शिमलाः प्रदेश के 11 जिलों की 91 तहसीलों और उप-तहसीलों में बंदरों को एक साल की अवधि के लिए पीड़क जन्तु (वर्मिन) घोषित किया गया है. वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह मामला बार-बार केन्द्र सरकार के समक्ष रखा और कहा कि प्रदेश में वानरों के कारण मनुष्य और फसलों को क्षति पहुंच रही है. उन्होंने बताया कि इस समस्या के निपटारे के लिए वानरों को पीड़क जन्तु घोषित करना आवश्यक है. इस संदर्भ में केन्द्र सरकार ने 14 फरवरी को अधिसूचना जारी कर वानरों को 91 तहसीलों एवं उप-तहसीलों में पीड़क जन्तु घोषित कर दिया है, जिसका प्रकाशन भारत के राजपत्र में 21 फरवरी को किया गया. यह अधिसूचना एक वर्ष की अवधि तक लागू रहेगी.
दरअसल 24 मई को बंदरों को हिमाचल के दस जिलों की 38 तहसीलों एवं उप-तहसीलों में पीड़क जन्तु घोषित किया गया था, जिसकी अवधि को 20 दिसबंर 2017 में एक वर्ष के लिए बढ़ाई गई थी. गोविन्द ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में वन क्षेत्रों के बाहर वानरों द्वारा मनुष्यों एवं खेती को हानि पहुंचाने के मामले सामने आ रहे थे. इसलिए इस समस्या को प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार के समक्ष रखा. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों के फलस्वरूप 91 तहसीलों एवं उप-तहसीलों में वानरों को पीड़क जन्तु घोषित करवाने में सफलता हासिल हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि इससे सभी प्रदेशवासियों विशेषकर किसानों एवं बागवानों को राहत मिलेगी. उन्होंने इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री व केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री का आभार व्यक्त किया है.