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लॉकडाउन में हिमाचल में सड़क हादसों में आई भारी कमी, मानवीय भूल से 90 फीसदी हादसे

पूरे देश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी पिछले 2 महीने से पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है और जरूरी सेवाएं उपलब्ध करवाने वाले वाहन ही सड़कों पर चल रहे हैं. 2 महीनों के दौरान गाड़ियों के पहिये थमे रहे और इस दौरान सड़क हादसों में कमी आना लाजमी था. लॉकडाउन के दौरान पिछले 2 महीने में 21 मार्च से 15 मई तक प्रदेश में 61 सड़क दुर्घटनाओं में 23 लोगों की मौत हुई है और 89 लोग घायल हुए हैं.

road accidents in Himachal
लॉकडाउन के दौरान हिमाचल में सड़क हादसों में आई भारी कमी.
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Published : May 31, 2020, 5:09 PM IST

शिमला: देश के साथ-साथ हिमाचल की सड़कों पर पसरे सन्नाटे को 2 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. लॉकडाउन की शुरुआत के साथ ही हिमाचल सरकार ने प्रदेश में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया था. कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन और कर्फ्यू ने हर घर से लेकर कारोबार तक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, लेकिन इस लॉकडाउन के कुछ अच्छे असर भी देखने को मिले हैं. ये असर सड़क हादसों में कमी के रूप में देखने को मिला है. पूरे देश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी पिछले 2 महीने से पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है और जरूरी सेवाएं उपलब्ध करवाने वाले वाहन ही सड़कों पर चल रहे हैं. 2 महीनों के दौरान गाड़ियों के पहिये थमे रहे और इस दौरान सड़क हादसों में कमी आना लाजमी था.

2019 और 2020 में सड़क हादसों के आंकड़े

पिछले 2 महीनों में सड़क हादसे और उन हादसों में मरने वालों के आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं. हिमाचल में हर साल औसतन 3 हजार सड़क हादसे होते हैं, जिनमें औसतन 1200 से ज्यादा लोगों की मौत और 5000 से ज्यादा लोग जख्मी होते हैं. लॉकडाउन के दौरान पिछले 2 महीने में 21 मार्च से 15 मई तक प्रदेश में 61 सड़क दुर्घटनाओं में 23 लोगों की मौत हुई है और 89 लोग घायल हुए हैं. पिछले साल इसी दौरान 258 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई थी और सड़क हादसों की संख्या भी वर्तमान की तुलना में अधिक थी, लेकिन लॉकडाउन के इस काल में सड़कों पर केवल 5 प्रतिशत ट्रैफिक है.

2019 में जनवरी से मई तक हुए इतने हादसे

साल 2019 में जनवरी महीने से मई तक प्रदेश में 1168 सड़क हादसे हुए, जिनमें 430 लोगों ने अपनी जान गवाई जबकि 2155 लोग घायल हुए. इस साल जनवरी महीने में 191 सड़क हादसों में 71 लोगों की जान गई और 325 लोग घायल हुए. फरवरी में भी 193 सड़क हादसों में 65 लोगों की जान और 260 लोग घायल हुए. इस साल मार्च में 160 हादसे सड़क हादसे हुए, जिसमें 67 लोगों की जान गई और 299 लोग घायल हुए. 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन और हिमाचल में कर्फ्यू की शुरुआत हुई थी. इसके चलते अप्रेल महीने में लॉकडाउन जारी रहा और इस दौरान प्रदेशभर में 44 हादसों में 16 लोगों की मौत हुई और 61 लोग घायल हुए.

लॉकडाउन के दौरान जिलावार सड़क हादसों का विवरण

लॉकडाउन के समय 21 मार्च से 14 मई 2020 के दौरान जिलावार हादसों की बात करें तो सबसे ज्यादा हादसे शिमला और उसके बाद मंडी जिले में हुए है. शिमला में लॉकडाउन के दौरान 19 सड़क हादसों में 8 लोगों की मौत और 28 लोग घायल हुए. इस दौरान मंडी में 10 सड़क हादसों में 4 लोगों की मौत हुई और 16 लोग घायल हुए. इसके अलावा सिरमौर जिला में भी 7 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई और 11 लोग घायल हुए.कुल्लू में 5 सड़क दुर्घटनाओं में 7 लोग घायल हुए. लॉकडाउन में 21 मार्च से 14 मई के दौरान सबसे कम हादसे चंबा और किन्नौर जिले में हुए. चंबा में दो सड़क दुर्घटनाओं में 2 की मौत और 4 लोग घायल हुए. इस दौरान किन्नौर में 1 हादसा पेश आया.

क्या कहना है परिवहन विभाग के निर्देशक का

परिवहन निर्देशक जेएम पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लॉकडाउन के बाद से शुरुआती दौर में सड़क हादसों के ग्राफ में काफी तेजी आई थी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ वाहन चलाने की छूट पर प्रदेश में सड़क हादसे बढ़ गए. पब्लिक ट्रांसपोर्ट ना होने से सड़कें और नेशनल हाईवे खाली थे और वाहन चालकों ने ना तो स्पीड का ध्यान रखा और ना ही नियमों का पालन किया. इस कारण ओवर स्पीड से हादसे होने लगे. 21 मार्च से लेकर 14 मई तक हुए सड़क हादसों में 90 फीसदी मानवीय भूल और 70 फीसदी ओवरस्पीड के कारण हुए हैं. उन्होंने बताया कि 5 फीसदी हादसे सड़क पर वाहन मोड़ने की गलती और 6.5 प्रतिशत हादसे नशे में गाड़ी चलाने के कारण हुए हैं.

जागरूकता अभियान से हादसों में आई कमी

कैप्टन जेएम पठानिया के अनुसार कोरोना संकट से पहले हिमाचल प्रदेश में परिवहन विभाग ने विशेष अभियान चलाया था. अभियान का मकसद सड़क हादसों की रफ्तार को जागरूकता के जरिए रोकना था और इसमें कामयाबी भी हासिल हुई थी. अगस्त 2019 में सड़क हादसों पर जागरूकता के लिए चलाए गए अभियान के बाद 5 महीनों में 10 फीसदी सड़क हादसे कम हुए थे. परिवहन आयुक्त ने बताया कि सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को जागरूकता अभियान के जरिए ओवरस्पीड और नशे में वाहन चलाने की प्रवृत्ति को रोकने के निर्देश दिए गए है.

हादसों का जिम्मेदार कौन

लॉकडाउन के दौरान हादसों में कमी तो आई है, लेकिन कर्फ्यू में भी हादसे और उनमें लोगों की जान जाना प्रशासन व सरकार पर कई सवाल खड़े करता है. हिमाचल में हर हादसे का कारण कभी खस्ताहाल गाड़ियों पर तो कभी खराब सड़कों पर फोड़ा जाता है. कभी हादसों के लिए पैराफीट और क्रैश बैरियर की कमी तो कभी लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया जाता है. ड्राइवर से लेकर आम लोगों और सबसे ज्यादा सरकार को इस ओर जरूरी कदम उठाने होंगे, जिससे अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर ये देवभूमि हादसों के हिमाचल में तब्दील ना हो.

शिमला: देश के साथ-साथ हिमाचल की सड़कों पर पसरे सन्नाटे को 2 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. लॉकडाउन की शुरुआत के साथ ही हिमाचल सरकार ने प्रदेश में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया था. कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन और कर्फ्यू ने हर घर से लेकर कारोबार तक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, लेकिन इस लॉकडाउन के कुछ अच्छे असर भी देखने को मिले हैं. ये असर सड़क हादसों में कमी के रूप में देखने को मिला है. पूरे देश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी पिछले 2 महीने से पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है और जरूरी सेवाएं उपलब्ध करवाने वाले वाहन ही सड़कों पर चल रहे हैं. 2 महीनों के दौरान गाड़ियों के पहिये थमे रहे और इस दौरान सड़क हादसों में कमी आना लाजमी था.

2019 और 2020 में सड़क हादसों के आंकड़े

पिछले 2 महीनों में सड़क हादसे और उन हादसों में मरने वालों के आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं. हिमाचल में हर साल औसतन 3 हजार सड़क हादसे होते हैं, जिनमें औसतन 1200 से ज्यादा लोगों की मौत और 5000 से ज्यादा लोग जख्मी होते हैं. लॉकडाउन के दौरान पिछले 2 महीने में 21 मार्च से 15 मई तक प्रदेश में 61 सड़क दुर्घटनाओं में 23 लोगों की मौत हुई है और 89 लोग घायल हुए हैं. पिछले साल इसी दौरान 258 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई थी और सड़क हादसों की संख्या भी वर्तमान की तुलना में अधिक थी, लेकिन लॉकडाउन के इस काल में सड़कों पर केवल 5 प्रतिशत ट्रैफिक है.

2019 में जनवरी से मई तक हुए इतने हादसे

साल 2019 में जनवरी महीने से मई तक प्रदेश में 1168 सड़क हादसे हुए, जिनमें 430 लोगों ने अपनी जान गवाई जबकि 2155 लोग घायल हुए. इस साल जनवरी महीने में 191 सड़क हादसों में 71 लोगों की जान गई और 325 लोग घायल हुए. फरवरी में भी 193 सड़क हादसों में 65 लोगों की जान और 260 लोग घायल हुए. इस साल मार्च में 160 हादसे सड़क हादसे हुए, जिसमें 67 लोगों की जान गई और 299 लोग घायल हुए. 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन और हिमाचल में कर्फ्यू की शुरुआत हुई थी. इसके चलते अप्रेल महीने में लॉकडाउन जारी रहा और इस दौरान प्रदेशभर में 44 हादसों में 16 लोगों की मौत हुई और 61 लोग घायल हुए.

लॉकडाउन के दौरान जिलावार सड़क हादसों का विवरण

लॉकडाउन के समय 21 मार्च से 14 मई 2020 के दौरान जिलावार हादसों की बात करें तो सबसे ज्यादा हादसे शिमला और उसके बाद मंडी जिले में हुए है. शिमला में लॉकडाउन के दौरान 19 सड़क हादसों में 8 लोगों की मौत और 28 लोग घायल हुए. इस दौरान मंडी में 10 सड़क हादसों में 4 लोगों की मौत हुई और 16 लोग घायल हुए. इसके अलावा सिरमौर जिला में भी 7 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई और 11 लोग घायल हुए.कुल्लू में 5 सड़क दुर्घटनाओं में 7 लोग घायल हुए. लॉकडाउन में 21 मार्च से 14 मई के दौरान सबसे कम हादसे चंबा और किन्नौर जिले में हुए. चंबा में दो सड़क दुर्घटनाओं में 2 की मौत और 4 लोग घायल हुए. इस दौरान किन्नौर में 1 हादसा पेश आया.

क्या कहना है परिवहन विभाग के निर्देशक का

परिवहन निर्देशक जेएम पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लॉकडाउन के बाद से शुरुआती दौर में सड़क हादसों के ग्राफ में काफी तेजी आई थी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ वाहन चलाने की छूट पर प्रदेश में सड़क हादसे बढ़ गए. पब्लिक ट्रांसपोर्ट ना होने से सड़कें और नेशनल हाईवे खाली थे और वाहन चालकों ने ना तो स्पीड का ध्यान रखा और ना ही नियमों का पालन किया. इस कारण ओवर स्पीड से हादसे होने लगे. 21 मार्च से लेकर 14 मई तक हुए सड़क हादसों में 90 फीसदी मानवीय भूल और 70 फीसदी ओवरस्पीड के कारण हुए हैं. उन्होंने बताया कि 5 फीसदी हादसे सड़क पर वाहन मोड़ने की गलती और 6.5 प्रतिशत हादसे नशे में गाड़ी चलाने के कारण हुए हैं.

जागरूकता अभियान से हादसों में आई कमी

कैप्टन जेएम पठानिया के अनुसार कोरोना संकट से पहले हिमाचल प्रदेश में परिवहन विभाग ने विशेष अभियान चलाया था. अभियान का मकसद सड़क हादसों की रफ्तार को जागरूकता के जरिए रोकना था और इसमें कामयाबी भी हासिल हुई थी. अगस्त 2019 में सड़क हादसों पर जागरूकता के लिए चलाए गए अभियान के बाद 5 महीनों में 10 फीसदी सड़क हादसे कम हुए थे. परिवहन आयुक्त ने बताया कि सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को जागरूकता अभियान के जरिए ओवरस्पीड और नशे में वाहन चलाने की प्रवृत्ति को रोकने के निर्देश दिए गए है.

हादसों का जिम्मेदार कौन

लॉकडाउन के दौरान हादसों में कमी तो आई है, लेकिन कर्फ्यू में भी हादसे और उनमें लोगों की जान जाना प्रशासन व सरकार पर कई सवाल खड़े करता है. हिमाचल में हर हादसे का कारण कभी खस्ताहाल गाड़ियों पर तो कभी खराब सड़कों पर फोड़ा जाता है. कभी हादसों के लिए पैराफीट और क्रैश बैरियर की कमी तो कभी लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया जाता है. ड्राइवर से लेकर आम लोगों और सबसे ज्यादा सरकार को इस ओर जरूरी कदम उठाने होंगे, जिससे अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर ये देवभूमि हादसों के हिमाचल में तब्दील ना हो.

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