शिमलाः विंटर सीजन के दौरान पहाड़ों का रानी शिमला में इन दिनों पर्यटकों की भारी आमद देखने को मिल रही है. अपनी शिमला यात्रा को यादगार बनाने के लिए पर्यटक यहां ट्रेन के माध्यम से पहुंच रहे हैं. कोरोना के बाद लोगों की डिमांड पर कालका-शिमला ट्रैक पर दो ट्रेन के साथ विस्टाडॉम कोच भी चलाया जा रहा है.
कालका-शिमला ट्रैक पर सफर करने के लिए श्रेणी के मुताबिक यात्री 75 रुपए से 800 रुपए तक खर्च कर रहे हैं. यात्री इस रोमांचकारी सफर का आनंद उठा रहे हैं और साथ ही सफर के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य का भी भरपूर मजा ले रहे हैं.
बर्फ से लकदक पहाड़ियों का नजारा ले रहे पर्यटक
पर्यटक इस ऐतिहासिक धरोहर वाले कालका-शिमला ट्रैक के घुमावदार मोड़ों पर आरामदायक सफर का मजा ले रहे हैं. सैलानी कांच की छत वाली विस्ताडोम ट्रेन से बर्फ से लकदक पहाड़ियों का नजारा ले रहे हैं. पहाड़ों के सुंदर और मनमोहक दृश्य का कोच में अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है, जिससे पर्यटक रोमांचित हो रहे हैं.
कल्पना से कहीं ज्यादा खूबसूरत
यूं तो पहाड़ों का रानी की खूबसूरती के चर्चे देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी हैं और जब लोग यहां पहुंचते हैं तो इसे अपनी कल्पना से कहीं ज्यादा खूबसूरत पाते हैं. पर्यटक इस ऐतिहासक ट्रेक पर विस्टाडोम जैसी ट्रेन में सफर कर काफी खुश नजर आते हैं.
साल 2008 में मिला विश्व धरोहर का दर्जा
कालका शिमला ट्रैक 1903 में शुरू हुआ था. यह तकरीबन 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसकी सुंदरता दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन से मिलती जुलती है. एक तरफ ऊंचा शहर है तो दूसरी तरफ गहरी घाटी. रेल मार्ग पर कुल 889 पुल और 103 सुरंगें है, लेकिन एक सुरंग भूस्खलन में ध्वस्त हो गई थी. अब इनकी संख्या 102 रह गई है. 8 जुलाई 2008 को यूनेस्को ने इस ट्रैक को विश्व धरोहर का दर्जा दिया था.