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स्मृति शेष: जब बेटियों के आंसुओं से भींग गए थे वीरभद्र सिंह, अपनी जेब से भरी पूरी फीस

हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र (Monsoon session) के दौरान सदन में पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही वीरभद्र सिंह को भावुक होकर याद किया. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) ने वीरभद्र सिंह को जन-जन का नेता बताया. उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने जीवन में कभी भी न तो क्षेत्र और न ही जाति की राजनीति की.

Former CM Virbhadra Singh remembered on the first day of Monsoon session in Vidhan Sabha
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Published : Aug 2, 2021, 9:45 PM IST

शिमला: हिमाचल में राजनीति के राजा कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृतियां अभी भी चारों दिशाओं में तैर रही हैं. सोमवार को हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र (Monsoon session) के दौरान सदन में पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही वीरभद्र सिंह को भावुक होकर याद किया. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) ने वीरभद्र सिंह को जन-जन का नेता बताया.

उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने जीवन में कभी भी न तो क्षेत्र और न ही जाति की राजनीति की. नेता प्रतिपक्ष ने सदन में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) के मानवीय चेहरे को याद किया. उन्होंने एक घटना का जिक्र किया और बताया कि कैसे वीरभद्र सिंह तुरंत दूसरों की पीड़ा से पिघल जाते थे.

मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में शोक उद्गार प्रकट करते हुए वीरभद्र सिंह से जुड़ी बातों को याद किया. उन्होंने बताया कि एक बार नालागढ़ से दो बच्ची रोता सा चेहरा लेकर वीरभद्र सिंह के निजी आवास होली लॉज (Holi Lodge) पहुंचीं. जैसे ही वो बच्चियां वीरभद्र सिंह के पास पहुंचीं, तो वह रोने लगी.

वीडियो

वीरभद्र सिंह ने पिता सा स्नेह जताते हुए पूछा कि क्यों रो रही हो, लड़कियों ने कहा कि वह साधारण परिवार से हैं और उनके पास फीस भरने को पैसे नहीं हैं. एक लड़की का नर्सिंग में चयन हुआ था और एक का आईटीआई में, वीरभद्र सिंह ने मौके पर मौजूद कर्मियों को पहले उन लड़कियों को चाय पिलाने को कहा.

दोनों बेटियों को चाय पिलाने के बाद वीरभद्र सिंह के समक्ष लाया गया. उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली लड़की की फीस खुद अपने बैंक खाते से भरने की बात कही, साथ ही तकनीकी शिक्षा विभाग (Technical Education Department) के अधिकारियों को दूसरी लड़की की फीस माफ करने के आदेश दिए.

अग्निहोत्री ने बताया कि जब तक लड़की ने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी नहीं कर ली, उसकी फीस वीरभद्र सिंह के माल रोड स्थित एक बैंक के अकाउंट से जारी होती रही. यही नहीं, वीरभद्र सिंह ने होली लॉज में अपना दुखड़ा सुनाने आई लड़कियों को मौके पर ही अपनी जेब से पैसे दिए.

अग्निहोत्री ने बताया कि ऐसे अनेक किस्से हैं, जब दूसरों के दुख से द्रवित होकर वीरभद्र सिंह ने मदद की है. सरकार चलाने के गुण, अफसरशाही से काम लेने की कला और उनके कार्यकाल में लिए गए मील पत्थर फैसलों की भी चर्चा की.

अग्निहोत्री ने बताया कि माता-पिता भरण-पोषण कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून आदि वीरभद्र सिंह की सोच की देन हैं. छह दशक तक प्रदेश व देश की राजनीति को अपने ही अंदाज में प्रभावित करने वाले वीरभद्र सिंह ने कई नेताओं को गढ़ा है. उन्होंने राज्य सरकार से शिमला के रिज मैदान पर वीरभद्र सिंह की आदमकद प्रतिमा लगाने का आग्रह भी किया.

ये भी पढ़ें- ज्‍वालामुखी में सैनिक का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्‍कार, बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि

शिमला: हिमाचल में राजनीति के राजा कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृतियां अभी भी चारों दिशाओं में तैर रही हैं. सोमवार को हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र (Monsoon session) के दौरान सदन में पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही वीरभद्र सिंह को भावुक होकर याद किया. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) ने वीरभद्र सिंह को जन-जन का नेता बताया.

उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने जीवन में कभी भी न तो क्षेत्र और न ही जाति की राजनीति की. नेता प्रतिपक्ष ने सदन में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) के मानवीय चेहरे को याद किया. उन्होंने एक घटना का जिक्र किया और बताया कि कैसे वीरभद्र सिंह तुरंत दूसरों की पीड़ा से पिघल जाते थे.

मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में शोक उद्गार प्रकट करते हुए वीरभद्र सिंह से जुड़ी बातों को याद किया. उन्होंने बताया कि एक बार नालागढ़ से दो बच्ची रोता सा चेहरा लेकर वीरभद्र सिंह के निजी आवास होली लॉज (Holi Lodge) पहुंचीं. जैसे ही वो बच्चियां वीरभद्र सिंह के पास पहुंचीं, तो वह रोने लगी.

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वीरभद्र सिंह ने पिता सा स्नेह जताते हुए पूछा कि क्यों रो रही हो, लड़कियों ने कहा कि वह साधारण परिवार से हैं और उनके पास फीस भरने को पैसे नहीं हैं. एक लड़की का नर्सिंग में चयन हुआ था और एक का आईटीआई में, वीरभद्र सिंह ने मौके पर मौजूद कर्मियों को पहले उन लड़कियों को चाय पिलाने को कहा.

दोनों बेटियों को चाय पिलाने के बाद वीरभद्र सिंह के समक्ष लाया गया. उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली लड़की की फीस खुद अपने बैंक खाते से भरने की बात कही, साथ ही तकनीकी शिक्षा विभाग (Technical Education Department) के अधिकारियों को दूसरी लड़की की फीस माफ करने के आदेश दिए.

अग्निहोत्री ने बताया कि जब तक लड़की ने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी नहीं कर ली, उसकी फीस वीरभद्र सिंह के माल रोड स्थित एक बैंक के अकाउंट से जारी होती रही. यही नहीं, वीरभद्र सिंह ने होली लॉज में अपना दुखड़ा सुनाने आई लड़कियों को मौके पर ही अपनी जेब से पैसे दिए.

अग्निहोत्री ने बताया कि ऐसे अनेक किस्से हैं, जब दूसरों के दुख से द्रवित होकर वीरभद्र सिंह ने मदद की है. सरकार चलाने के गुण, अफसरशाही से काम लेने की कला और उनके कार्यकाल में लिए गए मील पत्थर फैसलों की भी चर्चा की.

अग्निहोत्री ने बताया कि माता-पिता भरण-पोषण कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून आदि वीरभद्र सिंह की सोच की देन हैं. छह दशक तक प्रदेश व देश की राजनीति को अपने ही अंदाज में प्रभावित करने वाले वीरभद्र सिंह ने कई नेताओं को गढ़ा है. उन्होंने राज्य सरकार से शिमला के रिज मैदान पर वीरभद्र सिंह की आदमकद प्रतिमा लगाने का आग्रह भी किया.

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