शिमला: पिछले सात दिनों से क्रमिक अनशन पर बैठे करुणामूलक आश्रितों ने अब आमरण अनशन शुरू कर दिया है. 20 अक्तूबर से राजधानी शिमला में कालीबाड़ी के पास रेन शेल्टर में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए आश्रित क्रमिक अनशन पर बैठ गए थे, लेकिन इस दौरान न तो सरकार का कोई नुमाइंदा और ने ही कोई अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आया.
इसी के चलते अब आश्रितों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है और जब तक सरकार उनकी मांगे नही मानती तब तक ये अनशन जारी रखेंगे. प्रदेश के 45 सौ के करीब आश्रित नौकरी की मांग कर रहे हैं. प्रदेश करुणामूलक आश्रित संघ के अध्यक्ष पमिल का कहना है कि पिछले 15 सालों से आश्रित नौकरी के लिए भटक रहे मुख्यमंत्री से भी कई बार मिले और उन्हें ज्ञापन सौंपा,लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है.
पमिल कुमार का कहना है कि प्रदेश में करुणामूलक आश्रित के आधार पर रोजगार लेने के लिए 4500 लोग हैं जिन्हें करुणामूलक आश्रितों के आधार पर रोजगार मिलना है, लेकिन सरकार लंबे समय से उन्हें केवल आश्वासन देती आई है. करुणामूलक संघ एक मुश्त सभी को नौकरी देने की मांग कर रहा है और इसके लिए विधानसभा के बाहर भी प्रदर्शन किया था, लेकिन सरकार की ओर से इसको लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया. इसी वजह से उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला लिया गया है, लेकिन सात दिन बीत जाने के बाद भी कोई भी उनसे मिलने तक नहीं आया.
पमिल कुमार ने कहा कि वे तब तक आमरण अनशन पर बैठे रहेंगे जब तक उनकी मांगों को सरकार पूरा नहीं करती है और अगर उन्हें जबरदस्ती उठाने की कोशिश की जाती है तो वे अपने परिवार के साथ फिर से यहां बैठ जायेंगे. उन्होंने कहा कि नौकरी न होने से परिवार का गुजर बसर नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में अब उनके पास आमरण अनशन पर बैठने का चारा नहीं है.
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