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मिड-डे मील वर्कर्स को 4 महीने से नहीं मिल रहा वेतन, उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के भी आरोप

हिमाचल प्रदेश में काम करने वाले मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को बीते 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. वेतन न मिलने से इन कार्यकर्ताओं के लिए घर-परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो गया है. इन दिनों जब महंगाई आसमान छू रही है, जिससे उनके घर-परिवार के लिए भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है.

mid day meal workers, मिड-डे मील वर्कर्स
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Published : Jul 20, 2021, 3:03 PM IST

शिमलाः कोरोना ने हर वर्ग को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस बीच हिमाचल प्रदेश में काम करने वाले मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को बीते 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. वेतन न मिलने से इन कार्यकर्ताओं के लिए घर-परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो गया है. अपनी मांगों को लेकर आज मिड-डे मील वर्कर ने शिक्षा निदेशालय के बाहर हल्ला बोला. मिड-डे मील वर्कर सरकार से उनके लिए स्थाई नीति बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.

मिड-डे मील वर्कर संघ की अध्यक्ष हिमी देवी ने कहा कि बीते 18 सालों से वह 33 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी के हिसाब से काम कर रहे हैं. इन दिनों जब आज महंगाई आसमान छू रही है, तो उनके घर-परिवार के लिए भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है.

इस बीच उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके लिए स्थाई नीति बनाई जाए और उन्हें नियमित किया जाए. इसके अलावा मिड-डे मील वर्करों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्रदेश में एमटीएस की भर्ती में मिड-डे मील वर्कर को वरीयता दी जाए.

वीडियो रिपोर्ट.

मिड-डे मील वर्कर हिमी देवी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने साल 2019 में प्रदेश सरकार को मिड-डे मील वर्कर्स को 10 महीने की तनख्वाह न देकर पूरे 12 महीने की तनख्वाह (Salary) देने की बात कही थी, लेकिन अब तक उन्हें 12 महीने की तनख्वाह नहीं मिल रही है. ऐसे में प्रदेश सरकार की पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) के आदेशों की अवहेलना करने के भी आरोप लगाए हैं.

वहीं, जिला कुल्लू के मुख्यालय डीसी कार्यालय (DC Office) के बाहर भी मिड डे मील वर्कर के एक प्रतिनिधिमंडल ने रोष प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन के माध्यम से एक ज्ञापन भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा. प्रतिनिधिमंडल में शामिल मिड-डे मील वर्कर यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कांता महंत का कहना है कि मिड-डे मील योजना के तहत देश के करीब 11 लाख 43 हजार सरकारी स्कूलों में 12 करोड़ बच्चों को 25 लाख 25 हजार के करीब मिड-डे मील वर्कर्स स्कूलों में दोपहर का खाना बनाने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिनमें समाज के सबसे गरीब तबकों से संबंध रखने वाली अधिकतर महिलाएं कार्यरत हैं.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मिड-डे मील वर्कर्स को मात्र 1000 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है वो भी साल में 10 महीने का ही वेतन दिया जाता है. मिड-डे मील वर्कर्स की नौकरी से संबंधित 25 बच्चों की शर्त के चलते हजारों मिड-डे मील वर्कर्स की प्रतिवर्ष छंटनी हो रही है. महंगाई के दौर में 1000 रुपये वेतन में मिड डे मील वर्कर्स को परिवार का पालन-पोषण करने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- शिमला में बस सवार युवक से 7.92 ग्राम चिट्टा बरामद, छानबीन में जुटी पुलिस

शिमलाः कोरोना ने हर वर्ग को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस बीच हिमाचल प्रदेश में काम करने वाले मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को बीते 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. वेतन न मिलने से इन कार्यकर्ताओं के लिए घर-परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो गया है. अपनी मांगों को लेकर आज मिड-डे मील वर्कर ने शिक्षा निदेशालय के बाहर हल्ला बोला. मिड-डे मील वर्कर सरकार से उनके लिए स्थाई नीति बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.

मिड-डे मील वर्कर संघ की अध्यक्ष हिमी देवी ने कहा कि बीते 18 सालों से वह 33 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी के हिसाब से काम कर रहे हैं. इन दिनों जब आज महंगाई आसमान छू रही है, तो उनके घर-परिवार के लिए भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है.

इस बीच उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके लिए स्थाई नीति बनाई जाए और उन्हें नियमित किया जाए. इसके अलावा मिड-डे मील वर्करों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्रदेश में एमटीएस की भर्ती में मिड-डे मील वर्कर को वरीयता दी जाए.

वीडियो रिपोर्ट.

मिड-डे मील वर्कर हिमी देवी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने साल 2019 में प्रदेश सरकार को मिड-डे मील वर्कर्स को 10 महीने की तनख्वाह न देकर पूरे 12 महीने की तनख्वाह (Salary) देने की बात कही थी, लेकिन अब तक उन्हें 12 महीने की तनख्वाह नहीं मिल रही है. ऐसे में प्रदेश सरकार की पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) के आदेशों की अवहेलना करने के भी आरोप लगाए हैं.

वहीं, जिला कुल्लू के मुख्यालय डीसी कार्यालय (DC Office) के बाहर भी मिड डे मील वर्कर के एक प्रतिनिधिमंडल ने रोष प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन के माध्यम से एक ज्ञापन भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा. प्रतिनिधिमंडल में शामिल मिड-डे मील वर्कर यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कांता महंत का कहना है कि मिड-डे मील योजना के तहत देश के करीब 11 लाख 43 हजार सरकारी स्कूलों में 12 करोड़ बच्चों को 25 लाख 25 हजार के करीब मिड-डे मील वर्कर्स स्कूलों में दोपहर का खाना बनाने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिनमें समाज के सबसे गरीब तबकों से संबंध रखने वाली अधिकतर महिलाएं कार्यरत हैं.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मिड-डे मील वर्कर्स को मात्र 1000 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है वो भी साल में 10 महीने का ही वेतन दिया जाता है. मिड-डे मील वर्कर्स की नौकरी से संबंधित 25 बच्चों की शर्त के चलते हजारों मिड-डे मील वर्कर्स की प्रतिवर्ष छंटनी हो रही है. महंगाई के दौर में 1000 रुपये वेतन में मिड डे मील वर्कर्स को परिवार का पालन-पोषण करने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

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