ETV Bharat / state

25 हजार JBT-DLED प्रशिक्षुओं की सरकार से गुहार, ...और क्यों बढ़ा दी मुश्किलें, हम पहले ही थे बेरोजगार

जेबीटी व डीएलएड संयुक्त मोर्चा से जुड़े सदस्यों ने कहा कि उच्च न्यायालय की ओर से याचिका दायर की गई उसमें उच्च न्यायालय ने चार सप्ताह के अंदर हिमाचल सरकार को अपना जवाब दायर करने को कहा गया है. उनका कहना है कि यह फैसला एनसीटीई की ओर से उन राज्यों के लिए लिया गया था, जिन राज्यों में जेबीटी प्रशिक्षुओं की संख्या कम है, लेकिन हिमाचल में यह आंकड़ा काफी ज्यादा है. ऐसे में यहां बीएड को प्राथमिकता देना कहीं तक भी तर्कसंगत नहीं है.

shimla
shimla
author img

By

Published : Sep 5, 2020, 7:24 PM IST

शिलमा: हिमाचल प्रदेश में 25 हजार के करीब जेबीटी और डीएलएड प्रशिक्षुओं का भविष्य खतरे में है. कमीशन की परीक्षा देने के बाद भी इन प्रशिक्षुओं का भर्ती परिणाम ही घोषित नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से उनसे नौकरियों का अवसर ट्रेनिंग करने के बाद भी नहीं मिल रहा है.

इस सब के पीछे की वजह है कि जेबीटी कमीशन में एनसीटीई की अधिसूचना के तहत बीएड प्रशिक्षुओं को भी शामिल किया गया है. इसी के विरोध में 25 अगस्त 2020 को जेबीटी व डीएलएड संयुक्त मोर्चा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. अपने हक की लड़ाई के लड़ने के लिए प्रशिक्षुओं को कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के सिवा कोई चारा नहीं रहा है. अब प्रशिक्षु सरकार से यह गुहार लगा रहे हैं, उच्च न्यायालय में हमारा पक्ष मजबूती के साथ रखें.

युवाओं का कहना है कि जेबीटी व डीएलएड ओर बीएड प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में काफी अंतर है और साथ ही दोंनो के आरएंडपी नियम भी अलग हैं. जेबीटी/डीएलएड प्रशिक्षु की न्यूयनतम योग्यता 12 वीं पास ओर बीएड प्रशिक्षुओं की न्यूनतम योग्यता स्नातक है, जिनकी योग्यता में काफी अंतर है.

वीडियो.

जेबीटी व डीएलएड प्रशिक्षुओं को अलग से दो वर्षों का प्रशिक्षण पहली कक्षा से लेकर 5वीं कक्षा पढ़ाने के लिए दिया जाता है, जबकि बीएड प्रशिक्षुओं को छठवीं से आठवीं तक कि कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. ऐसे में अगर बीएड प्रशिक्षुओं को समान अधिकार दिए जाते हैं, तो जेबीटी और डीएलएड प्रशिक्षुओं को दो वर्ष का प्रशिक्षण देने का कोई फायदा रह नहीं जाता है.

उनका कहना है कि यह फैसला एनसीटीई की ओर से उन राज्यों के लिए लिया गया था, जिन राज्यों में जेबीटी प्रशिक्षुओं की संख्या कम है, लेकिन हिमाचल में यह आंकड़ा काफी ज्यादा है. ऐसे में यहां बीएड को प्राथमिकता देना कहीं तक भी तर्कसंगत नहीं है.

ऐसे में अगर सरकार जेबीटी व डीएलएड प्रशिक्षुओं के पक्ष में फैसला नहीं लेती है, तो उससे हजारों युवा घर पर बेरोजगार बैठने के लिए मजबूर हो जाएंगे. इन प्रशिक्षुओं के भविष्य में सरकार विचार करें और कोर्ट में इनके पक्ष में अपना मत रखे यही मांग संयुक्त मोर्चा की ओर से की जा रही है. अपनी इसी मांगो को लेकर प्रशिक्षुओं ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव से भी मुलाकात की है और उनके समक्ष अपनी यह मांग रखी है.

पढ़ें: मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना का बढ़ा दायरा, कोरोना संकट के बीच स्वरोजगार के मिले कई विकल्प

शिलमा: हिमाचल प्रदेश में 25 हजार के करीब जेबीटी और डीएलएड प्रशिक्षुओं का भविष्य खतरे में है. कमीशन की परीक्षा देने के बाद भी इन प्रशिक्षुओं का भर्ती परिणाम ही घोषित नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से उनसे नौकरियों का अवसर ट्रेनिंग करने के बाद भी नहीं मिल रहा है.

इस सब के पीछे की वजह है कि जेबीटी कमीशन में एनसीटीई की अधिसूचना के तहत बीएड प्रशिक्षुओं को भी शामिल किया गया है. इसी के विरोध में 25 अगस्त 2020 को जेबीटी व डीएलएड संयुक्त मोर्चा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. अपने हक की लड़ाई के लड़ने के लिए प्रशिक्षुओं को कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के सिवा कोई चारा नहीं रहा है. अब प्रशिक्षु सरकार से यह गुहार लगा रहे हैं, उच्च न्यायालय में हमारा पक्ष मजबूती के साथ रखें.

युवाओं का कहना है कि जेबीटी व डीएलएड ओर बीएड प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में काफी अंतर है और साथ ही दोंनो के आरएंडपी नियम भी अलग हैं. जेबीटी/डीएलएड प्रशिक्षु की न्यूयनतम योग्यता 12 वीं पास ओर बीएड प्रशिक्षुओं की न्यूनतम योग्यता स्नातक है, जिनकी योग्यता में काफी अंतर है.

वीडियो.

जेबीटी व डीएलएड प्रशिक्षुओं को अलग से दो वर्षों का प्रशिक्षण पहली कक्षा से लेकर 5वीं कक्षा पढ़ाने के लिए दिया जाता है, जबकि बीएड प्रशिक्षुओं को छठवीं से आठवीं तक कि कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. ऐसे में अगर बीएड प्रशिक्षुओं को समान अधिकार दिए जाते हैं, तो जेबीटी और डीएलएड प्रशिक्षुओं को दो वर्ष का प्रशिक्षण देने का कोई फायदा रह नहीं जाता है.

उनका कहना है कि यह फैसला एनसीटीई की ओर से उन राज्यों के लिए लिया गया था, जिन राज्यों में जेबीटी प्रशिक्षुओं की संख्या कम है, लेकिन हिमाचल में यह आंकड़ा काफी ज्यादा है. ऐसे में यहां बीएड को प्राथमिकता देना कहीं तक भी तर्कसंगत नहीं है.

ऐसे में अगर सरकार जेबीटी व डीएलएड प्रशिक्षुओं के पक्ष में फैसला नहीं लेती है, तो उससे हजारों युवा घर पर बेरोजगार बैठने के लिए मजबूर हो जाएंगे. इन प्रशिक्षुओं के भविष्य में सरकार विचार करें और कोर्ट में इनके पक्ष में अपना मत रखे यही मांग संयुक्त मोर्चा की ओर से की जा रही है. अपनी इसी मांगो को लेकर प्रशिक्षुओं ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव से भी मुलाकात की है और उनके समक्ष अपनी यह मांग रखी है.

पढ़ें: मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना का बढ़ा दायरा, कोरोना संकट के बीच स्वरोजगार के मिले कई विकल्प

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.