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CU विवाद में महेंद्र ठाकुर ने संभाला मोर्चा, कहा- परिसर निर्माण में सरकार कर रही तेजी से काम

राजस्व मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए वन भूमि को परिवर्तित करने में कार्यवाही की है. इसके लिए आवश्यक अनुमोदन भी 11 दिसम्बर, 2018 को जारी कर दिया था और ग्रीन कवर प्लान के अंतर्गत पांच करोड़ 60 लाख रुपये भी नवम्बर, 2018 में कैम्पा हेड में जमा करवा दिए थे.

सीयू  कैपंस धर्मशाला, महेंद्र सिंह
सीयू कैपंस धर्मशाला, महेंद्र सिंह
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Published : Nov 20, 2020, 7:41 PM IST

Updated : Nov 20, 2020, 7:55 PM IST

शिमला: हाल ही में सीयू के कैंपस निर्माण को लेकर कांगड़ा में सीएम जयराम और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री एक ही मंच पर काफी तल्ख हो गए थे. अनुराग ठाकुर ने सीएम के सामने ही मंच पर केंद्रीय विवि के निर्माण में देरी के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. अनुराग ठाकुर ने मुख्यमंत्री को अधिकारियों से इस विषय पर जवाबदेही तलब करने की सलाह दी थी.

इस पूरे सियासी ड्रामे के बाद राजस्व मंत्री ने अब सरकार का पक्ष सामने रखते हुए कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के नाम फॉरेस्ट लैंड ट्रांसफर करने के लिए प्रदेश सरकार ने तीव्रता से काम शुरू किया है. भारत सरकार ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के दो परिसर स्थापित करने के लिए स्वीकृति दी है. धर्मशाला में उत्तरी परिसर के साथ जदरांगल और देहरा में दक्षिणी परिसर बनेगा.

महेंद्र सिंह ने कहा कि दक्षिणी परिसर देहरा के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 34.55 हेक्टेयर सरकारी भूमि 2010 में ही केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के नाम स्थानांतरित कर दी थी, जिसका इंतकाल भी 2010 में हो गया था.

इसके अलावा 81.79 हेक्टेयर वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी (यूजर एजेंसी), निदेशक उच्चतर शिक्षा, हिमाचल प्रदेश के नाम वन संरक्षण अधिनियम के तहत परिवर्तित (डाईवर्जन) करने की मंजूरी 11 दिसम्बर, 2018 को प्राप्त हुई थी, लेकिन इसमें यह शर्त लगाई गई थी कि जिस भूमि को परिवर्तित करने की मंजूरी प्रदान की गई है, वह किसी भी स्थिति में बिना केंद्र सरकार के अनुमोदन से किसी अन्य एजेंसी, विभाग या किसी अन्य व्यक्ति के नाम स्थानांतरित नहीं की जा सकती.

इस मामले और कुछ अन्य मामलों को राजस्व विभाग के आग्रह पर वन विभाग ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से 22 अप्रैल, 2019 को आग्रह कर पूछा था कि क्या परिवर्तित वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी के नाम इंतकाल के माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है या नहीं. राजस्व विभाग ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से यह आग्रह भी किया था कि परिवर्तित वन भूमि के कब्जे के लिए क्या कागजात (राजस्व अभिलेख) में इंद्राज किया जा सकता है या नहीं.

इस पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 30 जुलाई, 2019 को पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया था कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत परिवर्तित की गई भूमि की विधिक स्थिति वन भूमि ही रहेगी. ऐसी परिवर्तित भूमि इंतकाल के माध्यम से उपयोगकर्ता एजेंसी या उपयोगकर्ता विभाग के नाम कागजात माल में राजस्व विभाग की ओर से स्थानांतरित नहीं की जा सकती.

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के स्पष्टीकरण के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के साथ-साथ अन्य 30 मामलों में अभी तक भी परिवर्तित वन भूमि का इंतकाल संबंधित उपयोगकर्ता एजेंसी के नाम नहीं दिया जा सका है.

राजस्व मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए वन भूमि को परिवर्तित करने में कार्यवाही की है. इसके लिए आवश्यक अनुमोदन भी 11 दिसम्बर, 2018 को जारी कर दिया था और ग्रीन कवर प्लान के अंतर्गत पांच करोड़ 60 लाख रुपये भी नवम्बर, 2018 में कैम्पा हेड में जमा करवा दिए थे. यह राशि पहले जमा की गई राशि 17 करोड़ 27 लाख 53 हजार रुपये के अतिरिक्त थी.

राजस्व मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस बारे उत्पन्न स्थिति पर पुनः विचार करने के लिए यह मामला वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से उठाया हुआ है. उन्होंने केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री से भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रलाय से इन तकनीकी कठिनाइयों का निवारण करवाने का आग्रह किया, ताकि केंद्रीय विश्वविद्यालय और लगभग 30 परियोजनाओं का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ कर विकास को गति दी जा सके.

शिमला: हाल ही में सीयू के कैंपस निर्माण को लेकर कांगड़ा में सीएम जयराम और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री एक ही मंच पर काफी तल्ख हो गए थे. अनुराग ठाकुर ने सीएम के सामने ही मंच पर केंद्रीय विवि के निर्माण में देरी के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. अनुराग ठाकुर ने मुख्यमंत्री को अधिकारियों से इस विषय पर जवाबदेही तलब करने की सलाह दी थी.

इस पूरे सियासी ड्रामे के बाद राजस्व मंत्री ने अब सरकार का पक्ष सामने रखते हुए कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के नाम फॉरेस्ट लैंड ट्रांसफर करने के लिए प्रदेश सरकार ने तीव्रता से काम शुरू किया है. भारत सरकार ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के दो परिसर स्थापित करने के लिए स्वीकृति दी है. धर्मशाला में उत्तरी परिसर के साथ जदरांगल और देहरा में दक्षिणी परिसर बनेगा.

महेंद्र सिंह ने कहा कि दक्षिणी परिसर देहरा के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 34.55 हेक्टेयर सरकारी भूमि 2010 में ही केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के नाम स्थानांतरित कर दी थी, जिसका इंतकाल भी 2010 में हो गया था.

इसके अलावा 81.79 हेक्टेयर वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी (यूजर एजेंसी), निदेशक उच्चतर शिक्षा, हिमाचल प्रदेश के नाम वन संरक्षण अधिनियम के तहत परिवर्तित (डाईवर्जन) करने की मंजूरी 11 दिसम्बर, 2018 को प्राप्त हुई थी, लेकिन इसमें यह शर्त लगाई गई थी कि जिस भूमि को परिवर्तित करने की मंजूरी प्रदान की गई है, वह किसी भी स्थिति में बिना केंद्र सरकार के अनुमोदन से किसी अन्य एजेंसी, विभाग या किसी अन्य व्यक्ति के नाम स्थानांतरित नहीं की जा सकती.

इस मामले और कुछ अन्य मामलों को राजस्व विभाग के आग्रह पर वन विभाग ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से 22 अप्रैल, 2019 को आग्रह कर पूछा था कि क्या परिवर्तित वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी के नाम इंतकाल के माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है या नहीं. राजस्व विभाग ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से यह आग्रह भी किया था कि परिवर्तित वन भूमि के कब्जे के लिए क्या कागजात (राजस्व अभिलेख) में इंद्राज किया जा सकता है या नहीं.

इस पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 30 जुलाई, 2019 को पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया था कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत परिवर्तित की गई भूमि की विधिक स्थिति वन भूमि ही रहेगी. ऐसी परिवर्तित भूमि इंतकाल के माध्यम से उपयोगकर्ता एजेंसी या उपयोगकर्ता विभाग के नाम कागजात माल में राजस्व विभाग की ओर से स्थानांतरित नहीं की जा सकती.

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के स्पष्टीकरण के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के साथ-साथ अन्य 30 मामलों में अभी तक भी परिवर्तित वन भूमि का इंतकाल संबंधित उपयोगकर्ता एजेंसी के नाम नहीं दिया जा सका है.

राजस्व मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए वन भूमि को परिवर्तित करने में कार्यवाही की है. इसके लिए आवश्यक अनुमोदन भी 11 दिसम्बर, 2018 को जारी कर दिया था और ग्रीन कवर प्लान के अंतर्गत पांच करोड़ 60 लाख रुपये भी नवम्बर, 2018 में कैम्पा हेड में जमा करवा दिए थे. यह राशि पहले जमा की गई राशि 17 करोड़ 27 लाख 53 हजार रुपये के अतिरिक्त थी.

राजस्व मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस बारे उत्पन्न स्थिति पर पुनः विचार करने के लिए यह मामला वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से उठाया हुआ है. उन्होंने केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री से भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रलाय से इन तकनीकी कठिनाइयों का निवारण करवाने का आग्रह किया, ताकि केंद्रीय विश्वविद्यालय और लगभग 30 परियोजनाओं का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ कर विकास को गति दी जा सके.

Last Updated : Nov 20, 2020, 7:55 PM IST
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