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स्पेशल रिपोर्टः जानिए MC चुनाव में कौन जीता-कौन हारा, किसका बढ़ा सियासी कद - Himachal Politics

नगर निगम के नतीजों से सत्तारूढ़ बीजेपी को बड़ा झटका लगा. पालमपुर और सोलन में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. सीएम जयराम के गृह जिला मंडी में बीजेपी ने कब्जा जमाया और धर्मशाला में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. मंडी जीत कर सीएम जयराम की साख तो बच गयी, लेकिन नतीजों ने सरकार और संगठन को मंथन करने पर मजबूर कर दिया है.

mc election result of muncipal corporation in himachal pradesh
नगर निगम परिणाम
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Published : Apr 8, 2021, 9:00 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 10:40 PM IST

शिमला: राजनीति अनिश्तिताओं का खेल है. यहां कब-क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता. हिमाचल प्रदेश के चार नगर निगमों चुनाव के नतीजों में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. नगर निगम के नतीजों से सत्तारूढ़ बीजेपी को बड़ा झटका लगा. पालमपुर और सोलन में कांग्रेस ने जीत दर्ज की.

नतीजों ने बढ़ाया राठौर का कद

सीएम जयराम के गृह जिला मंडी में बीजेपी ने कब्जा जमाया और धर्मशाला में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. मंडी जीत कर सीएम जयराम की साख तो बच गयी, लेकिन नतीजों ने सरकार और संगठन को मंथन करने पर मजबूर कर दिया. कांग्रेस की इस जीत से जहां कांग्रेस के सेनापति कुलदीप सिंह राठौर का भी कद बढ़ा. वहीं, इस जीत ने कांग्रेस को संजीवनी देने का भी काम किया.

वीडियो रिपोर्ट.

हिमाचल को रास नहीं आई "आप"

प्रदेश की राजनीति में आम आदमी पार्टी ने चार नगर निगम चुनाव में दस्तक देकर हिमाचल की राजनीतिक फिजाओं में अपना रंग घोलने की कोशिश की और एक भी जगह खाता नहीं खोल पाई. निगम चुनाव से पहले केजरीवाल के सिपाहियों ने हिमाचल पहुंचकर अपनी जमीन तलाशने की खूब कोशिश की, लेकिन निगम के नतीजों से तो लगता है कि हिमाचल को आम आदमी पार्टी कुछ खास रास नहीं आई. पहाड़ पर पहली ही चढ़ाई में केजरीवाल और उनकी सेना फिसलती नजर आई. 64 में से 43 वार्ड पर उम्मीदवार उतार सियासी जमीन खोज रही आम आदमी पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका.

सत्ता का सेमीफाइनल

सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे निगम के संग्राम ने दोनों पार्टी के कई नेताओं के सियासी कद को बढ़ाया. तो किसी के जनता के बीच पकड़ पर सवाल खड़े हो गए. कुल-मिलाकर नगर निगम के संग्राम में अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिले हैं.

मिशन रिपीट या मिशन डिलीट

हिमाचल के राजनीति को समझने वाले लोग मानते हैं कि यह नतीजे सत्तारूढ़ बीजेपी पर लोगों का विश्वास कम होने के संदेश दे रहे हैं. हालांकि कांग्रेस को जीत के रूप में मिली यह संजीवनी विधानसभा चुनाव में कितनी कारगर साबित होगी. इसका जवाब तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है, लेकिन यह तो साफ है कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाले हैं. देखना दिलचस्प होगा कि 2022 में बीजेपी मिशन रिपीट के सपना साकार करेगी या कांग्रेस मिशन डिलीट कर सत्ता पर काबिज होगी.

पढे़ंः हिमाचल को रास नहीं आई "आप", पहाड़ पर पहली चढ़ाई में फिसले केजरीवाल

शिमला: राजनीति अनिश्तिताओं का खेल है. यहां कब-क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता. हिमाचल प्रदेश के चार नगर निगमों चुनाव के नतीजों में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. नगर निगम के नतीजों से सत्तारूढ़ बीजेपी को बड़ा झटका लगा. पालमपुर और सोलन में कांग्रेस ने जीत दर्ज की.

नतीजों ने बढ़ाया राठौर का कद

सीएम जयराम के गृह जिला मंडी में बीजेपी ने कब्जा जमाया और धर्मशाला में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. मंडी जीत कर सीएम जयराम की साख तो बच गयी, लेकिन नतीजों ने सरकार और संगठन को मंथन करने पर मजबूर कर दिया. कांग्रेस की इस जीत से जहां कांग्रेस के सेनापति कुलदीप सिंह राठौर का भी कद बढ़ा. वहीं, इस जीत ने कांग्रेस को संजीवनी देने का भी काम किया.

वीडियो रिपोर्ट.

हिमाचल को रास नहीं आई "आप"

प्रदेश की राजनीति में आम आदमी पार्टी ने चार नगर निगम चुनाव में दस्तक देकर हिमाचल की राजनीतिक फिजाओं में अपना रंग घोलने की कोशिश की और एक भी जगह खाता नहीं खोल पाई. निगम चुनाव से पहले केजरीवाल के सिपाहियों ने हिमाचल पहुंचकर अपनी जमीन तलाशने की खूब कोशिश की, लेकिन निगम के नतीजों से तो लगता है कि हिमाचल को आम आदमी पार्टी कुछ खास रास नहीं आई. पहाड़ पर पहली ही चढ़ाई में केजरीवाल और उनकी सेना फिसलती नजर आई. 64 में से 43 वार्ड पर उम्मीदवार उतार सियासी जमीन खोज रही आम आदमी पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका.

सत्ता का सेमीफाइनल

सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे निगम के संग्राम ने दोनों पार्टी के कई नेताओं के सियासी कद को बढ़ाया. तो किसी के जनता के बीच पकड़ पर सवाल खड़े हो गए. कुल-मिलाकर नगर निगम के संग्राम में अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिले हैं.

मिशन रिपीट या मिशन डिलीट

हिमाचल के राजनीति को समझने वाले लोग मानते हैं कि यह नतीजे सत्तारूढ़ बीजेपी पर लोगों का विश्वास कम होने के संदेश दे रहे हैं. हालांकि कांग्रेस को जीत के रूप में मिली यह संजीवनी विधानसभा चुनाव में कितनी कारगर साबित होगी. इसका जवाब तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है, लेकिन यह तो साफ है कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाले हैं. देखना दिलचस्प होगा कि 2022 में बीजेपी मिशन रिपीट के सपना साकार करेगी या कांग्रेस मिशन डिलीट कर सत्ता पर काबिज होगी.

पढे़ंः हिमाचल को रास नहीं आई "आप", पहाड़ पर पहली चढ़ाई में फिसले केजरीवाल

Last Updated : Apr 8, 2021, 10:40 PM IST
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