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शिमला में धूमधाम से मनाई गई बूढ़ी दिवाली, मौसम बना रुकावट

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Published : Nov 8, 2019, 6:48 PM IST

शिमला के ऊपरी स्थानों पर बूढ़ी दिवाली का त्योहार धूम-धाम से मनाया गया. एसडीएम ठियोग कृष्ण कुमार शर्मा मुखियातिथि रहे. कारदारों व स्थानीय लोगों ने मंदिर परिसर में आग के चारों ओर महाभारत व रामायण की चौपाइयों को पहाड़ी भाषा में गाकर विशेष नृत्य किया.

शिमला में धूमधाम से मनाई गई बूढ़ी दिवाली

शिमला: हिमाचल में पर्वों और उत्सवों को मनाने का अपना एक रीति रिवाज है. मेले ओर त्योहारों पर लोग अपनी मान्यताओं के साथ अपने पर्वों को मनाते हैं. इसी तरह से दिवाली के बाद ऊपरी शिमला के स्थानों पर बूढ़ी दिवाली का त्योहार भी मनाया जाता है.

ठियोग की पंचायत नागजूबड़ में प्रसिद्ध देवठी श्री कालू नाग देवता मंदिर धार कंदरू में एकादश बूढ़ी दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर एसडीएम ठियोग कृष्ण कुमार शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिनका स्वागत मंदिर के कारदारों और नव युवक मंडल किया. इस दौरान मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया और देवता की पूजा अर्चना कर लोगों ने आशीर्वाद लिया.

वीडियो रिपोर्ट.

बूढ़ी दिवाली के अवसर पर मंदिर के कारदारों व कल्यानों ने परंपरा के अनुसार दैडा जला कर दिवाली का शुभारंभ किया. इस अवसर पर कारदारों व स्थानीय लोगों ने मंदिर परिसर में आग के चारों ओर महाभारत व रामायण की चौपाइयों को पहाड़ी भाषा में गाकर विशेष नृत्य किया. कार्यक्रम में प्राचीन परंपरा के सूचक करियाला भी किया.

इस अवसर पर कई लोक कलाकारों ने पहाड़ी गानों पर प्रस्तुतियां पेश की, जिसका जनता ने भरपूर लुत्फ उठाया. हालांकि मौसम की वजह से कार्यक्रम में बाधा पड़ती रही, लेकिन लोगों ने ठंड के बावजूद भी कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया.

शिमला: हिमाचल में पर्वों और उत्सवों को मनाने का अपना एक रीति रिवाज है. मेले ओर त्योहारों पर लोग अपनी मान्यताओं के साथ अपने पर्वों को मनाते हैं. इसी तरह से दिवाली के बाद ऊपरी शिमला के स्थानों पर बूढ़ी दिवाली का त्योहार भी मनाया जाता है.

ठियोग की पंचायत नागजूबड़ में प्रसिद्ध देवठी श्री कालू नाग देवता मंदिर धार कंदरू में एकादश बूढ़ी दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर एसडीएम ठियोग कृष्ण कुमार शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिनका स्वागत मंदिर के कारदारों और नव युवक मंडल किया. इस दौरान मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया और देवता की पूजा अर्चना कर लोगों ने आशीर्वाद लिया.

वीडियो रिपोर्ट.

बूढ़ी दिवाली के अवसर पर मंदिर के कारदारों व कल्यानों ने परंपरा के अनुसार दैडा जला कर दिवाली का शुभारंभ किया. इस अवसर पर कारदारों व स्थानीय लोगों ने मंदिर परिसर में आग के चारों ओर महाभारत व रामायण की चौपाइयों को पहाड़ी भाषा में गाकर विशेष नृत्य किया. कार्यक्रम में प्राचीन परंपरा के सूचक करियाला भी किया.

इस अवसर पर कई लोक कलाकारों ने पहाड़ी गानों पर प्रस्तुतियां पेश की, जिसका जनता ने भरपूर लुत्फ उठाया. हालांकि मौसम की वजह से कार्यक्रम में बाधा पड़ती रही, लेकिन लोगों ने ठंड के बावजूद भी कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया.

Intro:हिमाचल में पर्वो ओर उत्सवों को मनाने का अपना एक रीति रिवाज है।मेले ओर त्यौहार पर लोग अपनी मान्यताओं के साथ अपने पर्वो को मनाते है। इसी तरह दीवाली के बाद ऊपरी शिमला के स्थानों पर बूढ़ी दीवाली का त्योहार भी मनाया जाता है।तहसील ठियोग की पँचायत नागजूबड़ में प्रसिद्ध देवठी श्री कालू नाग देवता मंदिर धार कंदरू में एकादश बूढ़ी दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर एसडीएम ठियोग कृष्ण कुमार शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। जिनका मन्दिर का कारदारों ओर नव युवक मंडल के लोगों ने स्वागत किया इस दौरान मन्दिर मो विशेष रूप से सजाया गया और देवता की पूजा अर्चना कर लोगो ने आशीर्वाद लिया।
। बूढ़ी दीवाली के अवसर पर मंदिर के कारदारो व कल्यानो द्वारा परम्परा अनुसार दैडा जला कर दिवाली का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर कारदारों व स्थानिय लोगों द्वारा मंदिर परिसर में आग के चारों ओर महाभारत और रामायण की चौपाइयों को पहाड़ी भाषा में गाकर विशेष नृत्य किया गया। कार्यक्रम में प्राचीन परंपरा के सूचक करियाला भी किया। इस अवसर पर कई लोक कलाकारों ने पहाड़ी गानों पर प्रस्तुतियां पेश की गई जिसका जनता ने भरपूर लुत्फ उठाया।हालांकि मौसम की वजह से कार्यक्रम में बाधा पड़ती रही लेकिन लोगों ने कड़क ठंड के बावजूद भी कार्यक्रम का पूरा आनंद लिया।

बाईट,, विसुअल ओर लोकगीत
Body:हिमाचल में पर्वो ओर उत्सवों को मनाने का अपना एक रीति रिवाज है।मेले ओर त्यौहार पर लोग अपनी मान्यताओं के साथ अपने पर्वो को मनाते है। इसी तरह दीवाली के बाद ऊपरी शिमला के स्थानों पर बूढ़ी दीवाली का त्योहार भी मनाया जाता है।तहसील ठियोग की पँचायत नागजूबड़ में प्रसिद्ध देवठी श्री कालू नाग देवता मंदिर धार कंदरू में एकादश बूढ़ी दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर एसडीएम ठियोग कृष्ण कुमार शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। जिनका मन्दिर का कारदारों ओर नव युवक मंडल के लोगों ने स्वागत किया इस दौरान मन्दिर मो विशेष रूप से सजाया गया और देवता की पूजा अर्चना कर लोगो ने आशीर्वाद लिया।
। बूढ़ी दीवाली के अवसर पर मंदिर के कारदारो व कल्यानो द्वारा परम्परा अनुसार दैडा जला कर दिवाली का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर कारदारों व स्थानिय लोगों द्वारा मंदिर परिसर में आग के चारों ओर महाभारत और रामायण की चौपाइयों को पहाड़ी भाषा में गाकर विशेष नृत्य किया गया। कार्यक्रम में प्राचीन परंपरा के सूचक करियाला भी किया। इस अवसर पर कई लोक कलाकारों ने पहाड़ी गानों पर प्रस्तुतियां पेश की गई जिसका जनता ने भरपूर लुत्फ उठाया।हालांकि मौसम की वजह से कार्यक्रम में बाधा पड़ती रही लेकिन लोगों ने कड़क ठंड के बावजूद भी कार्यक्रम का पूरा आनंद लिया।

बाईट,, विसुअल ओर लोकगीत
Conclusion:हिमाचल में पर्वो ओर उत्सवों को मनाने का अपना एक रीति रिवाज है।मेले ओर त्यौहार पर लोग अपनी मान्यताओं के साथ अपने पर्वो को मनाते है। इसी तरह दीवाली के बाद ऊपरी शिमला के स्थानों पर बूढ़ी दीवाली का त्योहार भी मनाया जाता है।तहसील ठियोग की पँचायत नागजूबड़ में प्रसिद्ध देवठी श्री कालू नाग देवता मंदिर धार कंदरू में एकादश बूढ़ी दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर एसडीएम ठियोग कृष्ण कुमार शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। जिनका मन्दिर का कारदारों ओर नव युवक मंडल के लोगों ने स्वागत किया इस दौरान मन्दिर मो विशेष रूप से सजाया गया और देवता की पूजा अर्चना कर लोगो ने आशीर्वाद लिया।
। बूढ़ी दीवाली के अवसर पर मंदिर के कारदारो व कल्यानो द्वारा परम्परा अनुसार दैडा जला कर दिवाली का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर कारदारों व स्थानिय लोगों द्वारा मंदिर परिसर में आग के चारों ओर महाभारत और रामायण की चौपाइयों को पहाड़ी भाषा में गाकर विशेष नृत्य किया गया। कार्यक्रम में प्राचीन परंपरा के सूचक करियाला भी किया। इस अवसर पर कई लोक कलाकारों ने पहाड़ी गानों पर प्रस्तुतियां पेश की गई जिसका जनता ने भरपूर लुत्फ उठाया।हालांकि मौसम की वजह से कार्यक्रम में बाधा पड़ती रही लेकिन लोगों ने कड़क ठंड के बावजूद भी कार्यक्रम का पूरा आनंद लिया।

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