ETV Bharat / state

जो काम कई सरकारें नहीं कर पाईं वो 'कोरोना' कर गया, देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौरान लगी तमाम पाबंदियों के बीच प्रकृति की गोद से अच्छी खबर आई है. अविरल गंगा अब निर्मल हो चुकी है. घाटों के किनारे पक्षियों का डेरा बसा है..... भले ही जलस्तर कुछ कम हुआ हो, लेकिन गंगा की स्वच्छ धारा अब हर किसी को भा रही है. केंद्र व प्रदेश सरकार गंगा की सफाई के लिए तमाम योजनाएं चलाईं, बावजूद इसके गंगा स्वच्छ नहीं हो सकी.....लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने एकाएक गंगा की धारा को भी निर्मल कर दिया.

Lockdown impacts on rivers, लॉकडाउन का नदियों पर असर
कोरोना इफेक्ट
author img

By

Published : Apr 15, 2020, 10:04 AM IST

लॉकडाउन के दौरान लगी तमाम पाबंदियों के बीच प्रकृति की गोद से अच्छी खबर आई है. अविरल गंगा अब निर्मल हो चुकी है. घाटों के किनारे पक्षियों का डेरा बसा है..... भले ही जलस्तर कुछ कम हुआ हो, लेकिन गंगा की स्वच्छ धारा अब हर किसी को भा रही है. केंद्र व प्रदेश सरकार गंगा की सफाई के लिए तमाम योजनाएं चलाईं, बावजूद इसके गंगा स्वच्छ नहीं हो सकी.....लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने एकाएक गंगा की धारा को भी निर्मल कर दिया.

गंगा ही नहीं बल्कि देश और प्रदेश की सभी नदियों और नालों का पानी काफी हद साफ हो गया है. अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए तो.... ब्यास नदी हो या सतलुज.. या फिर यमुना.. तमाम बड़ी नदियों का पानी इतना साफ हो चुका है कि तलहटी में छिपे पत्थर भी दिखाई देने लगे हैं.

वीडियो.

इन नदियों में ना डंपिंग हो रही है और न हवा में गाड़ियों और कारखानों का विषैला धुंआ घुल रहा है. ऐसे में प्रकृति खुलकर सांस ले रही है, जिसका असर लॉकडाउन में दिखने लगा है. पर्यटकों की मौज मस्ती से लेकर फैक्ट्रियां इन नदियों को गंदा करती है... इन जल धाराओं को प्रदूषित करने में हमारी आस्था का भी हाथ है...

ये नदियां साल दर साल इंसानी गलतियों की बदौलत जहरीली होती रहती हैं... सरकारें करोड़ों का बजट तैयार कर भी इन्हें साफ नहीं कर पाती... लेकिन लॉकडाउन के दौरान कुदरत ने मानों ये रास्ता खुद निकाल लिया है.

ये लॉकडाउन एक दिन खत्म हो जाएगा और फैक्ट्रियों की गंदगी से लेकर इंसानों का फैलाया कचरा इन नदियों तक पहुंचेगा. इसलिये सरकार और प्रशासन को चाहिए कि कुदरत के मौजूदा रूप को बरकरार रखा जाए, भले इसके लिए कुछ कड़े नियम बनाए जाएं.

लॉकडाउन के दौरान लगी तमाम पाबंदियों के बीच प्रकृति की गोद से अच्छी खबर आई है. अविरल गंगा अब निर्मल हो चुकी है. घाटों के किनारे पक्षियों का डेरा बसा है..... भले ही जलस्तर कुछ कम हुआ हो, लेकिन गंगा की स्वच्छ धारा अब हर किसी को भा रही है. केंद्र व प्रदेश सरकार गंगा की सफाई के लिए तमाम योजनाएं चलाईं, बावजूद इसके गंगा स्वच्छ नहीं हो सकी.....लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने एकाएक गंगा की धारा को भी निर्मल कर दिया.

गंगा ही नहीं बल्कि देश और प्रदेश की सभी नदियों और नालों का पानी काफी हद साफ हो गया है. अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए तो.... ब्यास नदी हो या सतलुज.. या फिर यमुना.. तमाम बड़ी नदियों का पानी इतना साफ हो चुका है कि तलहटी में छिपे पत्थर भी दिखाई देने लगे हैं.

वीडियो.

इन नदियों में ना डंपिंग हो रही है और न हवा में गाड़ियों और कारखानों का विषैला धुंआ घुल रहा है. ऐसे में प्रकृति खुलकर सांस ले रही है, जिसका असर लॉकडाउन में दिखने लगा है. पर्यटकों की मौज मस्ती से लेकर फैक्ट्रियां इन नदियों को गंदा करती है... इन जल धाराओं को प्रदूषित करने में हमारी आस्था का भी हाथ है...

ये नदियां साल दर साल इंसानी गलतियों की बदौलत जहरीली होती रहती हैं... सरकारें करोड़ों का बजट तैयार कर भी इन्हें साफ नहीं कर पाती... लेकिन लॉकडाउन के दौरान कुदरत ने मानों ये रास्ता खुद निकाल लिया है.

ये लॉकडाउन एक दिन खत्म हो जाएगा और फैक्ट्रियों की गंदगी से लेकर इंसानों का फैलाया कचरा इन नदियों तक पहुंचेगा. इसलिये सरकार और प्रशासन को चाहिए कि कुदरत के मौजूदा रूप को बरकरार रखा जाए, भले इसके लिए कुछ कड़े नियम बनाए जाएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.