शिमला: प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना बैंकों की बेरुखी के चलते सफलता हासिल नहीं कर पा रही है. वर्ष 2018-19 में शुरू हुई इस स्कीम में अब तक 995 लोगों को मंजूरी दी गई है, जबकि 940 मामलों को बैंकों ने लटका रखा है.
इस पर उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने प्रदेश सचिवालय में बैठक कर सभी जिला उद्योग केंद्रों के महाप्रबंधकों के साथ मुलाकात की. इसके अलावा तमाम बैकों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की और योजना के तहत ऋण न देने पर बैंकों को फटकार भी लगाई.
उद्योग मंत्री ने बैंकों के प्रतिनिधियों से पूछा कि जब सरकार ऋण नहीं चुका पाने की स्थिति में इसे खुद चुकाने की गारंटी दी है इसके बाद भी आवेदनकर्ताओं को क्यों लोने देने में आनाकानी की जा रही है. बैंकों को कहा गया है कि वे मामले रद्द करने का कारण कोडल औपचारिकताएं पूरी नहीं होना लिखते हैं, जबकि इसका कारण साफ-साफ लिखा जाना चाहिए.
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार इस बात की गारंटी दे चुकी है कि बेरोजगारों को दिया गया बैंकों का कर्ज नहीं डूबेगा. कर्ज डूबने पर सरकार इसका भुगतान करेगी. बता दें कि मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना का लाभ 45 वर्ष तक के आयु के लोग उठा सकते हैं. अब वर्ष 2018-19 में शुरू हुई इस स्कीम में अब तक 995 लोगों को मंजूरी दी जा चुकी है.
इस योजना के तहत युवा 60 लाख रुपये तक की परियोजनाओं को स्थापित कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें बैंकों को 40 लाख रुपये तक का ऋण देना होगा. तीन साल तक के लिए पांच फीसदी ब्याज दर पर कर्ज लिया जा सकेगा. साथ ही भुगतान पांच से सात साल तक किया जा सकेगा. एसबीआई में योजना के तहत ऋण न देने के सबसे अधिक 290 मामले लंबित हैं.
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