शिमला: राज्यपाल ने राजभवन में प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर विशेष बैठक की. बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हमें बड़े बहुविषयक उच्च शैक्षणिक संस्थानों की आवश्यक्ता है, जिसके लिए हमें फेकल्टी और संस्थागत स्वायत्तता की भी आवश्यकता है और पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र, मूल्यांकन और छात्र की सहायता के संदर्भ में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने होंगे. बहुप्रवेश एवं निकास के अवसरयुक्त व्यवस्था स्थापित करनी होगी.
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने क्लाउड टेक्नोलॉजी जैसी तकनीक की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इससे लागत में भी कमी आएगी. राज्यपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में विद्यार्थियों से नए विचार लेने और समूहों में छात्रों के साथ इस नीति पर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक छोटा पहाड़ी राज्य है और यहां के लोग बहुत मेहनती और सरल हैं. यह हमारे उच्चतर संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वो ऐसा माहौल तैयार करें जिससे प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बने. उन्होंने कहा कि सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ें और टीम को ये लक्ष्य प्राप्त करने का आश्वासन दें.
राज्यपाल के सचिव राकेश कंवर ने राज्यपाल के निर्देश पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रस्तुति दी और उन महत्वपूर्ण विषयों की विस्तृत जानकारी दी, जिन पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए. डॉ.वाईएस परमार बागवानी और वाणिकी विश्वविद्यालय नौणी के कुलपति डॉ. परविन्द्र कौशल ने बहुविषयक विश्वविद्यालयों के निर्माण, विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया, आवश्यक शिक्षा और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव और एक राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना, च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम का परिचय आदि के बारे में जानकारी दी.
वहीं, चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. एचके चौधरी ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक नई सोच लाने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करती है और व्यक्ति के बौद्धिक, वैज्ञानिक और रचनात्मक स्वभाव में हर प्रकार से विकास में मददगार होगी.
उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय के बारे में नई शिक्षा नीति और प्रस्तावित कदमों द्वारा लक्षित मुद्दों की भी जानकारी दी. डॉ. एसपी. बंसल कुलपति तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर ने नई शिक्षा नीति के अनुसार पहले ही विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा की. इस अवसर पर तीनों विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार भी उपस्थित थे. उन्होंने इस अवसर पर अपने बहुमूल्य सुझाव भी दिए.