शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी, Indira Gandhi Medical College and Hospital) शिमला में अब काेराेना की टेस्टिंग के लिए तीन नई आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन) टेस्टिंग मशीनें खरीदी गई हैं. यह मशीनें शनिवार काे आईजीएमसी में पहुंच गई हैं. अब इसी सप्ताह से इन मशीनाें काे माइक्रोबायोलॉजी विभाग में इंस्टॉल कर दिया जाएगा.
आईजीएमसी में 3 नई आरटी-पीसीआर मशीनें
अभी आईजीएमसी में मात्र दाे मशीनें हैं, जबकि प्रदेशभर के मरीज आईजीएमसी आते हैं. जिला शिमला के साथ-साथ ओपीडी और ओटी में आने वाले मरीजाें के सैंपल की जांच भी यहीं पर की जा रही थी. ऐसे में राेजाना यहां पर कई मरीजाें की रिपाेर्ट पेंडिंग रह जाती थी. जब ज्यादा सैंपल आते थे, ताे मरीजाें काे दाे से तीन दिन बाद भी काेराेना की रिपाेर्ट नहीं मिल पाती थी. लिहाजा अब इन सभी समस्याओं का समाधान हाे जाएगा क्याेंकि एक साथ आईजीएमसी में अब पांच मशीनें टेस्टिंग करना शुरू कर देंगी.
मशीन से यह हाेगा फायदा
आईजीएमसी में नई मशीनें आने से काफी फायदा हाेगा. माैजूदा समय में यहां पर दाे मशीनें आरटी-पीसीआर सैंपल की जांच कर रही है. इसमें एक मशीन में करीब 300 से 400 सैंपल की जांच की जा रही है. ऐसे में राेजाना 800 सैंपल की जांच हाेती है. जबकि काेराेना जब पीक पर था ताे यहां पर कई बार एक हजार तक राेजाना सैंपल जांच के लिए पहुंच रहे थे. ऐसे में ज्यादातर मरीजाें की रिपाेर्ट पेंडिंग रह जाती थी लेकिन अब पांच मशीनाें में 1800 तक टेस्ट राेजाना किए जा सकेंगे, जिससे मरीजाें की रिपाेर्ट पेंडिंग नहीं रहेगी.
रिपाेर्ट देरी से आने पर भी बढ़ा था संक्रमण
काेराेना की पहली और दूसरी लहर में संक्रमण फैलने का एक कारण यह भी था कि इस दाैरान मरीजाें की रिपाेर्ट पेंडिंग रह रही थी. ज्यादातर मरीजाें की रिपाेर्ट दूसरे या तीसरे दिन मिलती थी, तब तक सैंपल देने वाला व्यक्ति कई लाेगाें के संपर्क में आ चुका हाेता था. बाद में अगर वह संक्रमित निकलता था ताे प्रशासन के लिए उन लाेगाें काे ट्रेस करना मुश्किल हाे जाता था जिनसे वह मिला था.
इसी सप्ताह इंस्टॉल होंगी मशीनें
आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डाॅ. रजनीश पठानिया ने कहा कि अस्पताल में आरटी-पीसीआर टेस्टिंग के लिए तीन नई मशीनें खरीदी गई हैं. यह मशीनें यहां पर पहुंच गई हैं. इसी सप्ताह इन्हें इंस्टाॅल कर दिया जाएगा.
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