शिमला: राजधानी शिमला में स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में अब जल्द ही भारतीय सभ्यता शोध केंद्र स्थापित होगा. जिसमें विश्वभर के शोधकर्ता भारतीय सभ्यता पर शोध कार्य कर सकेंगे. इसका प्रस्ताव बनाकर उच्च अध्ययन संस्थान की ओर से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेज दिया है और मंजूरी मिलते ही संस्थान इस पर कार्य शुरू कर देगा.
हालांकि स्थापना दिवस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने इसे मंजूरी देने की बात कही है ओर अब जल्द औपचारिकताओ को पूरा कर केंद्र खोला जाएगा. जिससे देश की सभ्यता पर शोध कार्य शुरू किए जाएंगे. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर मकरंद आर परांजपे ने कहा कि केंद्र खोलने को लेकर प्रस्ताव मंत्रालय को भेज दिया गया है और मंजूरी मिलते ही भारतीय सभ्यता पर यहां शोध कार्य शुरू किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि संस्थान के पास एक पुरानी प्रोजेक्ट का बजट की है जिसे इस पर खर्च किया जा सकता है. केंद्र इसी संस्थान का हिस्सा होगा. इसके अलावा केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट भारत इन 75 पर भी संस्थान काम कर रहा है जो कि प्रधानमंत्री की मुहिम है उससे भी जुड़ना चाहते हैं. स्वतंत्रता का जो युद्ध हुआ उसमें ये जगह बहुत महत्त्वपूर्ण है.
इसको देखते जेएनयू संस्थान का नाम बदलने के बजाय स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के निदेशक मकरंद जोकि जेएनयू के प्रोफेसर भी हैं. उन्होंने जेएनयू का नाम बदलने के बजाय अलग से स्वामी विवेकानंद के नाम पर नया विश्वविद्यालय खोलने की सलाह दी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 को लेकर और इसके लिए वहां बनी गुपकार गठबंधन को लेकर भी जल्द ही परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा जिसमें देश के विद्वानों को बुलाया जाएगा.