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हिमाचल में बढ़ रहे घुटनों के दर्द के मरीज, लाइफ स्टाइल में बदलाव मुख्य कारण

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Published : Oct 28, 2020, 2:14 PM IST

देश में अधिक आयु में दूसरी बड़ी समस्या आस्टीयोथराईटिस यानी हड्डियों के रोगों की एक गंभीर समस्या है, जिसके शिकार लोग हो रहे हैं. राजधानी शिमला में प्रेस वार्ता कर डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए लोग एक्सरसाइज, योगा करें, शराब व स्मोकिंग का कम इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा कि हिमाचल से काफी लोग चंडीगढ़ अपने घुटनों का इलाज करवाने जाते है.

आस्टीयोथराईटिस
फोटो

शिमला: राजधानी शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में लोगों में घुटने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. पहले लोग ज्यादा चलते थे और काफी ज्यादा एक्टिव रहते थे, लेकिन अब लोग गाड़ियों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और चलते कम है. यही कारण है कि लोगों में घुटनों की दिक्कतें ज्यादा देखी जाने लगी है.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि देश में अधिक आयु में दूसरी बड़ी समस्या आस्टीयोथराईटिस यानी हड्डियों के रोगों की एक गंभीर समस्या है, जिसके शिकार लोग हो रहे हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए लोग एक्सरसाइज, योगा करें , शराब व स्मोकिंग का कम इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा कि हिमाचल से काफी लोग चंडीगढ़ अपने घुटनों का इलाज करवाने जाते है.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि सड़क हादसों के कारण काफी ज्यादा मौतें हो जाती है. इसका कारण समय पर लोगों को अस्पताल नहीं पहुंचाना रहता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में ट्रॉमा सेंटर खोले जाने चाहिए, ताकि सड़क हादसे होने पर मरीज को समय रहते ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया जा सके.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि हिमाचल से मरीज को चंडीगढ़ पहुंचाने में काफी समय लग जाता है. मरीज को चंडीगढ़ पहुंचाने तक मरीज की हालत गंभीर हो जाती है. कुछ लोगों की तो जान तक चली जाती है. उन्होंने कहा कि भारत में ट्रैफिक से संबंधित 83 प्रतिशत मौतें सड़क हादसों के कारण होती है. हादसे के बाद घायलों की जान बचाने के लिए पहले 60 मिनट बहुत महत्वपूर्ण होते है. इसे गोल्डन आवर कहा जाता है. इसलिए हादसे के बाद मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि भारत में सड़क हादसों के कारण हर रोज 400 मौतें हो जाती है. लोग सीट बेल्ट नहीं पहनते और सिर में चोट के चलते उनकी मौत हो जाती है. देश में हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क हादसों का शिकार होते है. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि उनके अस्पताल में घुटने सहित अन्य बीमारियों का इलाज उपलबध है.

प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि अगले 10 सालों में भारत जोड़ बदलने की सर्जरी के केसों में विश्व में प्रथम नम्बर पर होगा. उन्होंने बताया कि हमारे देश में हर साल 10 लाख लोगों को जोड़ बदलवाने की जरूरत होती है, लेकिन 30 से 40 हजार तक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी होती हैं.

शिमला: राजधानी शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में लोगों में घुटने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. पहले लोग ज्यादा चलते थे और काफी ज्यादा एक्टिव रहते थे, लेकिन अब लोग गाड़ियों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और चलते कम है. यही कारण है कि लोगों में घुटनों की दिक्कतें ज्यादा देखी जाने लगी है.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि देश में अधिक आयु में दूसरी बड़ी समस्या आस्टीयोथराईटिस यानी हड्डियों के रोगों की एक गंभीर समस्या है, जिसके शिकार लोग हो रहे हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए लोग एक्सरसाइज, योगा करें , शराब व स्मोकिंग का कम इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा कि हिमाचल से काफी लोग चंडीगढ़ अपने घुटनों का इलाज करवाने जाते है.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि सड़क हादसों के कारण काफी ज्यादा मौतें हो जाती है. इसका कारण समय पर लोगों को अस्पताल नहीं पहुंचाना रहता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में ट्रॉमा सेंटर खोले जाने चाहिए, ताकि सड़क हादसे होने पर मरीज को समय रहते ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया जा सके.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि हिमाचल से मरीज को चंडीगढ़ पहुंचाने में काफी समय लग जाता है. मरीज को चंडीगढ़ पहुंचाने तक मरीज की हालत गंभीर हो जाती है. कुछ लोगों की तो जान तक चली जाती है. उन्होंने कहा कि भारत में ट्रैफिक से संबंधित 83 प्रतिशत मौतें सड़क हादसों के कारण होती है. हादसे के बाद घायलों की जान बचाने के लिए पहले 60 मिनट बहुत महत्वपूर्ण होते है. इसे गोल्डन आवर कहा जाता है. इसलिए हादसे के बाद मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है.

डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि भारत में सड़क हादसों के कारण हर रोज 400 मौतें हो जाती है. लोग सीट बेल्ट नहीं पहनते और सिर में चोट के चलते उनकी मौत हो जाती है. देश में हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क हादसों का शिकार होते है. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि उनके अस्पताल में घुटने सहित अन्य बीमारियों का इलाज उपलबध है.

प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि अगले 10 सालों में भारत जोड़ बदलने की सर्जरी के केसों में विश्व में प्रथम नम्बर पर होगा. उन्होंने बताया कि हमारे देश में हर साल 10 लाख लोगों को जोड़ बदलवाने की जरूरत होती है, लेकिन 30 से 40 हजार तक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी होती हैं.

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