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Karwa Chauth 2022: राजधानी शिमला के बाजारों में करवा चौथ को लेकर खरीदारी को लेकर उमड़ी भीड़

Karwa Chauth 2022: शिमला में बुधवार को करवा चौथ की खरीदारी को लेकर लोअर बाजार में भारी भीड़ देखने को मिली. महिलाओं को लुभाने के लिए तरह तरह की फैन्सी चूड़ियां और श्रृंगार का सामान भी बाजारों की शोभा बढ़ा रहा है. करवा चौथ का पर्व 13 अक्टूबर यानी कल मनाया जा रहा है.. ऐसे में सुहागिनों ने जमकर अपने व्रत के लिए सामान खरीदा.

Karwa Chauth 2022
राजधानी शिमला के बाजारों में करवा चौथ को लेकर खरीदारी को लेकर उमड़ी भीड़
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Published : Oct 12, 2022, 4:02 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में बुधवार को करवा चौथ की खरीदारी को लेकर लोअर बाजार में भारी भीड़ देखने को मिली. जगह-जगह करवा चौथ के सामान को लेकर दुकानें सजी नजर आईं. जहां कम दाम से लेकर अधिक दाम तक का हर तरह का सामान बाजारों में रखा गया है. महिलाओं को लुभाने के लिए तरह तरह की फैन्सी चूड़ियां और श्रृंगार का सामान भी बाजारों की शोभा बढ़ा रहा है. करवा चौथ का पर्व 13 अक्टूबर यानी कल मनाया जा रहा है.. ऐसे में सुहागिनों ने जमकर अपने व्रत के लिए सामान खरीदा.

वहीं, दुकानदारों ने भी अपनी दुकानें करवा चौथ के सामान से पूरी तरह सजा के रखी हुई हैं. करवा चौथ का सामान शहर के विभिन्न स्थानों पर रेहड़ी फड़ी वालों ने भी सजाया हुआ है. खासकर संजौली, छोटा शिमला, पंथाघाटी, विकास नगर, खलीनी, बालूगंज, ढली आदि स्थानों पर करवा चौथ के सामान को सजाया गया है. बता दें कि समय के साथ-साथ पर्वों के लिए सामान भी नए जामाने का ही देखा जा सकता है. बाजार में साधरण कलश से लेकर फैन्सी कलश, थाली भी मौजूद है. इसके अतिरिक्त दान में दी जाने वाली सुहागी भी पैकट में तैयार की गई हैं.

स्वर्णकारों ने भी की तैयारियां: महिलाओं (karva chauth fast) की पसंद और चलन को देखते हुए स्वर्णकारों ने भी फैशन को वरीयता दी है. बाजार में पायल एवं बिच्छू, डिजाइनर चेन, डिजाइनर अंगूठी महिलाओं की खासी पसंद बने हुए हैं. सुहागिनों के लिए बेहद खास इस त्योहार की तैयारियों से शहर के बाजारों में खासी रौनक बनी हुई है. पंडित प्रेम शर्मा ने बताया कि 13 अक्टूबर को चतुर्थी शाम 5:45 से 6:59 बजे तक रहेगी. इस दौरान पूजन का शुभ मुहूर्त है. इस बार करवा चौथ में चांद का पूजन विशेष फलदायी होगा.

चंद्रमा का पूजन स्त्रियों के लिए पति और (Karwa Chauth worship method) बच्चों के लिए अच्छा रहेगा. पूजन चंद्रोदय के पहले करना उत्तम होगा. चंद्रोदय रात 8.07 बजे होगा. इससे पहले प्रदोष बेला में 7.30 बजे तक पूजन कर सकते हैं. चतुर्थी 13 को सुबह 3:01 से शुरू होकर 14 अक्टूबर को 5:43 बजे तक रहेगी. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि धातु से बने करवे से चौथ का पूजन करना फलदायी होता है, लेकिन यथा शक्ति मिट्टी के करवे से पूजन भी किया जा सकता है.

करवा चौथ व्रत कथा: करवाचौथ व्रत के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं. लेकिन अधिकांश कथाओं में यह पाया जाता है कि यह व्रत ब्रह्माजी के कहने पर शुरू किया गया था. देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने यह व्रत रखा था. कहा जाता है कि एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था. देवताओं ने सोचा कि वह राक्षसों से पराजित हो जाएंगे. ऐसे में देवता ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे राक्षसों पर विजय पाने का उपाय पूछा.

तब ब्रह्माजी ने देवताओं को उपाय समझाते हुए बताया कि करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को है. ऐसे में यदि सभी देवताओं की पत्नियां करवाचौथ का व्रत रखें तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगा. ब्रह्माजी के कहने पर सभी देवताओं की पत्नियों ने उपवास किया. परिणामस्वरूप, देवताओं ने राक्षसों पर विजय प्राप्त की. वहीं यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने स्वप्न में शिव भगवान की अकाल मृत्यु देखी उसके बाद ब्रह्माजी के कहने पर उन्होंने व्रत रखा था. ताकि शिव भगवान की लंबी आयु हो.

ये भी पढ़ें- इस बार 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा करवाचौथ का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

शिमला: राजधानी शिमला में बुधवार को करवा चौथ की खरीदारी को लेकर लोअर बाजार में भारी भीड़ देखने को मिली. जगह-जगह करवा चौथ के सामान को लेकर दुकानें सजी नजर आईं. जहां कम दाम से लेकर अधिक दाम तक का हर तरह का सामान बाजारों में रखा गया है. महिलाओं को लुभाने के लिए तरह तरह की फैन्सी चूड़ियां और श्रृंगार का सामान भी बाजारों की शोभा बढ़ा रहा है. करवा चौथ का पर्व 13 अक्टूबर यानी कल मनाया जा रहा है.. ऐसे में सुहागिनों ने जमकर अपने व्रत के लिए सामान खरीदा.

वहीं, दुकानदारों ने भी अपनी दुकानें करवा चौथ के सामान से पूरी तरह सजा के रखी हुई हैं. करवा चौथ का सामान शहर के विभिन्न स्थानों पर रेहड़ी फड़ी वालों ने भी सजाया हुआ है. खासकर संजौली, छोटा शिमला, पंथाघाटी, विकास नगर, खलीनी, बालूगंज, ढली आदि स्थानों पर करवा चौथ के सामान को सजाया गया है. बता दें कि समय के साथ-साथ पर्वों के लिए सामान भी नए जामाने का ही देखा जा सकता है. बाजार में साधरण कलश से लेकर फैन्सी कलश, थाली भी मौजूद है. इसके अतिरिक्त दान में दी जाने वाली सुहागी भी पैकट में तैयार की गई हैं.

स्वर्णकारों ने भी की तैयारियां: महिलाओं (karva chauth fast) की पसंद और चलन को देखते हुए स्वर्णकारों ने भी फैशन को वरीयता दी है. बाजार में पायल एवं बिच्छू, डिजाइनर चेन, डिजाइनर अंगूठी महिलाओं की खासी पसंद बने हुए हैं. सुहागिनों के लिए बेहद खास इस त्योहार की तैयारियों से शहर के बाजारों में खासी रौनक बनी हुई है. पंडित प्रेम शर्मा ने बताया कि 13 अक्टूबर को चतुर्थी शाम 5:45 से 6:59 बजे तक रहेगी. इस दौरान पूजन का शुभ मुहूर्त है. इस बार करवा चौथ में चांद का पूजन विशेष फलदायी होगा.

चंद्रमा का पूजन स्त्रियों के लिए पति और (Karwa Chauth worship method) बच्चों के लिए अच्छा रहेगा. पूजन चंद्रोदय के पहले करना उत्तम होगा. चंद्रोदय रात 8.07 बजे होगा. इससे पहले प्रदोष बेला में 7.30 बजे तक पूजन कर सकते हैं. चतुर्थी 13 को सुबह 3:01 से शुरू होकर 14 अक्टूबर को 5:43 बजे तक रहेगी. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि धातु से बने करवे से चौथ का पूजन करना फलदायी होता है, लेकिन यथा शक्ति मिट्टी के करवे से पूजन भी किया जा सकता है.

करवा चौथ व्रत कथा: करवाचौथ व्रत के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं. लेकिन अधिकांश कथाओं में यह पाया जाता है कि यह व्रत ब्रह्माजी के कहने पर शुरू किया गया था. देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने यह व्रत रखा था. कहा जाता है कि एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था. देवताओं ने सोचा कि वह राक्षसों से पराजित हो जाएंगे. ऐसे में देवता ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे राक्षसों पर विजय पाने का उपाय पूछा.

तब ब्रह्माजी ने देवताओं को उपाय समझाते हुए बताया कि करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को है. ऐसे में यदि सभी देवताओं की पत्नियां करवाचौथ का व्रत रखें तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगा. ब्रह्माजी के कहने पर सभी देवताओं की पत्नियों ने उपवास किया. परिणामस्वरूप, देवताओं ने राक्षसों पर विजय प्राप्त की. वहीं यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने स्वप्न में शिव भगवान की अकाल मृत्यु देखी उसके बाद ब्रह्माजी के कहने पर उन्होंने व्रत रखा था. ताकि शिव भगवान की लंबी आयु हो.

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