शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से भारतीय राजनीति के आकाश में चमके जेपी नड्डा का रुतबा भाजपा में बढ़ता जा रहा है. हिमाचल में भाजपा ने उपचुनाव में दोनों सीटों पर जीत हासिल की. हालांकि जेपी नड्डा उपचुनाव के दौरान हिमाचल नहीं आए, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर व टीम भाजपा को उनका मार्गदर्शन लगातार मिलता रहा.
नड्डा का अधिकांश जोर महाराष्ट्र पर था और वहां फडनवीस सरकार रिपीट होने जा रही है. हरियाणा में भी भाजपा चाहे पिछले प्रदर्शन को न दोहरा पाई हो, परंतु सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है और सरकार बनाने की पोजीशन में है. यहां ये तथ्य नजर में रखना होगा कि महाराष्ट्र में दशकों से किसी दल की सरकार रिपीट नहीं हुई है.
इसी तरह हरियाणा में भी कभी भाजपा चार सीटों वाले दल के तौर पर पहचान रखती थी और अब दूसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रही है तो उसमें जेपी नड्डा के कार्यकारी अध्यक्ष की पारी के योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.
ठीक जिस समय गुरुवार देर शाम भाजपा कार्यालय में पीएम नरेंद्र मोदी ने जेपी नड्डा का जिक्र किया और नड्डा उनके साथ आत्मविश्वास की मुद्रा में खड़े थे, उससे साफ संकेत है कि कार्यकारी अध्यक्ष के बाद नियमित पार्टी मुखिया के रूप में नड्डा की पारी आगे बढ़ेगी.
हिमाचल में धर्मशाला व पच्छाद में उपचुनाव के दौरान बागी उम्मीदवारों ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ाई थीं, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर के सक्रिय प्रचार ने भाजपा को इस संकट से उबार लिया. जयराम ठाकुर को नड्डा का वरदहस्त प्राप्त है, ये तथ्य सर्वविदित है.
धर्मशाला में तो कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई. हिमाचल की इस जीत का सेहरा जयराम ठाकुर के साथ जेपी नड्डा के सिर भी बंधता है. अलबत्ता प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती के पार्टी मुखिया रहते हुए लगातार जीतना भी एक दिलचस्प पहलू है. सत्ती के अलावा कैबिनेट मंत्रियों ने भी उपचुनाव में जीत की जंग सफलता से लड़ी.
जेपी नड्डा का संगठन में बढ़ता कद इस बात से जाहिर होता है कि लोकसभा चुनाव में देश के सबसे बड़े राज्य यूपी की कमान नड्डा के पास थी. गृह मंत्री बनने के बाद अमित शाह संगठन को अधिक समय नहीं दे पा रहे थे. ऐसे में पार्टी को नए मुखिया की तलाश थी. इसी साल जून में इसकी नींव डाली गई. अब संगठन चुनाव के बाद जेपी नड्डा पूर्णकालिक मुखिया हो जाएंगे.
जेपी नड्डा पीएम नरेंद्र मोदी व अमित शाह, इन दोनों नेताओं के भरोसेमंद साथी हैं.
उल्लेखनीय है कि जब मोदी 2.0 ने शपथ ली और नड्डा का नाम उसमें नहीं था, उसी समय ये संकेत मिल गया था कि जेपी को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. हिमाचल से इस समय अनुराग ठाकुर मोदी कैबिनेट में वित्त राज्यमंत्री हैं.
हिमाचल यूनिवर्सिटी में एबीवीपी से पहले छात्र संघ अध्यक्ष थे नड्डा
जेपी नड्डा ने छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू किया था. हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एबीवीपी से वे पहले छात्र संघ अध्यक्ष बने थे. जेपी नड्डा वर्ष 1977 से लेकर वर्ष 1990 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में अहम पदों पर रहे. नड्डा ने वर्ष 1989 में भ्रष्टाचार के खिलाफ 45 दिन की जेल यात्रा भी झेली है. वर्ष 1989 में देश में आम चुनाव में जेपी नड्डा को भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रभारी बनाया गया था.
महज 31 साल की आयु में ही जेपी नड्डा वर्ष 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने थे. फिर वे हिमाचल की चुनावी राजनीति में सक्रिय हुए और 1993 में बिलासपुर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने. नड्डा 1993 से 1998, 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक बिलासपुर सदर सीट से चुनाव जीते.
वह हिमाचल सरकार में स्वास्थ्य तथा वन मंत्री भी रहे. बाद में वे केंद्र की राजनीति में आए. अप्रैल 2012 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया और कई संसदीय समितियों में रहे. वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता भी रहे हैं.