ETV Bharat / state

क्या हिमाचल में भी लगेगा पटाखों पर बैन? NGT ने 18 राज्यों को भेजा नोटिस - एनजीटी का नोटिस

पटाखों पर रोक के लिए दायर याचिका पर एनजीटी ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. बता दें कि एनजीटी ने 23 राज्यों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ने आपके राज्य में पटाखों पर रोक लगा दी जाए.

एनजीटी, पटाखों की बिक्री पर रोक
कॉन्सेप्ट फोटो
author img

By

Published : Nov 5, 2020, 5:13 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 5:19 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना संकट के दौरान पटाखों पर रोक लगाने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 9 नवंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

23 राज्यों के 122 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब

एनजीटी ने जिन राज्यों को नोटिस जारी किया है उनमें आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा,पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. इन राज्यों के 122 शहरों में वायु प्रदूषण तय सीमा से काफी ज्यादा है. एनजीटी ने इन राज्यों से पूछा है कि जिन 122 शहरों में वायु प्रदूषण तय सीमा से ज्यादा है क्या वहां पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है?

वीडियो

ओडिशा और राजस्थान ने पटाखे पर लगाई रोक

एनजीटी ने पाया कि ओडिशा और राजस्थान सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पटाखों पर रोक लगाने का फैसला किया है. ओडिशा में दस नवंबर से 30 नवंबर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. राजस्थान सरकार ने किसी भी तरह के पटाखे के बेचने और उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. राजस्थान सरकार ने पटाखे बेचने वाले पर दस हजार रुपये जबकि पटाखे फोड़नेवाले पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. एनजीटी ने भोपाल एनजीटी के बेंच में पटाखे पर रोक के लिए दायर याचिका को भी अपने यहां ट्रांसफर कर दिया है.

पिछले 2 नवंबर को एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या 7 से 30 नवंबर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकता है. एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान के अलावा दिल्ली पुलिस कमिश्नर , केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर 5 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा बढ़ने की आशंका

बता दें कि ये याचिका इंडियन सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी नेटवर्क की ओर से संतोष गुप्ता ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा और गंभीर होने की संभावना है. इसलिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखा जलाए जाने पर रोक के लिए कदम उठाया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि ग्रीन पटाखे मौजूदा समस्या का हल नहीं है. याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि त्योहारों के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है.

कोरोना के केस दिल्ली में रोजाना 15 हजार तक जा सकते हैं जबकि फिलहाल पांच हजार रोजाना आ रहे हैं. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर गौर किया है जिसमें वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की बात की गई है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना की स्थिति पर गौर नहीं किया है.

वायु प्रदूषण और कोरोना का गहरा संबंध है

एनजीटी ने कहा कि जो रिपोर्ट आ रही है उसके मुताबिक दिल्ली में वायु की गुणवत्ता और खराब हो सकती है और कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 410 से 450 के बीच है जो काफी खतरनाक है. इस स्थिति में सांस लेने में तकलीफ, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दूसरी बीमारियां हो सकती हैं. विशेषज्ञों की राय के मुताबिक वायु प्रदुषण और कोरोना का गहरा संबंध है और वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना के बढ़ने का भी खतरा ज्यादा है. एनजीटी ने इस मामले पर मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील राज पंजवानी और शिवानी घोष को एमिकस क्युरी नियुक्त किया है.

नई दिल्ली: कोरोना संकट के दौरान पटाखों पर रोक लगाने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 9 नवंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

23 राज्यों के 122 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब

एनजीटी ने जिन राज्यों को नोटिस जारी किया है उनमें आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा,पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. इन राज्यों के 122 शहरों में वायु प्रदूषण तय सीमा से काफी ज्यादा है. एनजीटी ने इन राज्यों से पूछा है कि जिन 122 शहरों में वायु प्रदूषण तय सीमा से ज्यादा है क्या वहां पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है?

वीडियो

ओडिशा और राजस्थान ने पटाखे पर लगाई रोक

एनजीटी ने पाया कि ओडिशा और राजस्थान सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पटाखों पर रोक लगाने का फैसला किया है. ओडिशा में दस नवंबर से 30 नवंबर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. राजस्थान सरकार ने किसी भी तरह के पटाखे के बेचने और उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. राजस्थान सरकार ने पटाखे बेचने वाले पर दस हजार रुपये जबकि पटाखे फोड़नेवाले पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. एनजीटी ने भोपाल एनजीटी के बेंच में पटाखे पर रोक के लिए दायर याचिका को भी अपने यहां ट्रांसफर कर दिया है.

पिछले 2 नवंबर को एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या 7 से 30 नवंबर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकता है. एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान के अलावा दिल्ली पुलिस कमिश्नर , केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर 5 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा बढ़ने की आशंका

बता दें कि ये याचिका इंडियन सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी नेटवर्क की ओर से संतोष गुप्ता ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा और गंभीर होने की संभावना है. इसलिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखा जलाए जाने पर रोक के लिए कदम उठाया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि ग्रीन पटाखे मौजूदा समस्या का हल नहीं है. याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि त्योहारों के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है.

कोरोना के केस दिल्ली में रोजाना 15 हजार तक जा सकते हैं जबकि फिलहाल पांच हजार रोजाना आ रहे हैं. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर गौर किया है जिसमें वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की बात की गई है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना की स्थिति पर गौर नहीं किया है.

वायु प्रदूषण और कोरोना का गहरा संबंध है

एनजीटी ने कहा कि जो रिपोर्ट आ रही है उसके मुताबिक दिल्ली में वायु की गुणवत्ता और खराब हो सकती है और कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 410 से 450 के बीच है जो काफी खतरनाक है. इस स्थिति में सांस लेने में तकलीफ, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दूसरी बीमारियां हो सकती हैं. विशेषज्ञों की राय के मुताबिक वायु प्रदुषण और कोरोना का गहरा संबंध है और वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना के बढ़ने का भी खतरा ज्यादा है. एनजीटी ने इस मामले पर मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील राज पंजवानी और शिवानी घोष को एमिकस क्युरी नियुक्त किया है.

Last Updated : Nov 5, 2020, 5:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.