शिमला: कोरोना संकट की घड़ी में अस्पतालों में अहम भूमिका निभाने वाले सफाई कर्मियों ने आईजीएमसी प्रशासन के खिलाफ रोष प्रकट किया है. उन्होंने कोरोना से जंग की लड़ाई में सौतेलापन करने का आरोप लगाया है. सफाई कर्मी का कहना है कि उन सभी से दोगुना काम करवाया जाता है और वेतन बहुत कम दिया जाता है.
आईजीएमसी सफाई यूनियन के अध्यक्ष पमिश ठाकुर ने कहा कि कोरोना संकट की घड़ी में तो वह अपनी ड्यूटी देते रहेंगे, लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद वह हड़ताल पर चले जाएंगे. उन्होंने बताया कि लंबे समय से उनके वेतन में वृद्धि नहीं की जा रही है और ना ही उन्हें नियमित किया जा रहा है.
पमिश ठाकुर ने कहा कि अस्पतालों में उनसे दोगुना काम करवाया जाता है और वेतन बहुत कम दिया जाता है. सफाई कर्मियों से वार्ड बॉय का काम लिया जा रहा है और उन्हें प्रताड़ित भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से अगर किसी मरीज की मौत होती है तो शव को उठाने के लिए सबसे पहले सफाई कर्मी को बुलाया जाता है और उन्हें शव उठाने के लिए 1000 रुपये देने की बात कही जाती है, लेकिन शव को उठाने के बाद एक भी पैसा नहीं दिया जाता है.
पमिश का कहना था कि आईजीएमसी में 250 से 300 सफाई कर्मी काम करते हैं जो महामारी की इस घड़ी में अपनी जान जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं. अस्पताल में संक्रमित कूड़ा सफाई कर्मी ही उठाते हैं, लेकिन उन्हें कोई सुरक्षा किट नहीं दी गई है. मास्क ओर सेनिटाइजर भी तब दिए जब उन्होंने मांग पत्र सौंपा था.
पमिश ने बताया कि देशभर में सफाई कर्मियों को कोरोना के दौरान सम्मानित किया गया, लेकिन आईजीएमसी में उन्हें प्रताड़ना के सिवाए कुछ भी नहीं मिला. सफाई कर्मियों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें नियमित किया जाए और उनकी सैलरी बढ़ाई जाए.