शिमला: 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष (International Millet Year 2023) के रूप में घोषित किया गया है. इसमें अच्छे पोषण और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिस्पर्धा की स्वस्थ भावना पैदा करके इसका उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें की स्वस्थ बच्चों की पहचान की जा रही है. इसी के तहत बीते कल सोमवार को शिमला के बचत भवन में भी पोषण पखवाड़ा के तहत कार्यक्रम आयोजित हुआ. जिसमें शिमला उपायुक्त सहित आंगनवाड़ी वर्कर्स, महिला सहायता समूह भी शामिल हुए. इस दौरान उपायुक्त आदित्य नेगी ने कहा कि आधुनिक खान पान की वजह से हो रही कई गंभीर बीमारियों को दूर करने के लिए मोटे अनाज को भोजन का हिस्सा बनाना जरुरी हो गया है. मोटे अनाज पोषण के हिसाब से जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही बीमारियों से लड़ने में कारगर है.
2023 अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित: उपायुक्त ने बताया कि 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया है. ऐसे में आंगनबाड़ियों को लोकप्रिय बनाने के लिए अभियान चलाए जाएंगे. इसके लिए आंगनबाडियों को बेहतर पोषण, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के केंद्रों के रूप में सक्षम किया जाएगा. इस उपलक्ष्य पर जिला कार्यक्रम अधिकारी शिमला ममता पॉल शर्मा ने कार्यालय में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं एवं आंगनबाड़ी सहायिकाओं को पोषण पखवाड़ा के पोषण अभियान के बारे में जागरुक किया. कार्यक्रम में पोषण यात्रा और मासिक धर्म स्वच्छता पर जानकारी दी गई. जिला कार्यक्रम अधिकारी ने विभिन्न विभागीय योजनाओं से भी अवगत करवाया.
अतिथियों को भेंट में दी मोटे अनाज की थैलियां: कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों को सम्मानित कर उन्हें भेंट में विभिन्न मोटे अनाज की थैलियां दी गई. इसे लोगों को खान पान में मोटे अनाज शामिल करने के लिए प्रेरणा स्वरूण प्रदान किया गया. शिशु लिंग अनुपात और जन्म के समय लिंगानुपात दर में बेहतरीन कार्य के लिए 11-11 पंचायतों के जन प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया. इसके अलावा सीडीपीओ अजय बदरेल, डॉ. राजेश काल्टा एवं सुलता शर्मा और कार्यक्रम में आयोजित पेंटिंग, पोषण थाली और व्यंजन विधि के लिए भी छात्राओं को सम्मानित किया गया.
ये भी पढ़ें: Himachal High Court: अटल टनल के आसपास कचरे के निष्पादन के लिए उठाए जा रहे कदमों की रिपोर्ट सौंपे सरकार