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COVID-19: बागवानों को सताने लगी सेब सीजन की चिंता, लेबर और मार्केटिंग की कैसे होगी व्यवस्था

बागवानों को सेब सीजन की अभी से चिंता सताने लगी है. कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन के कारण जहां मजदूरों की कमी आड़े आ रही है. वहीं, देश की विभिन्न मंडियों में सेब की सप्लाई किस तरह होगी इसको लेकर भी बागवान प्रदेश सरकार से निती बनाने का आग्रह कर रहे हैं.

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Published : May 14, 2020, 7:25 PM IST

शिमला: हिमाचल में करीब 15 जून से सेब सीजन शुरू होने वाला है. लॉकडाउन के इस काल में बागवानों के सामने मजदूरों का संकट खड़ा हो गया है. प्रदेश में सेब सीजन के लिए अधिकतर मजदूर नेपाल से आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन है.

ऐसे में मजदूर बाहर से हिमाचल नहीं आ पा रहे हैं, जिसके चलते बागवानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. बागवान सरकार से समस्या के समाधान के लिए गुहार लगा रहे हैं. फल, फूल और सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते सेब सीजन में इस बार मजदूरों की कमी होने वाली है.

वीडियो

ऐसे में सरकार को समय रहते व्यवस्था कर लेनी चाहिए. हिमाचल की जीडीपी सेब पर ही निर्भर करती है. ऐसे में मजदूरों को पास बनवाकर बाहर से लाना और उनका मेडिकल चेकअप करवाना सरकार की जिम्मेवारी है, जिससे बागवानों को सेब सीजन में मजदूरों की कमी न हो.

वहीं, दूसरी समस्या सेब के (विपणन) मार्केटिंग की है. कोरोना काल में देश की मंडियों में सेब किस तरह पहुंचाया जाएगा. इसकी व्यवस्था के लिए उत्पादक संघ ने प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंपा है.

वहीं, एपीएमसी के चेयरमैन नरेश शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में सरकार लगातार किसानों बागवानों की समस्या का समाधान करने में लगी हुई है, जहां तक मजदूरों की कमी की बात है प्रदेश सरकार मजदूरों को परमिट मुहैया करवा रही है, जो भी मजदूर प्रदेश में आना चाहता है उन्हें पूरी सुविधा दी जाएगी.

चेयरमैन ने बागवानों से आग्रह किया है कि जो मजदूर उनके पास हैं उन्हें इस समय में उचित सहायता प्रदान करें. सेब के विपणन को लेकर चेयरमैन ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना महामारी को देखकर अलट्रनेट सब्जी मंडियों के ऑपशन देख रही है, जिससे बागवानों का सेब देश के सभी राज्यों में पहुंचाया जा सके. बता दें कि इस बार प्रदेश में 1 कोरड़ 90 लाख सेब के बॉक्स के उत्पादन का अनुमान है.

शिमला: हिमाचल में करीब 15 जून से सेब सीजन शुरू होने वाला है. लॉकडाउन के इस काल में बागवानों के सामने मजदूरों का संकट खड़ा हो गया है. प्रदेश में सेब सीजन के लिए अधिकतर मजदूर नेपाल से आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन है.

ऐसे में मजदूर बाहर से हिमाचल नहीं आ पा रहे हैं, जिसके चलते बागवानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. बागवान सरकार से समस्या के समाधान के लिए गुहार लगा रहे हैं. फल, फूल और सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते सेब सीजन में इस बार मजदूरों की कमी होने वाली है.

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ऐसे में सरकार को समय रहते व्यवस्था कर लेनी चाहिए. हिमाचल की जीडीपी सेब पर ही निर्भर करती है. ऐसे में मजदूरों को पास बनवाकर बाहर से लाना और उनका मेडिकल चेकअप करवाना सरकार की जिम्मेवारी है, जिससे बागवानों को सेब सीजन में मजदूरों की कमी न हो.

वहीं, दूसरी समस्या सेब के (विपणन) मार्केटिंग की है. कोरोना काल में देश की मंडियों में सेब किस तरह पहुंचाया जाएगा. इसकी व्यवस्था के लिए उत्पादक संघ ने प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंपा है.

वहीं, एपीएमसी के चेयरमैन नरेश शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में सरकार लगातार किसानों बागवानों की समस्या का समाधान करने में लगी हुई है, जहां तक मजदूरों की कमी की बात है प्रदेश सरकार मजदूरों को परमिट मुहैया करवा रही है, जो भी मजदूर प्रदेश में आना चाहता है उन्हें पूरी सुविधा दी जाएगी.

चेयरमैन ने बागवानों से आग्रह किया है कि जो मजदूर उनके पास हैं उन्हें इस समय में उचित सहायता प्रदान करें. सेब के विपणन को लेकर चेयरमैन ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना महामारी को देखकर अलट्रनेट सब्जी मंडियों के ऑपशन देख रही है, जिससे बागवानों का सेब देश के सभी राज्यों में पहुंचाया जा सके. बता दें कि इस बार प्रदेश में 1 कोरड़ 90 लाख सेब के बॉक्स के उत्पादन का अनुमान है.

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