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मनाली और मैक्लोडगंज में निर्माण कार्य पर लगा प्रतिबंध, NGT ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने मनाली व मैक्लोडगंज में निर्माण पर तुरंत पाबंदी लगाने के निर्देश जारी किए हैं. एनजीटी ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों द्वारा दी गई रिपोर्ट की पालना रिपोर्ट तीन महीने में ईमेल करने के निर्देश दिए हैं.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण
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Published : Aug 2, 2019, 1:08 PM IST

Updated : Aug 2, 2019, 6:52 PM IST

शिमला: एनजीटी ने मनाली व मैक्लोडगंज में निर्माण पर तुरंत पाबंदी लगाने के निर्देश जारी किए हैं. एनजीटी की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को मंजूर करते हुए एनजीटी ने प्रदेश सरकार को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य एसपी वांगड़ी और के रामाकृष्णन व विशेषज्ञ सदस्य नगीन नंदा ने निर्देश दिए हैं कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों द्वारा दी गई रिपोर्ट की पालना रिपोर्ट तीन महीने में ईमेल करें.

गौरतलब है कि एनजीटी ने मनाली व मैक्लोडगंज की स्थिति को लेकर देश भर के विशेषज्ञ संस्थानों की विषेशज्ञों की एक समिति गठित कर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे. समिति ने दर्जनों सिफारिशें के साथ अपनी रिपोर्ट एनजीटी को दी, जिस पर एनजीटी ने समिति की तमाम सिफारिशें को मंजूर कर प्रदेश सरकार को इन्हें लागू करने के आदेश दिए हैं.

ये भी पढ़ें-हंसराज रघुवंशी के नाम रही अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले के चौथी सांस्कृतिक संध्या, स्टेज पर पहुंचते ही मचाया धमाल

हालांकि, राज्य सरकार की ओर से एनजीटी में दलील दी गई कि जिन बिंदुओं पर सुनवाई की जा रही है वे उसके क्षेत्राधिकार में नहीं है. एनजीटी ने सरकार की इस दलील को नजरअंदाज कर दिया और विशेषज्ञ समिति ने कहा कि मैक्लोडगंज व मनाली नगर परिषद क्षेत्र में अतिरिक्त आबादी और सैलानियों को एडजेस्ट करने की कतई क्षमता नहीं बची है.मनाली में नए निर्माण पर पूर्ण पाबंदी की सिफारिश की जाती है. सिर्फ लोगों के अपने लिए आवासीय भवनों व सरकारी इमारतों का ही निर्माण किया जा सकता है. बाकी निर्माण की इजाजत तभी दी जा सकती है जब ठोस कचरा प्रबंधन व जलापूर्ति का इंतजाम होगा.

विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि ठोस कचरा प्रबंधन की क्षमता 2018 में ही पूरी हो चुकी है व एक सैलानी का बोझ भी नहीं सहा जा सकता. अब इंतजार व देखने का समय नहीं बचा है. इसी तरह जलापूर्ति की क्षमता भी 2019-20 में कभी भी पूरी हो सकती है. अभी 56234 स्थानीय आबादी और 4745 सैलानियों को घरेलू सप्लाई व टैंकरों से रोजाना जलापूर्ति की जा रही है.1.82 एमएलडी का सिर्फ एक एसटीपी होने की वजह से गंदे पानी का संकट अलग से उभर गया है. इसके अलावा आरएसपीएम और एसपीएम 2025 से 2031 के बीच कभी विस्फोटक बन सकता है. ऐसे में सरकार को वाहनों से निकलने वाले धुएं, यातायात प्रबंधक पर फोकस करने की जरूरत है.

विशेषज्ञ समिति ने कहा कि डिकंजेशन करने के लिए ब्रौ, पुरानी मनाली और ब्यास नदी के दोनों किनारों पर सैटेलाइट टाउन विकसित करने की सिफारिश की है. एनजीटी ने मैकेनिकल मल्टी लेवल पार्किंग बनाने की भी सिफारिश की है. विशेषज्ञ समिति ने निर्माण संहिता का पालन करने की सिफारिश की है.समित ने कहा कि 4 अप्रैल 1905 के भूकंप के समय जो मिट्टी के आवरण की स्थिति थी आज भी वही स्थिति है. जबकि आज आबादी और निर्माण में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है, ऐसे में बहुत ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद है. समिति ने माइक्रो लैंडस्लाइड जोनेशन मैपिंग की सिफारिश की की है. मैक्लोडगंज को लेकर कहा है कि ये फाल्ट लाइन में पड़ता है. इनकी जोन मैपिंग की जानी चाहिए.

समित ने कहा कि मनाली में यातायात की बहुत समस्या है. मनाली के के द्वार पर बहुमंजिला पार्किंग बनाई जानी चाहिए व यहां से आगे वाहनों को नहीं जाने देना चाहिए. बस स्टैंड को भी शहर से बाहर स्थानातंरित कर देना चाहिए. मैक्लोडगंज को लेकर समिति ने कहा कि यहां पर पहले से आरएसपीएम ज्यादा दर्ज हो रहा है.

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शिमला: एनजीटी ने मनाली व मैक्लोडगंज में निर्माण पर तुरंत पाबंदी लगाने के निर्देश जारी किए हैं. एनजीटी की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को मंजूर करते हुए एनजीटी ने प्रदेश सरकार को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य एसपी वांगड़ी और के रामाकृष्णन व विशेषज्ञ सदस्य नगीन नंदा ने निर्देश दिए हैं कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों द्वारा दी गई रिपोर्ट की पालना रिपोर्ट तीन महीने में ईमेल करें.

गौरतलब है कि एनजीटी ने मनाली व मैक्लोडगंज की स्थिति को लेकर देश भर के विशेषज्ञ संस्थानों की विषेशज्ञों की एक समिति गठित कर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे. समिति ने दर्जनों सिफारिशें के साथ अपनी रिपोर्ट एनजीटी को दी, जिस पर एनजीटी ने समिति की तमाम सिफारिशें को मंजूर कर प्रदेश सरकार को इन्हें लागू करने के आदेश दिए हैं.

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हालांकि, राज्य सरकार की ओर से एनजीटी में दलील दी गई कि जिन बिंदुओं पर सुनवाई की जा रही है वे उसके क्षेत्राधिकार में नहीं है. एनजीटी ने सरकार की इस दलील को नजरअंदाज कर दिया और विशेषज्ञ समिति ने कहा कि मैक्लोडगंज व मनाली नगर परिषद क्षेत्र में अतिरिक्त आबादी और सैलानियों को एडजेस्ट करने की कतई क्षमता नहीं बची है.मनाली में नए निर्माण पर पूर्ण पाबंदी की सिफारिश की जाती है. सिर्फ लोगों के अपने लिए आवासीय भवनों व सरकारी इमारतों का ही निर्माण किया जा सकता है. बाकी निर्माण की इजाजत तभी दी जा सकती है जब ठोस कचरा प्रबंधन व जलापूर्ति का इंतजाम होगा.

विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि ठोस कचरा प्रबंधन की क्षमता 2018 में ही पूरी हो चुकी है व एक सैलानी का बोझ भी नहीं सहा जा सकता. अब इंतजार व देखने का समय नहीं बचा है. इसी तरह जलापूर्ति की क्षमता भी 2019-20 में कभी भी पूरी हो सकती है. अभी 56234 स्थानीय आबादी और 4745 सैलानियों को घरेलू सप्लाई व टैंकरों से रोजाना जलापूर्ति की जा रही है.1.82 एमएलडी का सिर्फ एक एसटीपी होने की वजह से गंदे पानी का संकट अलग से उभर गया है. इसके अलावा आरएसपीएम और एसपीएम 2025 से 2031 के बीच कभी विस्फोटक बन सकता है. ऐसे में सरकार को वाहनों से निकलने वाले धुएं, यातायात प्रबंधक पर फोकस करने की जरूरत है.

विशेषज्ञ समिति ने कहा कि डिकंजेशन करने के लिए ब्रौ, पुरानी मनाली और ब्यास नदी के दोनों किनारों पर सैटेलाइट टाउन विकसित करने की सिफारिश की है. एनजीटी ने मैकेनिकल मल्टी लेवल पार्किंग बनाने की भी सिफारिश की है. विशेषज्ञ समिति ने निर्माण संहिता का पालन करने की सिफारिश की है.समित ने कहा कि 4 अप्रैल 1905 के भूकंप के समय जो मिट्टी के आवरण की स्थिति थी आज भी वही स्थिति है. जबकि आज आबादी और निर्माण में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है, ऐसे में बहुत ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद है. समिति ने माइक्रो लैंडस्लाइड जोनेशन मैपिंग की सिफारिश की की है. मैक्लोडगंज को लेकर कहा है कि ये फाल्ट लाइन में पड़ता है. इनकी जोन मैपिंग की जानी चाहिए.

समित ने कहा कि मनाली में यातायात की बहुत समस्या है. मनाली के के द्वार पर बहुमंजिला पार्किंग बनाई जानी चाहिए व यहां से आगे वाहनों को नहीं जाने देना चाहिए. बस स्टैंड को भी शहर से बाहर स्थानातंरित कर देना चाहिए. मैक्लोडगंज को लेकर समिति ने कहा कि यहां पर पहले से आरएसपीएम ज्यादा दर्ज हो रहा है.

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Intro:शिमला। एनजीटी ने मनाली व मैकलोड़गंज में निर्माण पर तुरंत पांबदी लगाने के निर्देश जारी किए है। एनजीटी की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को मंजूर करते हुए एनजीटी ने प्रदेश सरकार को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्त आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य एसपी वांगड़ी और के रामाकृष्णन व विशेषज्ञ सदस्य नगीन नंदा ने निर्देश दिए हैं कि एनजीटी ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों द्वारा दी गई रिपोर्ट की पालना रिपोर्ट तीन महीने के भीतर ईमेल करें.

एनजीटी ने मनाली व मकलोडगंज की स्थिति को लेकर देश भर के विशेषज्ञ संस्थानों की विषेशज्ञों की एक समिति गठित कर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। समिति ने दर्जनों सिफारिशें के साथ अपनी रिपोर्ट एनजीटी को दी। जिस पर एनजीटी ने समिति की तमाम सिफारिशें को मंजूर कर प्रदेश सरकार को इन्हें लागू करने के आदेश दिए है।
Body:हालांकि राज्य सरकार की ओर से एनजीटी में दलील दी गई कि जिन बिंदुओं पर सुनवाई की जा रही है वह उसके क्षेत्राधिकार में नहीं है। एनजीटी ने सरकार की इस दलील को नजरअंदाज कर दिया और विशेषज्ञ समिति ने कहा कि मैकलोडगंज व मनाली नगर परिषद क्षेत्र में अतिरिक्त आबादी और सैलानियों को एडजेस्ट करने की कतई क्षमता नहीं बची है। मनाली में नए निर्माण पर पूर्ण पाबंदी की सिफारिश की जाती है। केवल लोगों के अपने लिए आवासीय भवनों व सरकारी इमारतों का ही निर्माण किया जा सकता है। बाकी निर्माण की इजाजत तभी दी जा सकती है जब ठोस कचरा प्रबंधन व जलापूर्ति का इंतजाम नहीं हो जाता ।

विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि ठोस कचरा प्रबंधन की क्षमता 2018 में ही पूरी हो चुकी है व एक सैलानी का बोझ भी नहीं सहा जा सकता। अब इंतजार व देखने का समय नहीं बचा है। इसी तरह जलापूर्ति की क्षमता भी 2019 -20 में कभी भी पूरी हो सकती है। अभी 56234 स्थानीय आबादी और 4745 सैलानियों को घरेलू सप्लाई व टैंकरों से रोजाना जलापूर्ति की जा रही है। 1.82एमएलडी का केवल एक एसटीपी होने की वजह से गंदे पानी का संकट अलग से उभर गया है। इसके अलावा आरएसपीएम और एसपीएम 2025 से 2031 के बीच कभी विस्फोटक बन सकता है। ऐसे में सरकार को वाहनों से निकलने वाले धुएं, यातायात प्रबंधक पर फोकस करने की जरूरत है। विशेषज्ञ समिति ने कहा कि डिकंजेशन करने के लिए ब्रौ, पुरानी मनाली और ब्यास नदी के दोनों किनारों पर सेटेलाइट टाउन विकसित करने की सिफारिश की है। एनजीटी ने मैकेनिकल मल्टी लेवल पार्किंग बनाने की भरी सिफारिश की है । विशेषज्ञ समिति ने निर्माण संहिता का पालन करने की सिफारिश की है। समित ने कहा कि 4 अप्रैल 1905 के भूकंप के समय जो मिटटी के आवरण की स्थिति थी आज भी वही स्थिति है। चूंकि आज आबादी और निर्माण में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है ऐसे में बहुत ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद है। समिति ने माइक्रो लैंडस्लाइड जोनेशन मैपिंग की सिफारिश की की है। मैकलोडगंज को लेकर कहा है कि यह फाल्ट लाइन में पड़ता है। इनकी जोन मैपिंग की जानी चाहिए।

Conclusion:समित ने कहा कि मनाली में यातायात की विकट समस्या है। मनाली के के द्वार परबहु मंजिला पार्किंग बनाई जानी चाहिए व यहां से आगे वाहनों को नहीं जाने देना चाहिए। बस स्टैड को भी शहर से बाहर स्थानातंरित कर देना चाहिए। मकलोड़गंज को लेकर समिति ने कहा कि यहां पर पहले से आरएसपीएम ज्यादा दर्ज हो रहा है।
Last Updated : Aug 2, 2019, 6:52 PM IST
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