शिमला: राजधानी शिमला का ऐतिहासिक भवन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज जिसे ना केवल बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक खासा पसंद करते हैं बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी यह पहली पसंद है लेकिन, अब वह अपना वजूद खोने की कगार पर है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज भवन की हालत खस्ताहाल हो चुकी है. जिसे इस वक्त मुरम्मत की सख्त जरूरत है. बजट ना मिलने की वजह से इस भवन के जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है. भवन का पिछला हिस्सा जहां जर्जर हो चुका है वहीं भवन के धरातल की मंजिल में भी दरारें आ चुकी हैं.
इस ऐतिहासिक इमारत के यह हाल साल 2014 से हैं. उस समय संस्थान की तरफ से इस्टीमेट बना कर केंद्र सरकार को भेजा गया था लेकिन, अभी तक उसकी मंजूरी नहीं मिल पाई है.
संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने कहा कि वर्ष 2014 में एड्सल नाम के एक्सपर्ट ने इंस्टीट्यूट की इमारत के जीर्णोद्धार के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की थी. जिसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया था. इस रिपोर्ट के तहत 56 करोड़ का एस्टीमेट बना कर भेजा गया था जो अब 6 साल बाद 67 करोड़ का हो गया है.
संस्थान के निदेशक ने उम्मीद जतायी है कि जल्द ही इन प्रपोजल्स को मंजूरी मिले जिससे इस ऐतिहासिक विरासत का जीर्णोद्धार का काम शुरू किया जा सके.
आपको बता दें कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी ब्रिटिशकालीन समय में तैयार किया गया भवन है. जिसे अब उच्च अध्ययन के लिए देश विदेश में जाना जाता है. पर्यटक आज भी ब्रिटिशकाल में बने इस भवन को देखने की चाह रखते है. इस संस्थान का इतिहास गौरवमयी रहा है.
भवन का निर्माण वर्ष 1884 में तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड डफरिन के लिए किया गया था और इसी की तर्ज पर इसे वाइसरीगल लॉज भी कहा जाता है. इस भवन की ऐतिहासिकता की एक खास बात यह है कि आजादी की लड़ाई के समय इस संस्थान के भवन में कई ऐतिहासिक बैठकें हुए और फ़ैसले लिए गए.