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OPS In Himachal: बिजली बोर्ड और HRTC में बहाल नहीं हुई ओपीएस, इस महीने भी कटा NPS शेयर - ops in himachal pradesh in hindi

हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड और हिमाचल पथ परिवहन निगम में कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन बहाल नहीं हो पाई है. इस महीने भी एनपीएस कंट्रीब्यूशन कर्मचारियों का काटा गया है.

Old pension scheme in himachal
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Published : May 15, 2023, 8:08 PM IST

शिमला: राज्य सरकार ने प्रदेश में कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन लागू कर दी है और इसकी बकायदा नोटिफिकेशन भी जारी कर दी गई है. हालांकि सरकारी विभागों में कर्मचारियों की एनपीएस का कंट्रीब्यूशन भी बंद कर दिया गया है, मगर दो सरकारी उपक्रमों हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड और एचआरटीसी यानी हिमाचल पथ परिवहन निगम में कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन बहाल नहीं हो पाई है. इन दो विभागों के कर्मचारियों का एनपीएस कंट्रीब्यूशन काटा गया है.

हालांकि इन दोनों सरकारी उपक्रमों के कर्मचारियों के लिए 2003 से पहले ओल्ड पेंशन ही थी और एनपीएस लागू करने के बाद इसको यहां भी इसे लागू कर दिया गया था. मगर अब जबकि सरकार ने प्रदेश में ओल्ड पेंशन बहाल कर दी है तो इन दोनों उपक्रमों के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन अभी नहीं बहाल नहीं गई. ऐसे में दोनों सरकारी उपक्रमों के कर्मचारी ओल्ड पेंशन बहाल करने की गुहार लगा रहे हैं.

हिमाचल सरकार ने ओल्ड पेंशन से संबंधित जो एसओपी जारी किया है उसमें साफ कहा गया है कि कर्मचारियों से एनपीएस की कंट्रीब्यूशन अब नहीं ली जाएगी. हालांकि कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन को अपनाना या नहीं यह उन पर निर्भर करता है, मगर सभी कर्मचारियों को इसके लिए नोटिफिकेशन जारी होने के 60 दिनों के भीतर लिखित तौर पर विकल्प देना होगा. सरकारी की 4 मई को जारी की गई इस नोटिफिकेशन की कॉपी विभागों के साथ ही बोर्डों और निगमों को भी जारी की गई है. हालांकि सरकारी विभागों ने अपने कर्मचारियों की एनपीएस कंट्रीब्यूशन काटना बंद कर दिया है. मगर बिजली बोर्ड और एचआरटीसी में मई माह के वेतन में कर्मचारियों का कंट्रीब्य़ूशन काट लिया गया है.

बिजली बोर्ड व एचआरटीसी में लागू थे सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल (सीएसएस-पेंशन)-1972: हिमाचल में जब पहले ओल्ड पेंशन लागू थी तो एचआरटीसी और बिजली बोर्ड में भी सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल (पेंशन)-1972 के तहत पेंशन कर्मचारियों को दी जा रही थी, लेकिन अन्य विभागों के साथ ही इन दोनों उपक्रमों में भी 2003 के बाद ओल्ड पेंशन लागू कर एनपीएस को लागू किया गया और इसके बाद इनमें भी एनपीएस के तहत ही कर्मचारियों की भर्तियां की जाने लगीं. अब जबकि सरकार ने फिर से अपने कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन लागू कर दी है तो इन दोनों उपक्रमों में इसको लागू नहीं किया गया.

बिजली बोर्ड में 2003 के बाद नियुक्त हुए 9000 कर्मचारी: हिमाचल में कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से शिक्षा विभाग के बाद सबसे बड़ा सरकारी रोजगार का क्षेत्र बिजली बोर्ड ही है. यहां पर मौजूदा समय में करीब 16000 हजार कर्मचारी हैं जिनमें से करीब 9000 कर्मचारी एनपीएस लागू करने के बाद यानी 2003 के बाद नियुक्त हुए हैं. इस तरह कुल कर्मचारियों के करीब 50 फीसदी से ज्यादा एनपीएस लागू होने के बाद नियुक्त किए गए हैं.

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एचआरटीसी में एनपीएस के 8000 कर्मचारी: हिमाचल में सार्वजनिक क्षेत्र में सबसे बड़ी बस सेवाएं देना वाले एचआरटीसी में भी करीब 8000 कर्मचारी एनपीएस के तहत नियुक्त हुए हैं. एचआरटीसी में ड्राइवर, कंडक्टर के अलावा तकनीकी और मिनिस्ट्रियल स्टाफ भी कार्यरत है. इस तरह विभिन्न वर्गों के नए कर्मचारियों की तादाद अच्छी खासी है. यहां भी ओपीएस लागू नहीं हो पाई है.

सरकारी उपक्रम अपने वित्तीय संसाधनों से देते हैं पेंशन: सरकार के यह दोनों उपक्रम अपने वित्तीय संस्थानों से पेंशन कर्मचारियों को देते रहे हैं. ओल्ड पेंशन के सभी कर्मचारियों को यह दोनों उपक्रम पेंशन दे रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हुई है. अगर एचआरटीसी की बात करें तो साल 2021 में इस उपक्रम में 40.23 करोड़ का घाटा हुआ है और इसका कुल घाटा 1574 करोड़ के करीब पहुंच गया है.

परिवहन निगम में घाटे की एक बड़ी वजह यह भी है कि एचआरटीसी रियायती दरों पर कई वर्गों को यात्रा की सुविधा देता रहा है, इसी तरह कुछ वर्गों के लिए तो किराया माफ भी है. अब तो सरकार ने महिलाओं के लिए 50 फीसदी किराए की छूट देकर एक तरह से इसका घाटा बढ़ाने का ही काम किया है. इसी तरह बिजली बोर्ड को साल 2021 में 185 करोड़ रुपए का घाटा रहा है और इसका कुल घाटा 1706 करोड़ रुपए का हो गया है. यहां भी घरेलू उपभोक्ताओं को पहले से ही बिजली की खपत पर सब्सिडी दी जाती रही है. यही नहीं पूर्व की बीजेपी सरकार के समय में घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने से इसकी माली हालात और भी खराब हो गई. इस तरह रियायतों और निशुल्क सेवाओं का इन दोनों उपक्रमों की हालात बिगड़ाने में बड़ा रोल रहा है.

जहां पहले सीसीएस रूल्स लागू थे वहां ऑटोमेटिकली लागू होनी है ओपीएस: हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इंप्लाइज यूनियन के महासचिव हीरालाल वर्मा का कहना है कि जहां साल 2003 से पहले पेंशन रूल-1972 लागू थे, वहां पर नई पेंशन प्रणाली में नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड में नई पेंशन का कंट्रीब्यूशन जमा हो रहा था. अब जबकि सरकार ने पेंशन रूल 1972 को बहाल करने की नोटिफिकेशन जारी कर दी है तो बिजली बोर्ड भी इसके दायरे में आ गया है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड व एचआरटीसी ऐसे दो सरकारी उपक्रम है जहां पेंशन रूल-1972 पहले से लागू है और वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारी पुरानी पेंशन के हकदार है. लेकिन दोनों ही जगह कर्मचारियों के वेतन से न्यू पेंशन के शेयर की कटौती की है जबकि प्रदेश सरकार ने यह इस माह से बंद कर दी है. उन्होंने बिजली बोर्ड़ प्रबंधन से मांग की है कि पुरानी पेंशन के बारे में अधिसूचना जारी कर कर्मचारियों से प्रदेश सरकार की तर्ज पर ऑप्शन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाए.

एचआरटीसी प्रबंधन के सामने रखा है मामला: एचआरटीसी ज्वाइंट कॉर्डिनेशन कमेटी के सचिव खेमेंद्र गुप्ता ने कहा है कि एचआरटीसी में 2003 से पहले ओल्ड पेंशन लागू रही और इसके बाद हिमाचल सरकार ने सरकारी विभागों के साथ एचआरटीसी में भी एनपीएस लागू कर दी थी, अब जबकि सरकार ने सीएसएस रूल्स में बदलाव कर दिया है तो फिर से एचआरटीसी में भी इसी रूल के तहत ओल्ड पेंशन मिलनी है. उन्होंने कहा कि इस मामले को एचआरटीसी प्रबंधन के समक्ष रखा गया है और बोर्ड प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही इस मसले को एचआरटीसी बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा.

शिमला: राज्य सरकार ने प्रदेश में कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन लागू कर दी है और इसकी बकायदा नोटिफिकेशन भी जारी कर दी गई है. हालांकि सरकारी विभागों में कर्मचारियों की एनपीएस का कंट्रीब्यूशन भी बंद कर दिया गया है, मगर दो सरकारी उपक्रमों हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड और एचआरटीसी यानी हिमाचल पथ परिवहन निगम में कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन बहाल नहीं हो पाई है. इन दो विभागों के कर्मचारियों का एनपीएस कंट्रीब्यूशन काटा गया है.

हालांकि इन दोनों सरकारी उपक्रमों के कर्मचारियों के लिए 2003 से पहले ओल्ड पेंशन ही थी और एनपीएस लागू करने के बाद इसको यहां भी इसे लागू कर दिया गया था. मगर अब जबकि सरकार ने प्रदेश में ओल्ड पेंशन बहाल कर दी है तो इन दोनों उपक्रमों के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन अभी नहीं बहाल नहीं गई. ऐसे में दोनों सरकारी उपक्रमों के कर्मचारी ओल्ड पेंशन बहाल करने की गुहार लगा रहे हैं.

हिमाचल सरकार ने ओल्ड पेंशन से संबंधित जो एसओपी जारी किया है उसमें साफ कहा गया है कि कर्मचारियों से एनपीएस की कंट्रीब्यूशन अब नहीं ली जाएगी. हालांकि कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन को अपनाना या नहीं यह उन पर निर्भर करता है, मगर सभी कर्मचारियों को इसके लिए नोटिफिकेशन जारी होने के 60 दिनों के भीतर लिखित तौर पर विकल्प देना होगा. सरकारी की 4 मई को जारी की गई इस नोटिफिकेशन की कॉपी विभागों के साथ ही बोर्डों और निगमों को भी जारी की गई है. हालांकि सरकारी विभागों ने अपने कर्मचारियों की एनपीएस कंट्रीब्यूशन काटना बंद कर दिया है. मगर बिजली बोर्ड और एचआरटीसी में मई माह के वेतन में कर्मचारियों का कंट्रीब्य़ूशन काट लिया गया है.

बिजली बोर्ड व एचआरटीसी में लागू थे सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल (सीएसएस-पेंशन)-1972: हिमाचल में जब पहले ओल्ड पेंशन लागू थी तो एचआरटीसी और बिजली बोर्ड में भी सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल (पेंशन)-1972 के तहत पेंशन कर्मचारियों को दी जा रही थी, लेकिन अन्य विभागों के साथ ही इन दोनों उपक्रमों में भी 2003 के बाद ओल्ड पेंशन लागू कर एनपीएस को लागू किया गया और इसके बाद इनमें भी एनपीएस के तहत ही कर्मचारियों की भर्तियां की जाने लगीं. अब जबकि सरकार ने फिर से अपने कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन लागू कर दी है तो इन दोनों उपक्रमों में इसको लागू नहीं किया गया.

बिजली बोर्ड में 2003 के बाद नियुक्त हुए 9000 कर्मचारी: हिमाचल में कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से शिक्षा विभाग के बाद सबसे बड़ा सरकारी रोजगार का क्षेत्र बिजली बोर्ड ही है. यहां पर मौजूदा समय में करीब 16000 हजार कर्मचारी हैं जिनमें से करीब 9000 कर्मचारी एनपीएस लागू करने के बाद यानी 2003 के बाद नियुक्त हुए हैं. इस तरह कुल कर्मचारियों के करीब 50 फीसदी से ज्यादा एनपीएस लागू होने के बाद नियुक्त किए गए हैं.

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एचआरटीसी में एनपीएस के 8000 कर्मचारी: हिमाचल में सार्वजनिक क्षेत्र में सबसे बड़ी बस सेवाएं देना वाले एचआरटीसी में भी करीब 8000 कर्मचारी एनपीएस के तहत नियुक्त हुए हैं. एचआरटीसी में ड्राइवर, कंडक्टर के अलावा तकनीकी और मिनिस्ट्रियल स्टाफ भी कार्यरत है. इस तरह विभिन्न वर्गों के नए कर्मचारियों की तादाद अच्छी खासी है. यहां भी ओपीएस लागू नहीं हो पाई है.

सरकारी उपक्रम अपने वित्तीय संसाधनों से देते हैं पेंशन: सरकार के यह दोनों उपक्रम अपने वित्तीय संस्थानों से पेंशन कर्मचारियों को देते रहे हैं. ओल्ड पेंशन के सभी कर्मचारियों को यह दोनों उपक्रम पेंशन दे रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हुई है. अगर एचआरटीसी की बात करें तो साल 2021 में इस उपक्रम में 40.23 करोड़ का घाटा हुआ है और इसका कुल घाटा 1574 करोड़ के करीब पहुंच गया है.

परिवहन निगम में घाटे की एक बड़ी वजह यह भी है कि एचआरटीसी रियायती दरों पर कई वर्गों को यात्रा की सुविधा देता रहा है, इसी तरह कुछ वर्गों के लिए तो किराया माफ भी है. अब तो सरकार ने महिलाओं के लिए 50 फीसदी किराए की छूट देकर एक तरह से इसका घाटा बढ़ाने का ही काम किया है. इसी तरह बिजली बोर्ड को साल 2021 में 185 करोड़ रुपए का घाटा रहा है और इसका कुल घाटा 1706 करोड़ रुपए का हो गया है. यहां भी घरेलू उपभोक्ताओं को पहले से ही बिजली की खपत पर सब्सिडी दी जाती रही है. यही नहीं पूर्व की बीजेपी सरकार के समय में घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने से इसकी माली हालात और भी खराब हो गई. इस तरह रियायतों और निशुल्क सेवाओं का इन दोनों उपक्रमों की हालात बिगड़ाने में बड़ा रोल रहा है.

जहां पहले सीसीएस रूल्स लागू थे वहां ऑटोमेटिकली लागू होनी है ओपीएस: हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इंप्लाइज यूनियन के महासचिव हीरालाल वर्मा का कहना है कि जहां साल 2003 से पहले पेंशन रूल-1972 लागू थे, वहां पर नई पेंशन प्रणाली में नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड में नई पेंशन का कंट्रीब्यूशन जमा हो रहा था. अब जबकि सरकार ने पेंशन रूल 1972 को बहाल करने की नोटिफिकेशन जारी कर दी है तो बिजली बोर्ड भी इसके दायरे में आ गया है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड व एचआरटीसी ऐसे दो सरकारी उपक्रम है जहां पेंशन रूल-1972 पहले से लागू है और वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारी पुरानी पेंशन के हकदार है. लेकिन दोनों ही जगह कर्मचारियों के वेतन से न्यू पेंशन के शेयर की कटौती की है जबकि प्रदेश सरकार ने यह इस माह से बंद कर दी है. उन्होंने बिजली बोर्ड़ प्रबंधन से मांग की है कि पुरानी पेंशन के बारे में अधिसूचना जारी कर कर्मचारियों से प्रदेश सरकार की तर्ज पर ऑप्शन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाए.

एचआरटीसी प्रबंधन के सामने रखा है मामला: एचआरटीसी ज्वाइंट कॉर्डिनेशन कमेटी के सचिव खेमेंद्र गुप्ता ने कहा है कि एचआरटीसी में 2003 से पहले ओल्ड पेंशन लागू रही और इसके बाद हिमाचल सरकार ने सरकारी विभागों के साथ एचआरटीसी में भी एनपीएस लागू कर दी थी, अब जबकि सरकार ने सीएसएस रूल्स में बदलाव कर दिया है तो फिर से एचआरटीसी में भी इसी रूल के तहत ओल्ड पेंशन मिलनी है. उन्होंने कहा कि इस मामले को एचआरटीसी प्रबंधन के समक्ष रखा गया है और बोर्ड प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही इस मसले को एचआरटीसी बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा.

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