शिमला: प्रदेश के एकमात्र कैंसर अस्पताल में नए भवन पर 5.78 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे. लोक निर्माण विभाग ने भवन को बनाने का कार्य शुरू कर दिया है. यह भवन 5 मंजिला होगा, जिसमें मरीजों को ठहरने की व्यवस्था भी की जाएगी.
विभाग का दावा है कि ढेढ़ साल के अंदर इस भवन को मरीजों के लिए संर्पित किया जाएगा. यह भवन पुराने भवन के साथ ही पार्किंग की जगह पर बन रहा है. भवन के बनने से अब प्रदेश के कैंसर मरीजों को काफी राहत मिलेगी. कैंसर अस्पताल में अक्सर मरीजों को ठहरने की सुविधा नहीं मिल पाती थी.
1986 में बने इस कैंसर अस्पताल की हालत दनयनीय हो गई थी. ऐसे में यहां पर मरीजों को अपना उपचार करवाने में काफी दिक्कतें आती हैं. कैंसर पीड़ित मरीज को आईजीएमसी समय बिताते हैं. कैंसर अस्पताल में जगह का इतना अभाव है कि लोगों को बाहर फर्श पर भी सोने के लिए जगह नहीं मिलती है. ऐसे में नया भवन मिलने से मरीजों की मुश्किलें काफी हद तक कम होंगी.
बता दें कि 1986 से लेकर अब तक पहली बार अस्पताल में मरीजों की सुविधाओं के लिए 45 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. भवन के साथ-साथ अस्पताल में मशनरी और अन्य चीजें भी स्थापित होनी है. भवन बनाने का कार्य 2012 से लटका हुआ था. पहले अस्पताल के पास जगह को लेकर विवाद चला हुआ था और बाद में भवन निर्माण को लेकर एनजीटी की तलवार लटक गई थी. ऐसे में भवन का कार्य 7 सालों से लंबित में पड़ा हुआ था. एनजीटी. की अनुमति मिलने के बाद अब भवन बनाने का कार्य पीडबल्यूडी को सौंपा गया है.
कैंसर अस्पताल प्रशासन 14 करोड़ रुपये की लागत से लिनीयर एक्सीलिटर मशीन स्थापित करेगा और जैसे ही नया भवन बनकर तैयार होगा, ये मशीन भवन में स्थापित कर दी जाएगी. मशीन स्थापित होने से कैंसर के मरीजों का आसानी से इलाज होगा. दरअसल मशीन स्थापित करने के लिए जगह का अभाव था और नया भवन बनने से जगह का अभाव खत्म हो जाएगा. ऐसे में हिमाचल के कैंसर पीड़ित मरीज अब पीजीआई रैफर नहीं किये जाएंगे.
लोगों का कहना है कि जब नया भवन बनकर तैयार होगा तो यहां पर बिस्तरों की संख्या भी बढ़नी चाहिए, ताकि मरीजों को ठहरने में कोई दिक्कतें न आए. कैंसर अस्पताल में मरीजों की संख्या तो बढ़ती जा रही है, लेकिन बिस्तरों की संख्या नहीं बढ़ी है. अस्पताल में मात्र 42 बिस्तर है, जिसमें 13 बिस्तर महिला मरीजों और 24 बिस्तर पुरूष मरीजों के लिए है. जबकि आपातकालीन वार्ड में 5 बिस्तर की सुविधा है. यहां ओपीडी में रोजाना 100 से 120 मरीज चैकप करवाने आते हैं, जिसमें से 10 से 15 को उपचार के लिए भर्ती कर दिया जाता है. ऐसे में मरीज बाहर बेंचों पर सोने को मजबूर होते हैं.
कैंसर विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनीष ने बताया कि भवन बनाने का कार्य पीडबल्यूडी को सौंपा गया है. इसी भवन में लिनीयर एक्सीलिटर मशीन भी स्थापित होगी. प्रदेश मरीजों को इलाज के लिए अब दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ेगी. अस्पताल प्रशासन की ओर से ये मरीजों को हर सुविधा देने की कोशिश की जाएगी.