ETV Bharat / state

पहाड़ों में ग्लोबल वार्मिंग का असर, 1989 के बाद नवंबर में शिमला में नहीं हुई बर्फबारी - पहाड़ो पर भी तापमान 30 डिग्री

शिमला शहर में नवंबर माह में बर्फबारी का दौर शुरु हो जाता था, लेकिन अब बर्फबारी के लिए दिसंबर और जनवरी का इंतजार करना पड़ रहा है. गर्मियों में पहाड़ो पर भी तापमान 30 डिग्री तक पहुंच गया है.

global warming in mountains
पहाड़ों में ग्लोबल वार्मिंग का असर.
author img

By

Published : Dec 22, 2019, 7:41 PM IST

Updated : Dec 22, 2019, 8:55 PM IST

शिमला: ग्लोबल वार्मिंग का असर पहाड़ों पर साफ दिखने लगा है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. पहाड़ों पर साल दर साल बर्फबारी के स्पेल कम होते जा रहे हैं. शिमला शहर में नवंबर माह में बर्फबारी का दौर शुरु हो जाता था, लेकिन अब बर्फबारी के लिए दिसंबर और जनवरी का इंतजार करना पड़ रहा है.

मौसम में आ रहे बदलाव को लेकर विभाग ने डाटा बेस तैयार किया है, जिसमें हिमाचल पर ग्लोबल वार्मिंग के असर का अध्ययन किया गया है और इसके साथ ही डाटा में कई चौंकने वाले तथ्य सामने आए हैं. पिछले 30 सालों से प्रदेश में मौसम में काफी बदलाव आया है. ऐसे में कुछ क्षेत्र लाहुल स्पीति व किन्नौर में ज्यादा बर्फबारी हो रही है और निचले इलाकों में बर्फबारी कम हो रही है.

वहीं, शिमला में नवंबर माह में ही बर्फबारी का दौर शुरू हो जाता था, लेकिन 1989 के बाद शिमला में नवंबर में बफर्बारी नहीं हुई है और मानसून भी तय समय से शिफ्ट हो रहा है. वहीं, गर्मियों में पहाड़ों पर भी तापमान 30 डिग्री तक पहुंच गया है.

वीडियो रिपोर्ट.
मौसम विभाग शिमला केंद्र के निदेशक मनमोहन सिंह का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में इजाफा हो रहा है. तापमान बढ़ने से मौसम में भी बदलाव आ रहा है और पहाड़ों पर सर्दियों में बर्फबारी देरी से हो रही है. वहीं, बर्फबारी के स्पेल भी सिकुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिमला में पहले जहां नवंबर माह में बर्फबारी शुरू हो जाती थी, वह दिसंबर में हो रही है. वहीं, दिसंबर ओर जनवरी में भी बर्फबारी के दिन कम हो गए है. उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में अच्छी बर्फबारी हुई है, लेकिन पूरी स्थिती की बात करें तो बर्फबारी के दिन कम हो रहे हैं और ये ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है.


आने वाले समय में बढ़ सकती है मुश्किलें

ग्लोबल वार्मिंग का पूरी दुनिया मे असर हो रहा है. इसका असर पहाड़ों पर भी दिखने लगा है. मौसम में बदलाव के चलते ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है. वहीं, प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूख रहा है और आने वाले समय मे पानी का संकट खड़ा हो सकता है. इसके अलावा मैदानी इलाकों की तरह ही अब पहाड़ों में भी गर्मी बढ़ने लगी है. शिमला में जहां कभी तापमान 20 डिग्री से ऊपर नही जाता था और गर्मी से राहत पाने के लिए लोग शिमला आते थे, लेकिन अब यहां भी तापमान 30 डिग्री से ऊपर पहुंच रहा है.

ये भी पढ़ें: बड़सर में गृहिणी सुविधा योजना के तहत बांटे गए गैस कनेक्शन, लाभार्थियों ने सरकार का जताया आभार

शिमला: ग्लोबल वार्मिंग का असर पहाड़ों पर साफ दिखने लगा है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. पहाड़ों पर साल दर साल बर्फबारी के स्पेल कम होते जा रहे हैं. शिमला शहर में नवंबर माह में बर्फबारी का दौर शुरु हो जाता था, लेकिन अब बर्फबारी के लिए दिसंबर और जनवरी का इंतजार करना पड़ रहा है.

मौसम में आ रहे बदलाव को लेकर विभाग ने डाटा बेस तैयार किया है, जिसमें हिमाचल पर ग्लोबल वार्मिंग के असर का अध्ययन किया गया है और इसके साथ ही डाटा में कई चौंकने वाले तथ्य सामने आए हैं. पिछले 30 सालों से प्रदेश में मौसम में काफी बदलाव आया है. ऐसे में कुछ क्षेत्र लाहुल स्पीति व किन्नौर में ज्यादा बर्फबारी हो रही है और निचले इलाकों में बर्फबारी कम हो रही है.

वहीं, शिमला में नवंबर माह में ही बर्फबारी का दौर शुरू हो जाता था, लेकिन 1989 के बाद शिमला में नवंबर में बफर्बारी नहीं हुई है और मानसून भी तय समय से शिफ्ट हो रहा है. वहीं, गर्मियों में पहाड़ों पर भी तापमान 30 डिग्री तक पहुंच गया है.

वीडियो रिपोर्ट.
मौसम विभाग शिमला केंद्र के निदेशक मनमोहन सिंह का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में इजाफा हो रहा है. तापमान बढ़ने से मौसम में भी बदलाव आ रहा है और पहाड़ों पर सर्दियों में बर्फबारी देरी से हो रही है. वहीं, बर्फबारी के स्पेल भी सिकुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिमला में पहले जहां नवंबर माह में बर्फबारी शुरू हो जाती थी, वह दिसंबर में हो रही है. वहीं, दिसंबर ओर जनवरी में भी बर्फबारी के दिन कम हो गए है. उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में अच्छी बर्फबारी हुई है, लेकिन पूरी स्थिती की बात करें तो बर्फबारी के दिन कम हो रहे हैं और ये ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है.


आने वाले समय में बढ़ सकती है मुश्किलें

ग्लोबल वार्मिंग का पूरी दुनिया मे असर हो रहा है. इसका असर पहाड़ों पर भी दिखने लगा है. मौसम में बदलाव के चलते ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है. वहीं, प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूख रहा है और आने वाले समय मे पानी का संकट खड़ा हो सकता है. इसके अलावा मैदानी इलाकों की तरह ही अब पहाड़ों में भी गर्मी बढ़ने लगी है. शिमला में जहां कभी तापमान 20 डिग्री से ऊपर नही जाता था और गर्मी से राहत पाने के लिए लोग शिमला आते थे, लेकिन अब यहां भी तापमान 30 डिग्री से ऊपर पहुंच रहा है.

ये भी पढ़ें: बड़सर में गृहिणी सुविधा योजना के तहत बांटे गए गैस कनेक्शन, लाभार्थियों ने सरकार का जताया आभार

Intro:ग्लोबल वार्मिंग का असर पहाड़ो पर साफ दिखने लगा है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। पहाड़ो पर साल दर साल बर्फ़बारी के स्पेल कम होते जा रहे है। शिमला शहर की बात करे तो नवम्बर माह में ही बर्फ़बारी का दौर शुरु हो जाता था लेकिन अब बर्फ़बारी के लिए दिसम्बर ओर जनवरी का इंतजार करना पड़ रहा है। पिछले 30 सालों में शिमला शहर में नवम्बर माह में एक बार भी बर्फ़बारी नही हुई है। दिसम्बर ओर जनवरी फरवरी में भी बर्फ़बारी के दिन सिकुड़ रहे है। दिसम्बर माह में भी काफी कम बर्फ़बारी हो रही है। जबकि फरवरी में भी कम बर्फ़बारी के स्पेल हुए है। बर्फ़बारी के सिकुड़ रहे स्पेल आने वाले समय के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है।


Body:मौसम विभाग केंद्र शिमला द्वारा मौसम में आ रहे बदलाव को लेकर डाटा बेस तैयार किया गया है जिसमे ग्लोबल वार्मिंग का हिमाचल पर हो रहे असर का अध्ययन किया गया जिसमें कई चौकने वाले तथ्य सामने आए है। पिछले 30 सालों में प्रदेश में मौसम में काफी बदलाव आए है। इसमें कुछ क्षेत्रों लाहुल स्पीति किन्नौर में जहा बर्फ़बारी कभी ज्यादा हो रही है तो निचले इलाकों में बर्फ़बारी कम होने लगी है। शिमला में जहा नवंबर माह में ही बर्फ़बारी का दौर शुरू हो जाता है लेकिन 1989 के बाद शिमला में बर्फ़बारी नही हुई है। यही नही मानसून में तह समय से शिफ्ट हो रहा है। ओर पहाड़ो पर गर्मियों में तापमान 30 डिग्री तक पहुच गया है।


Conclusion:मौसम विभाग केंद्र के निदेशक मनमोहन सिंह का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। तापमान बढ़ने से मौसम में भी बदलाव आ रहा है। पहाड़ो पर सर्दियों में जहा बर्फ़बारी देरी से हो रही है वही बर्फ़बारी के स्पेल भी सिकुड़ रहे है। शिमला शहर में पहले जहा नवम्बर माह में ही बर्फबारी शुरू हो जाती थी वो अब दिसम्बर में हो रही है। दिसम्बर ओर जनवरी में भी बर्फ़बारी के दिन कम हुए है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में हालांकि अच्छी बर्फ़बारी हुई है लेकिन आल ओवर बात करे तो बर्फ़बारी के दिन कम हो रहे है और ये ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है।

आने वाले समय मे बढ़ सकती है मुश्किले


ग्लोबल वार्मिंग का पूरी दुनिया मे असर हो रहा है। पहाड़ो पर भी इसका असर दिखने लगा है। मौसम में आ रहे बदलाव के चलते ग्लेशियर जहा तेजी से पिघल रहे है वही प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सुख रहे है और आने वाले समय मे पानी का संकट भी खड़ा हो सकता है। इसके अलावा मैदानी इलाकों की तरह ही अब पहाड़ो में भी गर्मी बढ़ने लगी है। शिमला में जहा कभी तापमान 20 डिग्री से ऊपर नही जाता था जहा गर्मी से राहत पाने के लिए लोग शिमला आते थे लेकिन अब यहां भी तापमान 30 डिग्री से ऊपर पहुच रहा है।
Last Updated : Dec 22, 2019, 8:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.