शिमला: हिमाचल की बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं. चाहे बात शिक्षा की करें राजनीति की या फिर खेलों की. हिमाचल की बेटियों ने हमेशा ही अपनी एक अलग पहचान बनाई है. आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) के मौके पर बात करेंगे हिमाचल की उन महिला खिलाड़ियों की जिन्होंने अपने उम्दा प्रदर्शन से पूरे देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई.
सुषमा वर्मा: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की वरिष्ठ सदस्य सुषमा वर्मा ने (Indian cricketer Sushma Verma) बचपन में ही ठान लिया था कि उसे कामयाब क्रिकेटर बनना है. जिस उम्र में बच्चे घर-घर खेलते हैं, सुषमा ने बल्ला थाम लिया और दुश्वारियों के पहाड़ को लांघकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की भरोसेमंद सदस्य बन गई. सुषमा हिमाचल से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली (महिला-पुरुष दोनों में) पहली क्रिकेटर हैं. सुषमा शिमला से करीब सौ किलोमीटर दूर गढ़ेरी गांव की रहने वाली हैं. उन्हें बचपन से ही खेलों से लगाव था, लेकिन बेहद कठिन और दुर्गम पहाड़ी इलाके में खेल सुविधाओं का अभाव था. इसके बावजूद सुषमा ने जीवन का लक्ष्य खेल को ही चुना.
भारतीय क्रिकेटर सुषमा वर्मा 2009 में शिमला में हिमाचल क्रिकेट एसोसिएशन के ट्रायल में सुषमा ने अपने दमदार और उम्दा खेल से टीम हिमाचल में जगह पाई. इसके बाद 2013 में घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर सुषमा वर्मा ने भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाई. वह महिला वर्ल्ड कप-2017 के फाइनल में पहुंचने वाली भारतीय टीम इंडिया में बतौर विकेटकीपर थीं. भारतीय क्रिकेटर सुषमा वर्मामहिला वर्ल्ड कप में बेहतरीन परफॉर्मेंस देने वाली भारतीय विकेटकीपर बैट्समैन सुषमा वर्मा को हिमाचल प्रदेश सरकार ने पुलिस में DSP का पद सम्मान के तौर पर दिया है.
रेणुका सिंह ठाकुर: बता दें कि रेणुका शिमला जिले की रहने वाली हैं. रेणुका सिंह को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था. अपने भाई के साथ रेणुका भी गांव के मैदान में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी. साल 2009 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने कांगड़ा के धर्मशाला में अकादमी खोली जिस समय रेणुका मात्र 14 वर्ष की थीं. उन्होंने वहां जाकर क्रिकेट का ट्रायल दिया जिसके बाद उनका चयन हो गया. इसके बाद रेणुका ने U-16 और U-19 में खेला और अच्छा प्रदर्शन किया.
उन्होंने क्रिकेट में एक गेंदबाज के रूप में अपनी जगह बनाई. रेणुका ने U-19 में कर्नाटक के खिलाफ एक मैच में हैट्रिक लेते हुए 5 विक्केट लिए. साल 2019 में रेणुका ने बीसीसीआई महिला वन डे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 23 विकेट लिए थे, जिसके चलते (Indian female cricketer Renuka Singh) उन्हें तब भारतीय महिला टीम-ए के लिए चुन लिया गया था. अगस्त 2021 में रेणुका का चयन पहली बार भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हुआ. ऑस्ट्रेलिया के दौरे में इन्हें तेज गेंदबाज के रूप में टीम इंडिया की T-20 टीम में शामिल किया.
हरलीन कौर देओल: हरलीन कौर देओल एक भारतीय क्रिकेटर (India cricketer Harleen Kaur Deol) हैं. जिनका जन्म 21 जून 1998 को हुआ था. वह हिमाचल प्रदेश की तरफ से क्रिकेट खेलती हैं. हरलीन एक दाएं हाथ की बल्लेबाज हैं और कभी-कभी दाएं हाथ की लेग स्पिन गेंदबाजी भी कर लेती हैं. हरलीन देओल ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआता पंजाब से की थी, लेकिन बाद में वह हिमाचल प्रदेश की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलने लगी.
हरलीन ने 22 फरवरी 2019 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला था. वह तान्या भाटिया के बाद भारत की ओर से खेलने वाली चंडीगढ़ की दूसरी महिला क्रिकेटर थीं. ऑस्ट्रेलिया में 2020 के आईसीसी महिला टी-20 विश्व कप के लिए भी उन्हें भारत की टीम में नामित किया गया था.
कविता ठाकुर: अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी कविता ठाकुर (Indian Kabaddi player Kavita Thakur) का बचपन बेहद गरीबी में बीता है. माता और पिता मनाली के जगतसुख में छोटा सा ढाबा चलाते थे, आमदनी उतनी नहीं थी. वहीं खेलने कूदने की उम्र में कविता ढाबे पर बर्तन धोती थी. कठिन हालातों से पार पाते हुए कविता ने न सिर्फ गरीबी की जंजीरों को तोड़ा बल्कि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम की नुमाइंदगी भी कर रहीं हैं. स्कूल में कविता ने कबड्डी से अच्छी खासी पहचान बना ली.
2009 में धर्मशाला स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में कविता का दाखिला हो गया. यहां से कविता ने फिर पीछे पलटकर नहीं देखा. हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब कविता का कॅरियर बीमारी के कारण दांव पर लग गया. चिकित्सकों ने छह माह आराम करने की सलाह दी. मगर इन्होंने फिर वापसी की और 2014 में हुए एशियाई खेलों में भारतीय टीम में स्थान बनाया. टीम चैंपियन बनी और इसी जीत ने कविता के साथ-साथ पूरे परिवार की किस्मत पलट दी.
मीना कुमारी: मीना कुमारी (जन्म 17 जुलाई 1983) एक भारतीय निशानेबाज (Indian shooter Meena Kumari) हैं. वह हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम में तेजस्विनी सावंत के साथ कांस्य पदक जीता था. उन्होंने केवल एक अंक के अंतर से हारकर कांस्य पदक हासिल किया. कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में मीना, बैरी बडन शूटिंग सेंटर में महिलाओं की 50 मीटर राइफल प्रोन फाइनल में 615.3 अंकों के स्कोर के साथ छठे स्थान पर रही. वह 2010 एशियाई खेलों में 586 के स्कोर के साथ चौथे स्थान पर रही.
सुमन रावत: सुमन रावत एक पुर्व भारतीय एथलीट (Indian athlete Suman Rawat) हैं. जिन्हें भारत की उड़न परी के नाम से भी जाना जाता है. सुमन रावत ने सन 1986 में सियोल में आयोजित एशियाई खेलों में 3000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता था. पूर्व भारतीय एथलीट सुमन रावत को अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. सुमन रावत का जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ. सुमन रावत का सबसे बड़े प्रेरक उनके पिताजी थे. 1983 में उन्होंने एक इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मैच के दौरान दो स्वर्ण पदक जीते थे. वहीं, अप्रत्याशित बीमारी के कारण वह ज्याद समय तक खेल नहीं सकी.
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