेलवे स्टेशन से यह साहित्यिक यात्रा शुरू हुई है जो बड़ोग स्टेशन तक जाएगी। शिमला स्टेशन ट्रैन के एक डिब्बे में सभी साहित्यकार इस यात्रा के जुटे ओर अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरूआत ही कविता पाठ से की। इस यात्रा की ख़ास बात यह है कि इसमें वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ ही युवा कवियों ने भी रुचि दिखाई है और वह इस साहित्यिक यात्रा में शामिल हुए है। यह दूसरी साहित्यिक यात्रा है जिसका आयोजन इस हैरिटेज कालका-शिमला ट्रैक पर हिमालय मंच की ओर से किया गया है। Body:मंच के अध्यक्ष और लेखक एसआर हरनोट ने बताया कि साहित्यिक यात्रा शिमला रेलवे स्टेशन से शुरू होकर बड़ोग स्टेशन तक चलेगी। यात्रा के दौरान जाते और लौटते हुए जो भी स्टेशन इस दौरान पड़ेंगे उसी के हिसाब से कविता, गजल, कहानी और संस्मरण के सत्र आयोजित होंगे। उन्होंने बताया कि इस यात्रा को बाबा भलखू की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है। बाबा भलखू का इस ट्रैक को बनाने में एक अतुलनीय योगदान है। उन्होंने कहा कि शिमला से बड़ोग तक की यात्रा में पड़ने वाले स्टेशनों में समरहिल, तारा देवी,कैथलिघाट, कंडाघाट और बड़ोग स्टेशन पर अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे ओर साहित्यकार अपनी रचनाएं प्रस्तुत करेंगे। एसआर हरनोट ने बताया कि इस आयोजन को बाबा भलखू कि स्मृति में आयोजित किया जा रहा है। बाबा भलखू जिनका कालका शिमला ट्रैक को बनाने में एक अहम योगदान है। जब अंग्रेजी इंजीनियर भी कालका-शिमला रेलवे लाइन का निर्माण करने में विफल हो गए थे तब बाबा भलखू ने अपनी जादुई छड़ी का ऐसा जादू दिखाया था कि इस ट्रैक की नपाई अपनी छड़ी से पूरी कर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में अंग्रेजों की मदद की थी।

Conclusion:यही रेलवे ट्रैक आज विश्व धरोहर के रूप में अपनी पहचान विश्व भर में बनाए हुए हैं। हर वर्ष लाखों सैलानी इस ट्रैक के रोमांचकारी सफर का आनंद उठाने के लिए राजधानी शिमला पहुंचते हैं। बाबा भलखू के अतुलनीय योगदान को याद करते हुए और उन्हें इस साहित्यिक यात्रा को समर्पित करते हुए इस तरह के आयोजन कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर मंच की ओर से करवाए जा रहे हैं। मंच इस तरह के आयोजनों के लिए किसी की भी मदद नहीं लेता है और अपनी तरफ से ही यह आयोजन करते है जिससे लोगों के बीच जा कर साहित्य को उनसे रूबरू करवाया जा सके। चार दिवारी से निकल कर साहित्य लोगों के बीच जाए।
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