शिमला: प्रदेश सचिवालय में विधायक प्राथमिकता की बैठक में भाग लेने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि विधायक प्राथमिकता की बैठक औपचारिक और रस्मी अदायगी तक ही सीमित हो गई है. इन बैठकों के कोई परिणाम सामने नहीं आ रहे है. विधायकों के लिए यह बैठक काफी महत्वूपर्ण है, लेकिन उसकी गरिमा सरकारी स्तर पर लगातार गिराई जा रही है.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश ने कहा कि बैठक में उन्होंने ये मामला भी उठाया है. इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि वह विधायकों को मजबूत करना चाहती है. अधिकारी, कर्मचारी विधायकों की बात माने, लेकिन साथ में वे ये भी कह रहे थे कि ये उचित स्थान नहीं है, जहां इस तरह के मसले उठाए जाएं.
नाबार्ड का पैसा चंद विशेष इलाकों के लिए ही क्यों?
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि ऐसे में सरकार बताए कि जहां विधायकों प्राथमिकताओं से जुड़े मसलों पर चर्चा हो रही है, यदि वह ऐसे मसलों को उठाने के लिए उचित मंच नहीं है, तो कौन सा उचित मंच है. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि नाबार्ड का पैसा चंद विशेष इलाकों के लिए भेजा जा रहा है. वह चौथी बार विधायक प्राथमिकता की बैठक में भाग ले रहे हैं, लेकिन बीते तीन साल में नाबार्ड से एक भी विधायक प्राथमिकता स्वीकृत नहीं हुई है.
विधायक प्राथमिकताओं की डीपीआर न बनने के क्या कारण
अग्रिहोत्री ने पूछा कि विपक्षी विधायकों द्वारा दी गई विधायक प्राथमिकताओं की डीपीआर न बनने के क्या कारण है. क्या सरकार डीपीआर न बनाने पर अफसरों से जवाब-तलब करेगी. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब डीपीआर ही नहीं बनी तो फंडिंग का सवाल ही नहीं रहा. उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने 2200 करोड़ की फंडिंग होने की बात कही जा रही है. ऐसे में प्रत्येक विधायक को करीब 40- 40 करोड़ मिलना चाहिए था लेकिन हुआ नहीं. उन्होंने कहा प्रदेश में संतुलित विकास नहीं असंतुलित विकास हो रहा है.
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