शिमला: नशे के खिलाफ हिमाचल हाईकोर्ट निरंतर राज्य सरकार को निर्देश जारी करता आ रहा है. हाल ही में मंडी में जहरीली शराब (Mandi Poisonous Liquor Case)के कारण सात जीवन मौत की नींद में चले गए. चौतरफा आक्रोश के बाद जागी सरकार ने अवैध शराब के खिलाफ मुहिम छेड़ी और अब कैबिनेट बैठक में नशे पर लगाम लगाने के लिए नीति तैयार करने का भी (Jairam government strict on drugs) ऐलान कर दिया. हिमाचल में पहली बार ऐसा सख्त कदम उठाया जा रहा और पहली बार समग्र नीति बनाई जा रही है.
नए साल के पहले महीने की आखिरी तारीख को जयराम सरकार ने नशे के खिलाफ शुरुआती तौर पर बड़ा कदम उठाया है. सोमवार को कैबिनेट मीटिंग में हिमाचल प्रदेश इंटेग्रेटिड ड्रग प्रिवेंशन पॉलिसी (Himachal Pradesh Integrated Drug Prevention Policy)को मंजूरी प्रदान की है. नीति का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में नशीले पदार्थों की तस्करी, नशीले पदार्थों का दुरुपयोग, नशे की खेती जैसे भांग, उत्पादन और उसकी खपत पर शिकंजा कसना है.
नशे की बुराई पर प्रभावी रोकथाम के लिए उत्तरदायी विभिन्न एजेंसियों के बीच को-ऑर्डिनेशन स्थापित किया जाएगा. आबकारी विभाग, पुलिस विभाग और भांग की खेती पर नजर रखने के लिए ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी तय होगी. पॉलिसी में विचार किया जाएगा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में राउंड द क्लॉक एक्टिव रहने वाला एक अलग से विभाग या विंग स्थापित किया जाए. सरकार ने तय किया है कि भांग और अफीम की अवैध खेती पर अंकुश लगाने के लिए आबकारी विभाग भी अपनी भूमिका निभाए.
नीति में भांग की खेती में शामिल लोगों के पुनर्वास पर भी जोर दिया जाएगा. ग्रामीण इलाकों में जो लोग किसी कारणवश भांग व अफीम की खेती में सक्रिय हैं, उन्हें जागरूक करके आजीविका का कोई नया साधन मुहैया करवाया जाए. नशे को रोकने के लिए काम करने वाली एजेंसियां को-ऑर्डिनेशन में रहेंगी और एक्शन लेंगी. नशे की तस्करी को रोकने के लिए तीव्र अभियान चलाए जाए. नीति के अनुसार एनडीपीएस एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव भी शामिल रहेगा.
नशे का शिकार युवा जो इस दलदल में बुरी तरह से फंस गए हैं, उनके पुनर्वास पर जोर रहेगा.इसके अलावा पुलिस विभाग नियमित अंतराल पर नशे के खिलाफ कार्रवाई की समीक्षा करेगा. बड़ी मछलियों को चिन्हित कर उन्हें दबोचा जाएगा. तस्करों की संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया तेज की जाएगी. कुछ समय से ईडी भी सक्रिय हुई और अब तक तस्करों की 22 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी है.
राज्य नशा निवारण बोर्ड के संयोजक और हिमाचल में नशे की रोकथाम के लिए निरंतर सक्रिय ओपी शर्मा के अनुसार पहली बार हिमाचल में ऐसी इंटीग्रेटेड और होल्सिटक पॉलिसी तैयार की गई है. नीति के आरंभिक प्रस्तावों में नशे की रोकथाम के सभी पहलुओं पर ध्यान दिया गया है. नशे का शिकार हो चुके लोगों के मानसिक व शारीरिक उपचार की भी उचित व्यवस्था होगी. चौबीसों घंटे सेवाएं देने वाले एक विंग की स्थापना भी प्रस्तावित है. इसके अलावा अब भांग, अफीम की खेती पर आबकारी विभाग कार्रवाई करेगा.
एनडीपीएस एक्ट के तहत पकड़ गए मामले | |
वर्ष | मामले |
2011 | 570 |
2012 | 513 |
2013 | 531 |
2014 | 644 |
2015 | 622 |
2016 | 929 |
2017 | 1010 |
2018 | 1341 |
2019 | 1439 |
2020 | 1538 |
2021 | 1405 |
( 2021 के आंकड़े नवंबर माह तक के हैं) |
यहां उल्खेनीय है कि हिमाचल हाईकोर्ट ने नशा तस्करों के लिए मौत की सजा का प्रावधान करने संबंधी कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे. यही नहीं, हिमाचल हाईकोर्ट ने कई मामलों में नशा तस्करों को 25 साल तक की सजा सुनाई है. पूर्व में हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने समय -समय पर राज्य सरकार को कई निर्देश दिए. उनमें नशे के मामलों में दोषी को सजा सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए थे.
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