शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में इन दिनों एमआरआई मशीन खराब है. जिसकी वजह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन दिनों मरीजों की संख्या में भी बढ़ौतरी देखी जा रही है. ऐसे में डॉक्टर मरीजों को बाहर से एमआरआई करवाने को लिख रहे हैं. मरीजों को भारी पैसे खर्च करा निजी लैब में एमआरआई करवाने जाने पड़ रहा है. मशीन कब तक ठीक होगी, इसको लेकर अस्पताल प्रशासन अभी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है.
IGMC में MRI मशीन खराब होने से बढ़ी परेशानी: आईजीएमसी शिमला में एमआरआई मशीन खराब है. इससे मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई है. एमआरआई जांच कराने के लिए मरीजों को निजी लैब में जान पड़ रहा है. वहीं, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मशीन को ठीक करवाने के लिए तकनीशियन को बुलाया गया है, लेकिन अभी तक मशीन ठीक नहीं हो पाई है. आईजीएमसी में एमआरआई की यह मशीन काफी पुरानी है. इस मशीन के सहारे सैकड़ों मरीज है. यह मशीन ज्यादातर खराब ही रहती है.
प्राइवेट लैब में MRI की फीस 6000 से शुरू: आईजीएमसी प्रशासन ने सरकार को कई बार नई मशीन लगाने के लिए पत्र लिखा है. उसके बावजूद भी सरकार नई मशीन स्थापित करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. आईजीएमसी में एक दिन में 3000 से 3500 के बीच ओपीडी मरीज पहुंचे है. इनमें से डॉक्टर्स कई मरीज को एमआरआई के लिए भेजते है. आईजीएमसी में एमआरआई 2600 से शुरू है, जबकि निजी लैब में 6000 से शुरूआत है. वहीं, आईजीएमसी में कार्डधारक मरीजों के लिए निशुल्क सुविधा है, लेकिन मशीन खरीब होने की वजह से कार्डधारक मरीज भी पैसे खर्च करने को मजबूर हैं. मरीज एमआरआई करवाने के लिए आयुष्मान व हिमकेयर योजना का लाभ भी नहीं उठा पा रहे है.
सीटी स्कैन के लिए मिल रही लंबी डेट: वहीं, आईजीएमसी में सीसीटी स्कैन करवाना भी मुश्किल हो गया है. सीटी स्कैन करवाने को 15 से 20 दिनों बाद की डेट दी जा रही है. यहां मरीज को डॉक्टर ओपीडी में चेक तो कर लेते है, लेकिन जब टेस्ट लिखे जाते हैं तो, मरीज की और ज्यादा दिक्क्तें बढ़ जाती है. स्थिति यह बन चुकी है कि नार्मल टेस्ट की रिपोर्ट तो दूसरे या तीसरे दिन आ जाती हैं. वहीं, डॉक्टर अगर सीटी स्कैन करवाने को कहते है तो, मरीजों की परेशानियां बढ़ जाती है.
मरीजों की बढ़ रही परेशानी: यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आईजीएमसी हिमाचल का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां पर भी मरीज को सीटी स्कैन करवाने के लिए लंबी डेट दी जा रही है. मरीजों को तब तक चिकित्सक दवाईयां नहीं देता है, जब तक टेस्ट की रिपोर्ट नहीं आती है. मरीजों को सारे टेस्ट करवाने के लिए दो सप्ताह लग जाते हैं. ऐसे में तब तक मरीज और ज्यादा बीमार हो जाता है. यही नहीं, बल्कि मरीजों को पहले घर जाना पड़ता और और फिर से दोबारा टेस्ट करवाने के लिए आना पड़ता है. इस स्थिति में मरीजों के पैसे भी अधिक खर्च हो जाते है.
आईजीएमसी शिमला के एमएस डॉ राहुल रॉव ने बताया कि एमआरआई मशीन को शीघ्र ही ठीक करवाया जाएगा. वहीं सीटी स्कैन के लिए लंबी डेट तो नहीं दी जाती है, लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने के चलते कई बार सीटी स्कैन करवाने के लिए कुछ दिनों बाद की डेट दी जाती है. सभी मरीजों के टेस्ट एक ही दिन या दो दिन में नहीं हो पाते हैं. आईजीएमसी में सीटी स्कैन की एक और नई मशीन एक सप्ताह के अंदर स्थापित होगी. शीघ्र ही यह परेशानी दूर होगी.