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हिमाचल में डेढ़ दशक बाद फंक्शनल होगा मानवाधिकार आयोग, सरकार ने शुरू किया प्रोसेस - हाई कोर्ट

हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग फंक्शनल नहीं है. चेयरमैन व मेंबर्स के पद खाली हैं. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार की नींद टूटी है. अब आयोग को फंक्शनल करने के लिए राज्य सरकार जरूरी प्रक्रियाएं शुरू कर चुकी है.

Himachal Pradesh Secretariat
हिमाचल प्रदेश सचिवालय
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Published : Jun 4, 2020, 8:42 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में डेढ़ दशक से राज्य मानवाधिकार आयोग फंक्शनल नहीं है. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार की नींद टूटी है. आयोग में चेयरमैन व मेंबर्स की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार जल्द ही बैठक करेगी.

आयोग को फंक्शनल करने के लिए सारी जरूरी प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी हैं. इस सिलसिले में कुछ आवेदन भी सरकार के पास आए हैं. बताया जा रहा है कि अगले हफ्ते किसी भी दिन शिमला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में इस संबंध में बैठक की जाएगी.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग फंक्शनल नहीं है. चेयरमैन व मेंबर्स के पद खाली हैं. हाईकोर्ट ने इस पर सख्ती दिखाई थी. हैरानी की बात है कि हिमाचल प्रदेश में स्टेट ह्यूमन राइट्स कमीशन 2005 से काम नहीं कर रहा है. इस बीच 15 साल की अवधि में तीन सरकारें बदल गई, लेकिन आयोग फंक्शनल नहीं हुआ है.

इस बारे में हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग न होने से लोगों की शिकायतों के लिए अन्य सक्षम अदालतों का सहारा लेना पड़ता है. इस केस में अंतिम सुनवाई मार्च महीने में हुई थी. इससे पहले नवंबर 2019 में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त आदेश जारी किए थे कि मानवाधिकार आयोग को फंक्शनल करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं.

उच्च न्यायालय की फटकार के बाद हरकत में आई सरकार ने मानवाधिकार आयोग के लिए आवेदन मांगे थे. सरकार ने चेयरमैन व दो सदस्यों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. तत्कालीन मुख्य सचिव की तरफ से जारी आवेदन प्रक्रिया में 31 दिसंबर तक इसके लिए आवेदन किया जा सकता था.

चयन कमेटी प्राप्त आवेदनों के आधार पर अध्यक्ष व सदस्यों का चयन करेगी. चेयरमैन के लिए आवेदनकर्ता को किसी राज्य के हाईकोर्ट का सीजे और सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश होना आवश्यक है. आयोग के एक सदस्य पद के लिए जिला सत्र न्यायाधीश होना अनिवार्य है. दूसरे सदस्य पद के लिए आवेदनकर्ता को मानवाधिकार मामलों का अनुभव होना चाहिए. फिलहाल, इसी माह हिमाचल में मानवाधिकार आयोग फंक्शनल होने की उम्मीद है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में डेढ़ दशक से राज्य मानवाधिकार आयोग फंक्शनल नहीं है. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार की नींद टूटी है. आयोग में चेयरमैन व मेंबर्स की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार जल्द ही बैठक करेगी.

आयोग को फंक्शनल करने के लिए सारी जरूरी प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी हैं. इस सिलसिले में कुछ आवेदन भी सरकार के पास आए हैं. बताया जा रहा है कि अगले हफ्ते किसी भी दिन शिमला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में इस संबंध में बैठक की जाएगी.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग फंक्शनल नहीं है. चेयरमैन व मेंबर्स के पद खाली हैं. हाईकोर्ट ने इस पर सख्ती दिखाई थी. हैरानी की बात है कि हिमाचल प्रदेश में स्टेट ह्यूमन राइट्स कमीशन 2005 से काम नहीं कर रहा है. इस बीच 15 साल की अवधि में तीन सरकारें बदल गई, लेकिन आयोग फंक्शनल नहीं हुआ है.

इस बारे में हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग न होने से लोगों की शिकायतों के लिए अन्य सक्षम अदालतों का सहारा लेना पड़ता है. इस केस में अंतिम सुनवाई मार्च महीने में हुई थी. इससे पहले नवंबर 2019 में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त आदेश जारी किए थे कि मानवाधिकार आयोग को फंक्शनल करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं.

उच्च न्यायालय की फटकार के बाद हरकत में आई सरकार ने मानवाधिकार आयोग के लिए आवेदन मांगे थे. सरकार ने चेयरमैन व दो सदस्यों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. तत्कालीन मुख्य सचिव की तरफ से जारी आवेदन प्रक्रिया में 31 दिसंबर तक इसके लिए आवेदन किया जा सकता था.

चयन कमेटी प्राप्त आवेदनों के आधार पर अध्यक्ष व सदस्यों का चयन करेगी. चेयरमैन के लिए आवेदनकर्ता को किसी राज्य के हाईकोर्ट का सीजे और सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश होना आवश्यक है. आयोग के एक सदस्य पद के लिए जिला सत्र न्यायाधीश होना अनिवार्य है. दूसरे सदस्य पद के लिए आवेदनकर्ता को मानवाधिकार मामलों का अनुभव होना चाहिए. फिलहाल, इसी माह हिमाचल में मानवाधिकार आयोग फंक्शनल होने की उम्मीद है.

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