रामपुर: भारत में सभी मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं. आपने कई ऐसे मंदिर देखे होंगे जहां पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित होगा, तो कहीं पर पुरुषों का. लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां पर दंपति का मंदिर में एक साथ पूजा करना अशुभ साबित हो सकता है. ये मंदिर है माता श्राई कोटि. माता श्राई कोटि का ये मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की तहसील रामपुर की कुहल पंचायत में है. यहां पर पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं कर सकते, उनका साथ में पूजा करना यहां पर बिल्कुल वर्जित है.
दंपती एक साथ नहीं कर सकते माता के दर्शन- मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में दंपति एक साथ दर्शन व पूजन नहीं कर सकते हैं. यदि कोई भी दंपति द्वारा ऐसा किया जाता है तो उनके साथ कोई न कोई अनहोनी घट जाती है. यह मंदिर श्राई कोटि माता के नाम से पूरे हिमाचल में प्रसिद्ध है. इस मंदिर में दंपती जाते तो हैं पर एक बार में एक ही दर्शन करता है. यहां पहुंचने वाले दंपती में अलग-अलग समय में प्रतिमा के दर्शन करते हैं.
![मंदिर समुद्र तल से लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18031069_a.png)
एक साथ दर्शन न करने की ये है मान्यता- मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने को कहा था. कार्तिकेय अपने वाहन पर बैठकर भ्रमण पर निकल गए. वहीं, गणेश जी ने माता-पिता के चक्कर लगा कर कहा कि माता-पिता के चरणों में ही सारा ब्रह्मांड स्थापित है. इसके बाद कार्तिकेय जी ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए तब तक गणेश जी का विवाह हो चूका था. इसके बाद वह गुस्सा हो गए और उन्होंने कभी विवाह न करने का संकल्प लिया.
दंपति इसलिए नहीं करते यहां पर एक साथ पूजा- श्राई कोटी के मंदिर में दरवाजे पर आज भी गणेश जी सपत्नीक स्थापित हैं. कार्तिकेय जी के विवाह न करने के प्रण से माता पार्वती बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने कहा कि जो पति-पत्नी यहां उनके दर्शन करेंगे वह एक दूसरे से अलग हो जाएंगे. इसी वजह से आज भी यहां पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते. यह मंदिर सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
![हिमाचल प्रदेश के रामपुर में स्थित है माता श्राई कोटि का मंदिर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18031069_b.png)
शिमला से इस रूट से जा सकते है श्राई कोटि मंदिर- शिमला पहुंचने के बाद यहां वाहन और बस के माध्यम से नारकंडा, रामपुर तकलेच, देवठी गावं के रास्ते से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है. यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां पर अत्यधिक सुंदर दृश्य देखने को मिलता है. चोरों और बर्फ से बारा महिने ढकी पहाड़ियां नजर आती हैं. वहीं, यहां पर माता के दर्शन के लिए हर साल हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां पर श्रद्धालु हिमाचल के साथ-साथ बाहरी राज्यों से भी पहुंचते हैं.
चैत्र नवरात्रि में मंदिर में होती है श्रद्धालुओं की भीड़- वहीं, जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी कृष्ण देव शर्मा ने बताया कि 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि व हिन्दू नववर्ष की विक्रम संवत 2080 इस दिन से शुरू होने वाली है. जिसके लिए मंदिर में भी इसको लेकर विशेष तैयारियां की गई है. उन्होंने बताया कि नवरात्रि के समय में यहां पर काफी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं और इस दौरान माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
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