शिमला: हिमाचल के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक शैक्षणिक सत्र के मध्य में सेवानिवृत नहीं होंगे. शिक्षकों की सेवानिवृत्ति 31 मार्च को होगी. वहीं, शिक्षकों के तबादले शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही अप्रैल में होंगे. तबादलों को लेकर शिक्षक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे.
गौरतलब है कि अब शिक्षकों के आपसी समूह बना कर करवाए जाने वाली तबादलों का खेल नहीं चलेगा. तबादले से पहले महकमा शिक्षकों से उनकी पसंद के स्टेशन अर्थात स्कूल को लेकर भी पूछेगी. अंतर्जनपदीय तबादलों के साथ-साथ सामान्य तबादलों को लेकर भी समय सीमा तय होगी.
बता दें कि प्रदेश में सरकार की प्रस्तावित तबादला नीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है. इसे जल्द ही कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. शिक्षकों की तबादला नीति को लेकर शनिवार को राज्य सचिवालय में विभागीय मंत्री सुरेश भारद्वाज की अधिकारियों के साथ अहम बैठक हुई.
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बैठक में बताया गया कि शिक्षकों के कार्य निष्पादन व तैनाती को भी उनकी गोपनीय रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा. प्रस्तावित शिक्षक तबादला एक्ट के मसौदे के मुताबिक कोई भी शिक्षक एक स्कूल में 5 साल से ज्यादा अवधि तक नहीं रह सकेंगे. तबादलों की दृष्टि से हिमाचल के 5 जोन ए, बी, सी,डी और ई बनाए जाएंगे.
सेवाकाल के दौरान हर एक शिक्षक को हर जोन में सेवाएं देना अनिवार्य होगा. ए और बी जोन प्रदेश के सुगम क्षेत्र होंगे. सी, डी और ई क्रमश: दुर्गम, अति दुर्गम और जनजातीय क्षेत्र में आएंगे. ए और बी जोन के सुगम क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे स्कूल-कॉलेज शिक्षकों को कम से कम पांच साल के बाद बदला जाएगा. दुर्गम, जनजातीय व अति दुर्गम जोन में सेवाएं दे रहे शिक्षकों के तीन साल बाद तबादले होंगे.
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षकों की प्रस्तावित तबादला नीति को लेकर आयोजित बैठक में कई सुझाव आए हैं. सुझावों को पॉलिसी में शामिल किया जाएगा. पॉलिसी का ड्राफ्ट फाइनल करने से पहले सभी से राय ली जाएगी. पॉलिसी पर कैबिनेट में चर्चा होगी. कैबिनेट चाहेगा तो इसमें बदलाव कर सकता है.
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शिक्षा मंत्री ने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसके साथ ही स्कूलों में तैनात वाटर कैरियर को नियमित करने के लिए समय अवधि कम करने को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई. वाटर केरियर जिन्हें नियमित करने की अवधि 14 साल है, उसे कम करने पर विचार किया जाएगा.